Author: KN Tiwari

शरीर पर छिपकली तथा गिरगिट गिरने का फल | Sarir Pe Chipkali Girne ka Matlab

शरीर पर छिपकली तथा गिरगिट गिरने का फल:

“इस लेख में, हम शरीर पर छिपकली और गिरगिट के गिरने के कारण और इससे बचाव के तरीके पर चर्चा करेंगे। यह जानकारी आपके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मदद करेगी। किसी भी प्रश्न के लिए हमसे पूछें और अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाएं।”

सिर पर छिपकली गिरने से राज्य लाभ,

ललाट पर बन्धु दर्शन,

दोनों भौहों पर बड़े लोगों से मित्रता,

सिर पर छिपकली गिरने से राज्य लाभ,

ललाट पर बन्धु दर्शन,

दोनों भौहों पर बड़े लोगों से मित्रता,

ऊपर के ओठ पर धनहानि,

नीचे के ओठ पर ऐश्वर्य प्राप्ति,

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नाक पर रोग,

दाहिने कान पर आयु-वृद्धि,

बांये कान पर धन-प्राप्ति.

दोनों आँख पर धन लाभ,

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दाहिनी मुजा पर नृपतुल्यता,

बाँयी भुजा पर राज्यभय,

कण्ठ पर शत्रुनाश,

दोनों स्तनों पर दुर्भाग्य,

पेट पर भूषण-लाभ,

पीठ पर बुद्धिनाश,

घुटने पर शुभ-आगमन,

जपा पर शुभ,

दोनों हाथों पर वस्त्रलाभ ,

कन्धों पर विजय,

नासिका (नाक) छिद्रों पर धनप्राप्ति,

कमर पर हाथी-घोड़ा आदि की सवारी का लाभ,

दायें मणिबन्ध पर कीर्ति-विनाश,

हृदय पर धनलाभ,

मुख पर मिष्ठानभोजन,

गुल्फ पर बन्धन-प्राप्ति,

दाड़ी पर मृत्य दहिने पैर पर गमन,

बाँये पैर पर नाश,

पैर के कर मृत्यु तुल्य कष्ट।

विशेष :

सोमवार, बुधवार, गुरुवार एवं शुक्रवार को, प्रतिपदा, द्वितीया,पञ्चमी, षष्ठी, दशमी, एकादशी तथा द्वादशी तिथियों में, पुष्य, अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तराफाल्गुनी, पुनर्वसु, हस्त, स्वाती, अनुराधा, धनिष्ठा, शतभिष और रेवती नक्षत्रों में पुरुषों के दाहिने अंग तथा स्त्रियों के बाँयें| अंग पर छिपकली का गिरना शुभप्रद होता है। जन्म-नक्षत्र, मृत्यु योग, दग्ध योग तथा भद्रा में, पापग्रह युक्त लग्न हो तथा चन्द्रमा आठवें हों तो छिपकली का गिरना अशुभ फलदायक होता है।

उपाय:

इसकी शान्ति के लिए वस्त्र सहित स्नान कर तिल, उड़द का दान, शिव मन्दिर में दीपदान एवं स्वर्ण-दान अथवा मृत्युजय मन्त्र ‘ॐ हौं जूं सः’ तथा शिव का षडक्षर मन्च ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप एक हजार लाभदायक सिद्ध होता है l

नोट-छिपकली गिरने का जो फल होता है, वहीं फल शरीर पर गिरगिट चढ़ने का भी होता है।

घरेलू बचाव उपाय:

अपने घर को स्वच्छ रखें, खासतर रसोई और बाथरूम क्षेत्र।

खाद्य सामग्री को संरक्षित रखें और खुले खाने से बचें।

छिपकली और गिरगिट के आने के स्थानों को सील करें।

घर के आस-पास वृक्षों को काटने और नालों को साफ रखने का ध्यान रखें।

उपयोगी औषधि: छिपकली द्वारा बचाव के लिए कॉक्रोच बेटल मारक (कॉक्रोच बैटल बैटल) जैसी उपयोगी औषधियों का उपयोग करें।

बाजार में उपलब्ध गिरगिट रिपेलेंट स्प्रे का उपयोग करें।

नियमित जांच: घर में नियमित रूप से छिपकली और गिरगिट के आवागमन की जांच करें और उन्हें तुरंत हटा दें।

प्रश्न 1: शरीर पर छिपकली तथा गिरगिट के गिरने का क्या फल होता है?

उत्तर: शास्त्रों में मान्यता है कि शरीर पर छिपकली या गिरगिट के गिरने का फल आपके भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत हो सकता है। यह घटनाएं आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, धन, संबंध आदि से जुड़ी हो सकती हैं।

प्रश्न 2: शरीर पर छिपकली के गिरने का क्या मतलब होता है?

उत्तर: शरीर पर छिपकली के गिरने का मतलब विभिन्न धार्मिक और ज्योतिषीय परंपराओं के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। यह मतलब आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं में बदलाव, संकेत या समस्याओं की ओर इशारा कर सकता है।

प्रश्न 3: छिपकली के गिरने के कुछ आम मतलब क्या होते हैं?

धन की वृद्धि: छिपकली के गिरने को धन की वृद्धि का संकेत माना जा सकता है। यह आपके धन संबंधी मुद्दों का समाधान करने या आपको आर्थिक लाभ प्रदान करने की संभावना दर्शा सकता है।
यात्रा का संकेत: छिपकली के गिरने को यात्रा का संकेत माना जा सकता है। इसका मतलब हो सकता है कि आपको जल्द ही किसी यात्रा पर जाने का अवसर मिलेगा।
संबंधों में परिवर्तन: छिपकली के गिरने को संबंधों में परिवर्तन का संकेत माना जा सकता है। यह आपके प्रेम संबंधों, दोस्ती या परिवार में आए बदलाव की संभावना दर्शा सकता है।

प्रश्न 4: गिरगिट के गिरने का क्या मतलब होता है?

उत्तर: गिरगिट के गिरने का मतलब विभिन्न परंपराओं और लोकव्यवहारों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। यह मतलब आपके जीवन में नए या अनुप्राप्त होने वाले अच्छे संकेतों का हो सकता है या फिर आपको आगामी समय में सफलता और खुशहाली की संभावना दर्शा सकता है।

प्रश्न 5: क्या यह वास्तु और ज्योतिष विज्ञान के आधार पर है?

उत्तर: हां, यह वास्तु और ज्योतिष विज्ञान के आधार पर विचार किया जाता है। वास्तु और ज्योतिष शास्त्रों में इस प्रकार के छिपकली और गिरगिट के गिरने को विभिन्न परिणामों और प्रभावों का संकेत माना जाता है।

Dreams

Dreams (स्वप्न) देखने का शुभाशुभ फल:

सपने देखने का शुभाशुभ फल व्यक्ति के सपनों की प्रकृति और संदर्भ पर निर्भर करता है। यह अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग फल देने के सकते हैं।

कुछ सपने शुभ हो सकते हैं, जैसे कि सपने में दिव्य प्रकृति के दृश्य, पूजा करना, वृक्षों के नीचे बैठना, या विशेष रूप से पौधों और फूलों के संदर्भ में। ऐसे सपने आपके जीवन में खुशियों और समृद्धि की संकेत कर सकते हैं।

विपरीत रूप में, कुछ सपने अशुभ हो सकते हैं, जैसे कि सपने में गिरना, डरावने दृश्य, या विपत्ति के संकेत। ऐसे सपने आपके जीवन में कुछ मुश्किलों का सुझाव दे सकते हैं।

यदि आपका सपना आपके व्यक्तिगत जीवन में कुछ स्पष्ट संकेत देता है, तो आपको उसे ध्यान से विचार करना चाहिए। हालांकि, सपनों का फल हमेशा निश्चित नहीं होता और उनका अर्थ व्यक्ति के व्यक्तिगत अनुभव और जीवन के संदर्भ पर निर्भर करता है।

आकाश की ओर उड़ना—-लम्बी यात्रा हो

सूर्य को देखना—-किसी महात्मा के दर्शन हो

बादल देखना—-तरक्की हो

घोड़े पर चढ़ना—-व्यापार में उन्नति हो

शीशा में मुंह देखना—-स्त्री से प्रेम हो

ऊँचे से गिरना—-हानि हो, कष्ट हो

बाग फुलवारी देखना—-खुशी प्राप्त हो

बारात देखना—-रंज हो, स्त्री देखे दुःखी हो

पानी बरसता देखना—-अनाज मन्दा

सिर के कटे बाल देखना—-कर्ज से छुटकारा मिले

पाखाना देखना—-धन का लाभ हो

सफेद बाल देखना—-आयू बढ़े

पहाड़ पर चढ़ना—-उन्नति प्राप्त हो

शरीर में पाखाना लगना—-काफी धन मिले

पाखाना खाना—-पूर्ण धनवान् हो, खजाना पाने

पाखाना करना—-धन प्राप्त हो

फूल देखना—-प्रेमी मिले

छाती देखना—-स्त्री वश हो

पानी पीना—-व्यापार में लाभ हो

पान खाना—-सुन्दर स्त्री मिले

पानी में डूबना—-अच्छे काम करे

हरी तरकारी देखना—-प्रसन्नता प्राप्त हो

हँसता देखना—-रंज प्राप्त हो

रोते देखना—-प्रसन्नता प्राप्त हो

जहाज देखना—-दूर की यात्रा हो

झण्डा देखना—-धर्म की वृद्धि हो

जवाहरात देखना—-आशाएं पूर्ण हों

स्त्री-प्रसंग—-धन की प्राप्ति हो

लड़ाई करना—-प्रसन्नता प्राप्त हो

जुआ खेलना—-व्यापार में लाभ हो

चन्द्रमा देखना—-प्रतिष्ठा प्राप्त हो

नदी में तैरते देखना—-कष्ट दूर हो।

Conclusion :

सपने देखने का शुभाशुभ फल सोचना और विचार करना बड़ा महत्वपूर्ण है। यह फल सपने के स्वरूप, विचारों, और भावनाओं पर निर्भर करता है। शास्त्रों और विज्ञानियों के अनुसार, सपने हमारे अंतरात्मा की गहरी आवाज़ हो सकते हैं, जो हमें हमारे जीवन में मार्गदर्शन और संकेत प्रदान कर सकते हैं। यह फल हमारे मानसिक स्वास्थ्य और भविष्य की पूर्वानुमान करने में मदद कर सकता है। इसलिए, हमें अपने सपनों को समझने और उनका मार्गदर्शन लेने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन हमें उन पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए। सपनों का अध्ययन हमारे जीवन को और भी रोचक और ज्ञानपूर्ण बना सकता है, जब हम उन्हें सही दिशा में समझते हैं।

प्रश्न 1: स्वप्न देखने का क्या अर्थ होता है?

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उत्तर: स्वप्न देखना मनुष्य के नींद में आने वाले मानसिक और दृष्टिगत अनुभवों का एक हिस्सा है। स्वप्न विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं और इनमें व्यक्ति अलग-अलग प्रकार के घटनाओं, प्राकृतिक तत्वों, व्यक्तियों या चीजों को देख सकता है।

प्रश्न 2: स्वप्न देखने का शुभ फल क्या हो सकता है?

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उत्तर: स्वप्न देखने का शुभ फल निम्नलिखित हो सकता है:
अच्छे संकेत: कई बार स्वप्न एक शुभ संकेत हो सकता है और आपको आगामी दिनों में अच्छे और सकारात्मक घटनाओं का अनुमान लगा सकता है।
प्रेरणा: स्वप्न आपको प्रेरणा दे सकता है और आपको नई विचारों, कार्यों या निर्णयों की ओर प्रेरित कर सकता है।
आंतरिक संतुष्टि: स्वप्न आपके आंतरिक स्थिति को दर्शा सकता है और आपको आनंद, शांति और संतुष्टि की अनुभूति करा सकता है।

प्रश्न 3: स्वप्न देखने का अशुभ फल क्या हो सकता है?

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उत्तर: स्वप्न देखने का अशुभ फल निम्नलिखित हो सकता है:
चिंता या डर: कुछ स्वप्न चिंता, डर या अच्छी तरह से न सोने की परिस्थिति का प्रतीक हो सकते हैं। यह आपके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के बारे में संकेत दे सकता है।
आंतरिक अस्थिरता: कुछ स्वप्न आपके आंतरिक स्थिति की अस्थिरता या अस्थिरता की स्थिति का प्रतीक हो सकते हैं। यह आपके जीवन के किसी क्षेत्र में अस्थिरता या असुविधा की संभावना दर्शा सकता है।

प्रश्न 4: क्या स्वप्न देखने का हर सप्ताहिक अर्थ होता है?

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उत्तर: नहीं, स्वप्न का अर्थ हर सप्ताह में बदल सकता है। स्वप्न के अर्थ व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक स्थिति, जीवन के परिप्रेक्ष्य और उसके वर्तमान समय की परिस्थितियों पर निर्भर करेंगे। इसलिए, हर सप्ताह के स्वप्न को अलग-अलग तरीके से व्याख्या किया जाना चाहिए।

प्रश्न 5: क्या स्वप्न देखने का फल हमारे भविष्य को दर्शाता है?

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उत्तर: स्वप्न का फल हमारे भविष्य को पूर्वानुमान नहीं करता है, बल्कि वह हमारे मन और आंतरिक स्थिति के संकेत का हिस्सा होता है। स्वप्न एक आंतरजाग्रत अनुभव है और इसका फल व्यक्ति की आंतरिक संदर्भों पर निर्भर करेगा। इसलिए, स्वप्न को सिर्फ भविष्य के पूर्वानुमान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उसे आंतरिक संदेश के रूप में समझना चाहिए।

Cheenk

(Cheenk Vichar )छींक-विचार:

 

ज्योतिष के आधार पर छींक का महत्व

ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को अध्ययन करता है और हमें हमारे जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसमें भाग्य, ग्रहों का प्रभाव, राशिफल, और अन्य विभिन्न पारंपरिक मान्यताओं के बारे में विवेचना की जाती है।

ज्योतिष के अनुसार, छींक एक ऐसा मामूली घटना है जिसमें ब्रह्मांड के प्लानेट्स और तारे भी शामिल होते हैं। इस लेख में, हम ज्योतिष के आधार पर छींक के महत्व को समझने का प्रयास करेंगे। इस आलेख में, हम ज्योतिष के माध्यम से छींक के महत्व की गहराई से जानेंगे और कैसे यह हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है, इसके साथ ही ज्योतिष के आधार पर छींक का अध्ययन करेंगे।

छींक का महत्व ज्योतिष में

ज्योतिष के अनुसार, छींक एक ऐसी घटना है जिसमें ग्रहों और तारों का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह विशेष रूप से किसी की जन्मकुंडली के तारे और ग्रहों के स्थिति के साथ जुड़ा होता है। ज्योतिषकार इसे व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं, और इसे उनके भविष्यवाणियों का हिस्सा मानते हैं।

छींक के प्रकार

ज्योतिष के अनुसार, छींक के कई प्रकार होते हैं और हर प्रकार का छींक व्यक्ति के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव डाल सकता है। कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. महा-अशुभ छींक: इसे अत्यंत अशुभ माना जाता है, और इसका आना व्यक्ति के लिए कठिनाइयों और दुखों का कारण हो सकता है।
  2. गौ की छींक: इसे ब्रह्मांड की एक अद्भुत घटना माना जाता है जो मृत्यु का कारण हो सकती है।
  3. बायीं ओर छींक: इसे दोषकारक नहीं माना जाता है, और यह छींक व्यक्ति के लिए अधिक प्रभावशाली नहीं होती।

छींक और ज्योतिष

ज्योतिष के अनुसार, छींक व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है। इसके आधार पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:

  1. सम्मुख छींक और लड़ाई: ज्योतिषकार इसे युद्ध या विवाह के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानते हैं। छींक की स्थिति के आधार पर इन घटनाओं का प्रभाव हो सकता है।
  2. छींक और सामाजिक प्रतिष्ठा: कुछ छींक को समाज में अशुभ माना जाता है, जैसे कि कन्या, विधवा, धोबिन, और अन्त्यज की छींक। इसके कारण व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  3. छींक का समय: ज्योतिष के अनुसार, छींक का समय भी महत्वपूर्ण होता है। कुछ विशेष कार्यों के लिए छींक अशुभ मानी जाती है, जैसे कि आसन, शयन, औषधि-सेवन, और युद्ध।
  4. लोकोक्तियाँ और छींक: ज्योतिष के साथ-साथ लोकोक्तियाँ भी छींक के महत्व को दर्शाती हैं। यहाँ तक कि कहा जाता है, “एक नाक दो छींक, काम बने सब ठीक”।

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छींक प्रायः सभी दिशाओं की खराब होती है। अपनी छींक महा-अशुभ है। गौ की छींक मरण करती है। बायीं ओर छींक हो तो दोषकारक नहीं है।

सम्मुख छींक लड़ाई भाखे।

छींक दाहिने द्रव्य विनाशे॥

ऊँची छींक कहे जयकारी।

नीची छींक होय भयकारी॥

कन्या, विधवा, मालिन, धोबिन, वेश्या, रजस्वला स्त्री और अन्त्यज की छींक विशेष अशुभ होती है।

आसन, शयन, शौच, दान, भोजन, औषधि-सेवन, विद्यारम्भ और बीज बोने के समय, युद्ध या विवाह, सर्दी से होने वाली छींक, बच्चे और बूढ़े की छींक तथा हठ से छींकना विफल होता है, कोशिश करने पर भी यदि छींक न रुके तो मनुष्य जिस काम के लिए जा रहा हो उसमें विघ्न अवश्य होगा। ‘एक नाक दो छींक, काम बने सब ठीक’ यह भी लोकोक्ति है।

समापन शब्द

छींक का महत्व और इसके ज्योतिषीय अर्थ व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं, और यह एक पारंपरिक मान्यता का हिस्सा भी हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार, हर छींक का एक विशेष मतलब होता है, और इसे ध्यान में रखकर कई लोग अपने जीवन के निर्णय लेते हैं। यदि आपकी भी छींक का महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो आपको इसे सावधानीपूर्वक देखना चाहिए और उसके आधार पर अपने निर्णय लेना चाहिए।

 

प्रश्न 1: छींक-विचार क्या है?

उत्तर: छींक-विचार एक पौराणिक और ज्योतिषीय आदर्श है जिसके अनुसार व्यक्ति के छींकने के समय आते हुए विचार उसके भाग्य और आने वाले कार्यों के संकेत होते हैं

प्रश्न 2: क्या छींक-विचार का कोई वैज्ञानिक साबित होता है?

उत्तर: नहीं, छींक-विचार का वैज्ञानिकता से कोई सीधा संबंध नहीं है। यह एक आध्यात्मिक और पौराणिक आदर्श है जिसे कई लोग मानते हैं। छींक-विचार के बारे में विभिन्न मत हैं और इनका सत्यापन वैज्ञानिक रूप से समर्थित नहीं है।

प्रश्न 3: छींक-विचार का क्या महत्व है?

उत्तर: छींक-विचार व्यक्ति के मन में उठने वाले विचारों का प्रतीक होता है और उसके आगामी कार्यों के संकेत देता है। इसका महत्व व्यक्ति के जीवन में विचारों के दायरे को समझने और आगे की योजनाएं बनाने में मदद करने में है।

प्रश्न 4: छींक-विचार का क्या प्रभाव होता है?

उत्तर: छींक-विचार का प्रभाव व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर निर्भर करेगा। छींकने के समय उठने वाले विचार व्यक्ति के मन की स्थिति और भविष्य की घटनाओं के प्रति उसकी दृष्टि को प्रभावित कर सकते हैं।

प्रश्न 5: क्या छींक-विचार निश्चितता का संकेत हो सकता है?

उत्तर: छींक-विचार व्यक्ति के भाग्य के बारे में संकेत देता है, लेकिन यह किसी निश्चितता का संकेत नहीं होता है। यह केवल एक आदर्श है और इसकी सत्यता वैज्ञानिक रूप से समर्थित नहीं है। इसलिए, छींक-विचार को निश्चितता का संकेत मानना उचित नहीं है।

Baby Teeth Results

बच्चों के दांतों के आने का महत्व: जानिए और समझें

Baby Teeth Results, बच्चों के दांतों के आने का महत्व

बच्चे के जन्म के साथ ही उसके दांतों का आना एक महत्वपूर्ण घटना होती है। इस लेख में, हम बच्चों के दांतों के आने के महत्व को जानेंगे और उनके आने के समय होने वाले अरिष्टों के बारे में भी चर्चा करेंगे।

बच्चों के जन्मते ही दांत निकले हुए हों

तो माता-पिता को अरिष्ट, ऊपर पंक्ति में दांत जमे तो अधिक अरिष्ट।

प्रथम ऊपर की पंक्ति में दांत निकले तो मातुल पक्ष को भय हो।

पहले मास में दांत निकले तो शरीर नष्ट, दूसरे में छोटा भ्राता नष्ट,

तीसरे में बहन नष्ट, चौथे में भाई नष्ट, पाँचवें में ज्येष्ठ बन्धु नष्ट,

छठे में भोग, सातवें में पिता-सुख, आठवें में पुष्टता,

नौवें में धनी, दसवें में सुखी, ग्यारहवें में धनी।

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एक नक्षत्र जातक फल

पिता-पुत्र, माता-पुत्र व कन्या, दो भ्राता इनका एक नक्षत्र में जन्म हो तो दोनों में से एक को मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। सोना दान, शान्ति हवन आदि करने से अरिष्ट निवारण होता है।

यदि पहले मास में बालक के दांत निकल आएं तो बालक स्वयं अपने लिए कष्टकारी होता है।

उसके दूसरे मास में दांत आएं तो भाई के लिए, तीसरे मास में आएं तो बहन के लिए, चौथे मास में निकल आएं तो माता के लिए कष्टकारी होता है। सातवें मास में दांत निकाले तो पिता के लिए सुखदायक होता है। आठवें मास में दांत निकाले तो देह के लिए अच्छा होता है। यानि शरीर अच्छा होता है।

नवें मास में बालक दांत निकाले तो धन की प्राप्ति होती है। दसवें मास में दांत निकालने पर घर में समृद्धि होती है। 11 वे मास में दांत निकाले तो बहुत ही भाग्यशाली होता है। 12वे मास में दांत निकाले तो बहुत ही धन की प्राप्ति होती है।

यदि बच्चा गर्भ से ही दांत निकाल कर पैदा हो तो:

माता-पिता के सुख से विहीन हो सकता है। बच्चे के ऊपर की पंक्ति में दांत निकाले तो माता-पिता व नाना के पक्ष के लिए हानिकारक होता है। अशुभ महीनों में बच्चे के दांत निकाले तो पूजा-अर्चना करनी पड़ती है।

बच्चे के जन्म दिन 10, 12, 16, 22, 32 वें दिन बच्चे को आरामदेह झूले में सुलाना चहिए। झूले में डालने से पूर्व शुभ तिथी वार, नक्षत्र, शुभ तिथी योग आदि का विचार कर लेना चाहिए। झूले में माता, दादी, दादा के द्वारा भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए बच्चे का सिर पूर्व की ओर रखकर शिशु को सुलाना चाहिए।

शुभ तिथियां हैं :

1 (कृतिका), 2, 3, 5, 7, 10, 11, 13 (शुक्ल पक्ष) व पूर्णिमा।

शुभवार हैं:

सोम, बुध, गुरु एवम शुक्रवार।

ग्राह्य नक्षत्र:

अश्विनी, रोहिणी, मृग., पुनवसु, तीनों उत्तरा, हस्त, चित्रा तथा अनुराधा।

निष्क्रमण मुहूत्र्त:

जन्म से 3, 4 मासों में निम्नलिखित शुभ योगों में बालक को प्रथम बार घर से बाहर निकालना हितकर होता है। यदि आवश्यक हो तो 12 वें दिन भी निकाला जा सकता है।

शुभ तिथियां हैं:

2, 3, 4, 7, 10, 11, 12 (शुक्लपक्ष) एवम 15।

शुभवार:

सोम, बुध, गुरु, तथा शुक्र।

शुभ नक्षत्र:

अश्विन, मृग, पुन, पुष्य, हस्त, अनु, श्रवण व धनिष्ठा।

शुभ लगन:

2, 3, 4, 5, 6, 7, 9, 10, 11 राशि लगन।

माता, दादी आदि परिजन बालक या बालिका को स्नानादि करवा कर वस्त्रादि से अलंकृत करें तथा पुण्यहवाचन, शंख और मंगल मंत्रों से एवम गीत वाद्य सहित ध्वनि के साथ उसे मंदिर ले जाकर माथा टेकावें। मंदिर की परिक्रमा करके उसे वापस ले आवें। बच्चे का सूर्य दर्शन तथा चंद्र दर्शन करवाना चाहिए।

बच्चे का दांत आराम से निकले इसके लिए घरेलू टोटके – छोटे बच्चों के दांत अक्सर जन्म से 2 माह के बाद से निकलने शुरु हो जाते हैं। कई बच्चों के दांत 6 माह में और कुछ के 12 माह में निकलते हैं। जैसे ही बच्चा दांत निकालना शुरु करता है, वह चिड़चिड़ा हो जाता है। उसके पेट में दर्द होना शुरु हो जाता है और वह बार-बार रोता है। उसका सिर भारा और गर्म रहता है, और बुखार भी आ सकता है।

माता-पिता को यह समझने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है कि बच्चे को क्या हो रहा है। बच्चे को पेट में दर्द भी होता है और मसूड़े सख्त हो जाते हैं। लेकिन इसमें घबराने की कोई बात नहीं है।

इस लेख में हमने बच्चों के दांतों के आने के महत्व को जाना और उनके आने के समय होने वाले अरिष्टों के बारे में भी चर्चा की है। बच्चों के दांतों का सही समय पर आना माता-पिता के लिए भी खुशियों का संकेत होता है और उनके बच्चे के लिए भी आरामदायक होता है।

क्या मुझे दाँत निकालने के बाद स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं?

ज्योतिष के अनुसार, दाँत निकालने के बाद कुछ लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, यह आपकी जन्मकुंडली और ग्रहों के स्थिति पर निर्भर करेगा। ज्योतिष विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित होगा ताकि आपको अपने स्वास्थ्य की देखभाल के बारे में ज्ञात कर सकें।

क्या दाँत निकालने के बाद मेरी वित्तीय स्थिति पर प्रभाव पड़ेगा?

ज्योतिष में वित्तीय मामलों को ग्रहों के संयोग से जोड़ा जाता है, और यह व्यक्ति के व्यक्तिगत चार्ट पर निर्भर करेगा। दाँत निकालने के बाद वित्तीय प्रभाव अलग-अलग हो सकता है। आपको एक ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए ताकि आप इस बारे में अधिक जान सकें।

क्या मेरा भाग्य दाँत निकालने के बाद परिवर्तित होगा?

ज्योतिष में भाग्य को ग्रहों और कुंडली के संयोग से जोड़ा जाता है। दाँत निकालने के बाद भाग्य पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन यह व्यक्ति के व्यक्तिगत कार्यों, प्रयासों और ग्रहों के संयोग पर भी निर्भर करेगा। आपको एक ज्योतिषी के साथ व्यक्तिगत विश्लेषण करवाना चाहिए ताकि आप अपने भाग्य के बारे में अधिक जान सकें।

Fasting and Its impact on Human Body

Fasting and Its impact on Human Body

Fasting, a rejuvenation of Body

Fasting is the terminology related to our culture and deities, the age-old practice is followed but the understanding of its deep meaning can change the whole perspective. Fasting is associated with an empty stomach for the reason that ‘no-food’ stomach provides nothing for digestion to the stomach so that the body can meditate with its full potential.

Fasting done on a particular day is either to strengthen the power of the Lord of the day or to reduce its effect, when we amplify the Lord’s power we intake their preferred food as blessed food and to minimize its effect we offer the same to some priest or in some temple.

The Psychological Benefits of Fasting: Unlocking Mental Clarity and Emotional Well-being

At Konark Jyotish , we believe in the trans-formative power of fasting for both physical and mental well-being. In this article, we explore the fascinating psychological benefits of fasting and how it can enhance your mental clarity and emotional balance. As a premier authority on health and wellness, we aim to provide you with comprehensive insights and actionable information to help you optimize your well-being.

The Mind-Body Connection

The mind and body are intricately connected, and fasting has been shown to have profound effects on both. While fasting is often associated with physical health benefits, its impact on psychological well-being is equally remarkable. Let’s delve into the psychological benefits of fasting and discover how it can positively influence your mental state.

Enhanced Cognitive Function

One of the most notable psychological benefits of fasting is the enhancement of cognitive function. When your body enters a fasted state, it undergoes metabolic changes that promote the production of ketones. These ketones provide an alternative energy source for the brain, leading to improved cognitive performance, mental clarity, and focus.

Increased Brain-Derived Neurotrophic Factor (BDNF)

Fasting has been shown to increase the production of Brain-Derived Neurotrophic Factor (BDNF). BDNF plays a crucial role in neuronal development and promotes the growth of new neurons, which enhances learning, memory, and overall cognitive function. This neurotrophic factor also helps protect against age-related cognitive decline and neurodegenerative diseases.

Heightened Emotional Resilience

Fasting can have a profound impact on emotional well-being by promoting emotional resilience and stability. By abstaining from food for a specific duration, your body undergoes physiological changes that can positively influence your emotional state. Fasting triggers the release of endorphins, commonly known as “feel-good” hormones, which can uplift your mood, reduce stress, and foster a sense of well-being.

Regulation of Neurotransmitters

Certain neurotransmitters, such as serotonin and dopamine, play a crucial role in regulating mood and emotions. Fasting has been found to modulate the levels of these neurotransmitters, leading to improved emotional balance and reduced symptoms of depression and anxiety. By regulating these chemical messengers, fasting can contribute to a greater sense of calm, contentment, and mental stability.

Psychological Clarity and Spiritual Connection

Fasting has been practiced for centuries as a means of gaining mental clarity and deepening one’s spiritual connection. By abstaining from food, individuals often report heightened levels of focus, concentration, and self-awareness. This heightened state of consciousness allows for introspection, self-reflection, and a deeper understanding of one’s values and purpose in life.

Mindfulness and Presence

During fasting, individuals often experience a heightened sense of mindfulness and presence. By intentionally focusing on the present moment and one’s internal experiences, fasting becomes an opportunity for self-exploration and self-discovery. This state of mindfulness can lead to increased self-acceptance, improved emotional intelligence, and a greater appreciation for the present moment.

Strengthening of Willpower and Discipline

Fasting requires discipline and willpower, as it challenges our ingrained habits and patterns surrounding food. By successfully completing a fast, individuals develop a greater sense of self-control and resilience. This strengthened willpower can transcend beyond fasting itself, positively impacting various areas of life, such as work, relationships, and personal goals.

Strategies for Incorporating Fasting into Your Lifestyle

Now that we’ve explored the numerous psychological benefits of fasting, you may be wondering how to incorporate it into your lifestyle. Here are some practical strategies to help you embark on your fasting journey:

  1. Start with Intermittent Fasting: Begin by gradually extending the duration between meals, allowing your body to adapt to longer fasting periods.
  2. Experiment with Different Fasting Protocols: Explore various fasting methods, such as alternate-day fasting, 16/8 fasting, or time-restricted feeding, to find the approach that suits you best.
  3. Seek Professional Guidance: If you have any underlying health conditions or concerns, consult with a healthcare professional or registered dietitian before starting any fasting regimen.
  4. Prioritize Hydration and Nutrient-Dense Foods: During non-fasting periods, focus on consuming a balanced diet rich in essential nutrients and staying adequately hydrated.
  5. Practice Self-Care: Incorporate stress-management techniques, such as meditation, exercise, and sufficient sleep, to support your overall well-being during fasting.

 

 

  1. उपवास, शरीर के पुनर्जीवन का एकांतरिक रूप है। यह प्रथा हमारी संस्कृति और देवताओं से जुड़ी होती है, जो अत्याधुनिक विचार को बदल सकती है। उपवास खाली पेट से संबंधित है क्योंकि ‘बिना भोजन’ वाला पेट पेट को पचाने के लिए कुछ नहीं प्रदान करता है, जिससे शरीर अपनी पूरी क्षमता के साथ ध्यान कर सके।
  2. किसी विशेष दिन का उपवास या तो दिन के ईश्वर की शक्ति को मजबूत करने के लिए होता है या उसके प्रभाव को कम करने के लिए होता है, जब हम ईश्वर की शक्ति को अधिक करते हैं, तो हम उनके प्राथमिक आहार को वरदानित भोजन के रूप में सेवन करते हैं और इसके प्रभाव को कम करने के लिए हम उसे किसी पुजारी को या किसी मंदिर में दान करते हैं।
  3. उपवास के मनोवैज्ञानिक लाभ: मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक समता का खोल
  4. कोणार्क ज्योतिष में, हम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए उपवास की पुनर्जीवित करने की शक्ति में विश्वास रखते हैं। इस लेख में, हम उपवास के मनोवैज्ञानिक लाभों का पता लगाएंगे और देखेंगे कि यह आपकी मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन को कैसे सुधार सकता है। स्वास्थ्य और स्वास्थ्य पर प्रमुख प्राधिकरण के रूप में, हम आपको सम्पूर्ण जानकारी और क्रियात्मक जानकारी प्रदान करने का उद्देश्य रखते हैं ताकि आप अपने वेलबीइंग को अधिक अच्छा बना सकें।
  5. मन-शरीर कनेक्शन
  6. मन और शरीर गहराई से जुड़े हुए हैं, और उपवास का गहरा प्रभाव दोनों पर गहरा प्रभाव डालता है। जब आपके शरीर में उपवासी अवस्था आती है, तो इससे शरीरिक बदलाव होते हैं जो मस्तिष्क के लिए एक पर्यावरण परिवर्तन उत्पन्न करते हैं। ये केटोन्स मस्तिष्क के लिए एक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत प्रदान करते हैं, जिससे मानसिक प्रदर्शन, मानसिक स्पष्टता और ध्यान में सुधार होता है।
  7. ब्रेन-डेराइव्ड न्यूरोट्रोफिक फैक्टर (बीडीएनएफ)
  8. उपवास करने से ब्रेन-डेराइव्ड न्यूरोट्रोफिक फैक्टर (बीडीएनएफ) का उत्पादन बढ़ाता है। बीडीएनएफ न्यूरॉनिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और नए न्यूरॉन्स के विकास को बढ़ाता है, जो सीखने, स्मृति और कुल मानसिक प्रदर्शन को बेहतर बनाता है। यह न्यूरोट्रोफिक फैक्टर उम्र संबंधी मानसिक दूसरों की गिरावट और न्यूरोडेजेनरेटिव रोगों से सुरक्षा करने में मदद करता है।
  9. भावनात्मक सहनशक्ति
  10. उपवास मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालकर भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। एक निश्चित अवधि तक भोजन से इनकार करके, आपके शरीर में भौतिकीय परिवर्तन होते हैं जो आपकी भावनात्मक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। उपवास से एंडोर्फिन के उत्सर्जन को प्रेरित किया जाता है, जिन्हें “अच्छा महसूस करने वाले” हार्मोन के रूप में जाना जाता है, जो आपकी मनोदशा को उत्साहित कर सकते हैं, तनाव को कम कर सकते हैं, और एक संतुष्टि की भावना को बढ़ा सकते हैं।
  11. न्यूरोट्रांसमिटर्स का नियंत्रण
  12. कुछ न्यूरोट्रांसमिटर्स, जैसे सीरोटोनिन और डोपामाइन, मनोदशा और भावनाओं को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उपवास करने से इन न्यूरोट्रांसमिटर्स के स्तरों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे भावनात्मक संतुलन में सुधार होता है और अवसाद और चिंता के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इन रासायनिक संदेशकों को नियंत्रित करके, उपवास शांति, संतुष्टि और मानसिक स्थिरता की अधिकता में सहायता कर सकता है।
  13. मनोवैज्ञानिक स्पष्टता और आध्यात्मिक संबंध
  14. उपवास को सदियों से मानसिक स्पष्टता प्राप्त करने और अपने आध्यात्मिक संबंध को गहन करने का एक तरीका के रूप में अपनाया गया है। भोजन से इनकार करके, लोग अक्सर फोकस, एकाग्रता और स्वयंज्ञान में बढ़ी हुई स्तरों की रिपोर्ट करते हैं। इस ऊंचा स्तर की चेतना को आत्मनिरीक्षण, आत्म-प्रतिचिंतन और जीवन में अपने मूल्यों और उद्देश्य की गहराई की एक गहरी समझ के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  15. सचेतता और उपस्थिति
  16. उपवास के दौरान, लोग अक्सर ज़्यादा सचेत होने और उपस्थिति की भावना का एक ऊंचा स्तर अनुभव करते हैं। संज्ञानयोग्य रूप से वर्तमान क्षण पर और अपने आंतरिक अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करके, उपवास स्व-खोज और स्व-खोज के लिए एक अवसर बन जाता है। इस स्मृति की स्थिति के माध्यम से आत्म-स्वीकृति में वृद्धि होती है, मानसिक बुद्धिमत्ता में सुधार होता है और वर्तमान क्षण के प्रति अधिक आभार बढ़ता है।
  17. इच्छाशक्ति और अनुशासन की मजबूती
  18. उपवास करने के लिए अनुशासन और इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह हमारी खाद्य से संबंधित नियमित आदतों और पैटर्न्स को परखता है। उपवास सफलतापूर्वक पूरा करने से, व्यक्ति में स्वयं-नियंत्रण और सहनशीलता की एक अधिकता विकसित होती है। यह मजबूत इच्छाशक्ति उपवास के पार चलती है, जो काम, संबंध और व्यक्तिगत लक्ष्यों जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
  19. अपने जीवनशैली में उपवास को शामिल करने के लिए रणनीतियाँ
  20. अब जब हमने उपवास के कई मनोवैज्ञानिक लाभों का पता लगाया है, तो आप शायद सोच रहे होंगे कि इसे अपनी जीवनशैली में कैसे शामिल करें। यहां आपकी सहायता करने के लिए कुछ व्यावहारिक रणनीतियाँ हैं:
  21. इंटरमिटेंट फास्टिंग से शुरू करें: अपने भोजन के बीच के अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए शुरू करें, जिससे आपके शरीर को लंबे समय तक उपवास की अवधि के लिए सहजता मिलती है।
  22. विभिन्न उपवास प्रोटोकॉल के साथ प्रयोग करें: विभिन्न उपवास विधियों, जैसे कि अल्टरनेट-डे फास्टिंग, 16/8 फास्टिंग या समय-सीमित भोजन, को जांचें, ताकि आप अपनी बेहतर से बेहतर तकनीक ढूंढ सकें।
  23. पेशेवर मार्गदर्शन की तलाश करें: यदि आपके पास कोई निचली स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या या चिंता है, तो उपवास शुरू करने से पहले किसी हेल्थकेयर पेशेवर या पंजीकृत डाइटेशियन की सलाह लें।
  24. हाइड्रेशन और पोषक तत्वयुक्त आहार को प्राथमिकता दें: उपवास अवधि के दौरान नियमित भोजन को ध्यान दें जिसमें आवश्यक पोषक तत्व शामिल हों और पर्याप्त हाइड्रेशन का ध्यान रखें।
  25. सेल्फ-केयर का अभ्यास करें: ध्यान, व्यायाम और पर्याप्त नींद जैसी तनाव प्रबंधन तकनीकों को शामिल करें, जो उपवास के दौरान आपके कुल स्वास्थ्य का समर्थन करें।
  26. निष्कर्ष
  27. उपवास मानसिक लाभों की अदान-प्रदान करता है, जिसमें मानसिक क्षमता के सुधार, भावनात्मक सहनशीलता, और स्पष्टता और उद्देश्य के गहरे अनुभव का गहनी अनुभव है। उपवास को अपनी जीवनशैली में शामिल करके, आप अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए इसमें संपूर्ण करामात्मक पोटेंशियल का खोल सकते हैं। उपवास की यात्रा को अपनाएं और मन और शरीर दोनों को पोषण देने की इसमें छिपी हुई अविश्वसनीय क्षमता की खोज करें।
  28. याद रखें,कोणार्क ज्योतिष पर हम आपको आपके वेलबीइंग को अधिक अच्छा बनाने के लिए सबसे विश्वसनीय और समग्र जानकारी प्रदान करने के प्रतिबद्ध हैं। अपनी उपवास यात्रा शुरू करें।

 

 

Conclusion

Fasting offers a wealth of psychological benefits, including enhanced cognitive function, emotional resilience, and a deepened sense of clarity and purpose. By incorporating fasting into your lifestyle, you can unlock the transformative power it holds for your mental well-being. Embrace the journey of fasting, and discover the incredible potential it has to nourish both your mind and body.

Remember, at [Your Company Name], we are dedicated to providing you with the most reliable and comprehensive information to help you optimize your well-being. Start your fasting

The 7 Days

Fasting on Sunday is for Sun God, for Moon we fast on Monday, to please Mars it’s Tuesday. Mercury is the Lord of Wednesday that cures skin problems, now comes the most crucial day Thursday with Jupiter as its Lord. On this day since our birth till our end, all the hormones re-develop Jupiter controls the hormonal balance i.e. if they are more then they get detoxed but gain more power if they require rebuilding. Friday is associated with Venus whereas Saturn is the Lord of Saturday.

Food Consumed

  • The non-fasting days should be spent with care, the type of food we intake impacts the cell formation in our body, the cells that possess all the qualities of food consumed transfers them to our coming generation. The non-vegetarian diet increases anxiety, anger, and the consumer will adopt the quality equivalent to the animal eaten, it affects our mentality, plants and trees are simpletons they don’t react but the animals do, the food so consumed will not let us realize the full potential of meditation.

FAQ:

Q: What is fasting?

A: Fasting is the practice of voluntarily abstaining from food and sometimes drink for a specific period of time. It has been practiced for religious, spiritual, and health reasons for centuries.

Q: How does fasting impact the human body?

A: Fasting can have various effects on the human body. Here are some key impacts:
Weight loss: Fasting can lead to weight loss as it restricts calorie intake and forces the body to use stored fat for energy.
Insulin sensitivity: Fasting can improve insulin sensitivity, helping regulate blood sugar levels and reducing the risk of type 2 diabetes.
Cellular repair: During fasting, the body initiates cellular repair processes such as autophagy, where damaged cells are removed and replaced with new ones.
Hormonal changes: Fasting can cause changes in hormone levels, such as increased production of human growth hormone (HGH), which may have benefits for muscle growth and fat loss.
Mental clarity: Some people experience increased mental clarity and focus during fasting, attributed to improved brain function and increased production of a protein called brain-derived neurotrophic factor (BDNF).

Q: Are there different types of fasting?

A: Yes, there are several types of fasting, including:
Intermittent fasting: Involves cycling between periods of fasting and eating within a specified time window.
Alternate-day fasting: Involves fasting every other day, consuming little to no calories on fasting days.
Extended fasting: Involves fasting for more extended periods, usually lasting 24 hours or more.
Water fasting: Involves consuming only water and no food for a set duration.

Q: Are there any potential risks or side effects of fasting?

A: While fasting can have benefits, it may not be suitable for everyone. Some potential risks and side effects include:
Nutritional deficiencies: Prolonged fasting without proper nutrition can lead to deficiencies in essential nutrients.
Blood sugar issues: People with diabetes or other blood sugar-related conditions should be cautious with fasting, as it can affect blood glucose levels.
Dehydration: Extended fasting or fasting without adequate fluid intake can cause dehydration.
Fatigue and irritability: Some individuals may experience fatigue, irritability, or difficulty concentrating during fasting.

Q: Is fasting recommended for everyone?

A: Fasting may not be suitable for everyone, especially those with certain medical conditions, pregnant or breastfeeding women, children, and individuals with a history of disordered eating. It is advisable to consult a healthcare professional before initiating any fasting regimen to ensure it is safe for you.

Q: Can fasting be combined with exercise?

A: Moderate exercise during fasting periods is generally safe and can even enhance fat burning. However, intense or prolonged exercise while fasting may lead to fatigue and decreased performance. It is essential to listen to your body and adjust exercise intensity accordingly.

Importance of Astrology & Astrologer

Importance of Astrology & Astrologer

The logical hemisphere, the outward thinking and inward doing, of human brain comprises of Air and Earth element whereas and the spiritual hemisphere, the outward perspective, and inward intuition and feeling, are composed with Fire and Water element. Astrology coordinates both the realms, it involves the analysis of time and event process then associates it with vision, sensation, and vibration.

Astrology and astrologers play a significant role in many people’s lives for various reasons. Here are some of the key aspects highlighting their importance:

  1. Self-Discovery and Self-Awareness: Astrology provides individuals with insights into their personalities, strengths, weaknesses, and life paths based on their birth charts. It can lead to greater self-discovery and self-awareness, helping individuals make informed decisions and navigate life’s challenges more effectively.
  2. Guidance and Decision-Making: Many turn to astrologers for guidance when making important life decisions, such as career choices, relationships, and investments. Astrologers can offer personalized advice based on the alignment of celestial bodies, assisting individuals in making choices that resonate with their cosmic energies.
  3. Understanding Relationships: Astrology is often used to assess compatibility in personal and romantic relationships. By analyzing the birth charts of two individuals, astrologers can provide insights into the dynamics of their relationship, helping them better understand each other and resolve conflicts.
  4. Timing of Events: Astrology can help individuals choose auspicious times for significant life events, such as weddings, business launches, or travel. By considering astrological factors, people aim to enhance the likelihood of success and positive outcomes.
  5. Spiritual Growth: For some, astrology is a spiritual practice that fosters a deeper connection to the universe and a sense of purpose. It can serve as a tool for personal growth and a means of exploring one’s spiritual journey.
  6. Coping with Challenges: During challenging times, individuals may turn to astrology for comfort and guidance. Astrologers can offer insights into the potential causes of difficulties and suggest coping strategies aligned with an individual’s astrological profile.
  7. Historical and Cultural Significance: Astrology has a rich history and cultural significance in many societies worldwide. It has influenced art, literature, and philosophy and continues to be a source of fascination and intrigue.
  8. Entertainment and Fun: Some people engage with astrology for entertainment and enjoyment. Reading horoscopes in newspapers or online can be a lighthearted way to start the day and share astrological insights with friends.
  9. Community and Belonging: Astrology enthusiasts often form communities and social groups to discuss and explore astrological topics. This sense of belonging can provide support and a shared interest among like-minded individuals.

Importance of Astrology

We are bound in the materialistic things of this practical world to the extent that the reality of stars, other cosmic bodies, their magic, and influence becomes foggy, it’s when the right brain influences the left brain and two realms combine we start developing faith in our heart to realize the fact that every soul is affected by the stars. Astrology is a mysterious language that develops the understanding of the unreachable power.

  1. Self-awareness and insight: Astrology can provide individuals with insights into their personality traits, strengths, weaknesses, and life patterns. It helps foster self-awareness and encourages personal growth.
  2. Understanding relationships: Astrology can offer guidance in understanding compatibility and dynamics in relationships, whether romantic, familial, or professional. It can help individuals navigate their interactions and improve communication.
  3. Life guidance and decision-making: Astrology can assist individuals in making informed decisions about important aspects of life, such as career choices, education, investments, and major life events. It offers a unique perspective and helps individuals align their actions with cosmic energies.
  4. Timing and planning: Astrology provides tools for timing important events and activities. By analyzing planetary positions and transits, astrologers can suggest auspicious times for significant undertakings, such as starting a business, getting married, or embarking on a new venture.
  5. Spiritual and metaphysical exploration: Astrology has connections to ancient spiritual practices and belief systems. It offers a holistic approach to understanding the interconnectedness of the universe and an individual’s place within it. It can be a tool for spiritual growth and exploration

Need of Astrologer

An astrologer is not limited to the analysis of birth charts, he is the motivational speaker who cannot alter the fate but can suggest motivational remedies to reduce the impact of adverse planetary positions. Suppose the astrologer predicts the down graph of your future, won’t it dishearten you? Or suppose a bright prediction is conveyed then there is a risk that it will make you reckless. So, should we or shouldn’t we consult an astrologer?

A genuine astrologer will interlink your horoscope with your karmas; he, with the astrological skills, will motivate you to effectively perform your duties. The astrologer should guide you, encourage you in your endeavors but should not direct your life with his impact words

Celestial objects entice vibrations that impact our lives and have the power to change the course we formulated in our minds. But an authenticate scholar with the correct degree of stimulation can escort you towards your true chosen aspect. Your Karmas, your company decide what you are and with the help of a genuine astrologer, you can either enhance or subsidize the effect of your karmas.

 

 

  1. Chart analysis: Astrologers analyze birth charts, also known as horoscopes or natal charts, which map the positions of celestial bodies at the time of an individual’s birth. They interpret these charts to gain insights into a person’s personality, strengths, weaknesses, and life patterns.
  2. Guidance and counseling: Astrologers offer guidance and counseling based on their understanding of astrological principles. They can help individuals gain clarity, make informed decisions, and navigate various aspects of life such as career, relationships, health, and personal growth.
  3. Predictions and forecasting: Astrologers use planetary positions and transits to make predictions and forecast potential future events and trends. However, it’s important to note that astrology does not provide absolute certainty, but rather offers possibilities and probabilities.
  4. Remedies and suggestions: Astrologers may suggest specific remedies, such as wearing gemstones, performing rituals, or practicing certain spiritual disciplines, to mitigate challenges or enhance positive planetary influences.
  5. Ethical practice: A responsible astrologer adheres to ethical guidelines, respects client confidentiality, and provides unbiased guidance without exploiting fears or vulnerabilities.

 

 

मानव मस्तिष्क का तार्किक पहलू, बाहरी सोच और अंदरूनी क्रिया, वायु और पृथ्वी तत्व से मिलकर बना होता है, जबकि आध्यात्मिक पहलू, बाहरी दृष्टि, और अंदरूनी अनुभूति और भावना से मिलता है, वह अग्नि और जल तत्व से मिलकर बना होता है। ज्योतिष दोनों क्षेत्रों को समन्वयित करता है, यह समय और घटना प्रक्रिया का विश्लेषण करता है और फिर इसे दर्शन, अनुभूति और ध्वनि से जोड़ता है।

ज्योतिष का महत्व

हम इस व्यावहारिक दुनिया की पदार्थवादी चीजों में बंधे हुए हैं जब तक कि तारों, अन्य ब्रह्मांडीय शरीरों, उनके जादू और प्रभाव की वास्तविकता धुंधली नहीं हो जाती, यह वही समय है जब दायीं हेमिस्फियर बाएं हेमिस्फियर को प्रभावित करते हैं और दो क्षेत्रों को मिलाने पर हमारे दिल में विश्वास विकसित होने लगता है कि हर आत्मा को तारों का प्रभाव होता है। ज्योतिष एक रहस्यमयी भाषा है जो पहुंच नहीं पाने वाली शक्ति की समझ विकसित करती है।

आत्म-जागरूकता और अंतर्दृष्टि: ज्योतिष व्यक्ति को उनके व्यक्तित्व गुण, सामर्थ्य, कमजोरियाँ और जीवन के पैटर्न के बारे में अवगत करा सकता है। यह आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देता है और व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहित करता है।

संबंधों की समझ: ज्योतिष प्रेमी, पारिवारिक या पेशेवर, संबंधों में संगतता और गतिविधियों को समझने में मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। यह व्यक्ति को उनके संवाद को समझने में सहायता कर सकता है और संबंधों को सुधारने में मदद कर सकता है।

जीवन मार्गदर्शन और निर्णय लेना: ज्योतिष व्यक्ति को करियर चुनाव, शिक्षा, निवेश और प्रमुख जीवन घटनाओं जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकता है। यह एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रदान करता है और व्यक्ति के कार्यों को ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं के साथ मेल करने में मदद करता है।

समयबद्धता और योजना: ज्योतिष महत्वपूर्ण घटनाओं और गतिविधियों के लिए समयबद्धता उपलब्ध कराता है। ग्रहों की स्थिति और गोचरों का विश्लेषण करके, ज्योतिषी उद्यम की शुभ समय जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सुझाव दे सकते हैं, जैसे कि व्यापार शुरू करना, शादी करना या एक नई प्रयास पर निकलना।

आध्यात्मिक और भौतिकीय खोज: ज्योतिष का पुरातन आध्यात्मिक अभ्यासों और विश्वास प्रणालियों से संबंध है। यह ब्रह्मांड की एकता को समझने और उसमें व्यक्ति की स्थानिकता को समझने के लिए एक समग्र प्रणाली प्रदान करता है। यह आध्यात्मिक विकास और खोज के लिए एक उपकरण हो सकता है।

ज्योतिषज्ञ की आवश्यकता

ज्योतिषज्ञ केवल जन्मकुंडली के विश्लेषण से सीमित नहीं होता है, वह प्रेरणादायक वक्ता है जो नसीब को बदल नहीं सकता है लेकिन नकारात्मक ग्रहीय स्थितियों के प्रभाव को कम करने के लिए प्रेरणादायक उपाय सुझा सकता है। यदि ज्योतिषज्ञ आपके भविष्य की कमजोर रेखा का पूर्वानुमान करता है, क्या यह आपको निराश करेगा? या सोलह अच्छे भविष्य की भविष्यवाणी की जाए, तो इससे आप लापरवाह हो सकते हैं। तो, क्या हमें एक ज्योतिषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए या नहीं?

एक सत्यापित ज्योतिषज्ञ आपकी कर्मों को अपनी कुंडली से जोड़ेगा; वह ज्योतिषीय कौशल के साथ आपको प्रेरित करेगा कि आप अपने दायित्वों को प्रभावी तरीके से निभाएं। ज्योतिषज्ञ आपका मार्गदर्शन करेगा, आपको प्रोत्साहित करेगा आपके प्रयासों में लेकिन उसके प्रभावशाली शब्दों से आपके जीवन का मार्गदर्शन नहीं करना चाहिए।

आकाशीय वस्तुएँ आवेगों को आकर्षित करती हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं और हमारे दिमाग में रचना को बदलने की शक्ति रखती हैं। लेकिन एक सत्यापित विद्वान के सही मात्रा के साथ, आपको अपने सच्चे चयनित पहलु की ओर पहुंचा सकता है। आपके कर्म, आपकी संगति तय करती हैं कि आप कौन हैं और एक सत्यापित ज्योतिषज्ञ की मदद से, आप अपने कर्मों के प्रभाव को या तो बढ़ा सकते हैं या कम कर सकते हैं।

चार्ट विश्लेषण: ज्योतिषीय विशेषज्ञ जन्मकुंडली का विश्लेषण करते हैं, जिसे होरोस्कोप या नेटल चार्ट के नाम से भी जाना जाता है, जो व्यक्ति के जन्म के समय आकाशीय शरीरों की स्थिति का मानचित्रण करते हैं। वे इन चार्ट्स का व्याख्यान करके व्यक्ति के व्यक्तित्व, सामर्थ्य, कमजोरियाँ और जीवन के पैटर्न में अवगत होते हैं।

मार्गदर्शन और सलाह: ज्योतिषीय विशेषज्ञ अपने ज्योतिषीय सिद्धांतों की समझ के आधार पर मार्गदर्शन और सलाह प्रदान करते हैं। वे व्यक्ति को स्पष्टता प्राप्त करने, सूचित निर्णय लेने और करियर, संबंध, स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास जैसे विभिन्न पहलुओं में नेविगेट करने में मदद कर सकते हैं।

पूर्वानुमान: ज्योतिषीय विशेषज्ञ ग्रहों की स्थिति और गोचरों का उपयोग करके पूर्वानुमान और भविष्य की संभावनाओं का पूर्वानुमान करते हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष निर्दिष्टता नहीं प्रदान करता है, बल्कि संभावनाएं और संभावनाएं प्रदान करता है।

उपाय और सुझाव: ज्योतिषीय विशेषज्ञ विशेष उपाय, जैसे रत्न धारण करना, अभिषेक करना, या निश्चित आध्यात्मिक विधियों का अनुपालन करना, सुझा सकते हैं, जिससे चुनौतियों को कम किया जा सकता है या सकारात्मक ग्रहीय प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है।

नैतिक अभ्यास: जिम्मेदार ज्योतिषी नैतिक दिशानिर्देशों का पालन करता है, ग्राहकों की गोपनीयता का सम्मान करता है, और भय या आस्था का शोषण नहीं करता है। वह पक्षपात नहीं करता है और उद्योग को भय या कमजोरियों का शोषण नहीं करता है।

Q: What is the importance of astrology?

A: Astrology is considered important by many people for various reasons.

Q: What is the role of an astrologer?

A: An astrologer is a trained professional who specializes in interpreting astrological charts and providing guidance based on astrological principles.It is essential to approach astrology and consult with an astrologer with an open mind,

Special Saturn Remedies

शनि साढ़े साती के उपाय

Special Remedies for Shani Sade Sati Effects

Introduction

Welcome to our comprehensive guide on  Saturn Remedies for Shani Sade Sati effects. Shani Sade Sati is a significant astrological phase in one’s life, characterized by the influence of the planet Saturn. It is believed to bring various challenges and obstacles that can affect one’s personal and professional life. In this article, we will explore powerful remedies that can help mitigate the adverse effects of Shani Sade Sati and provide guidance on how to navigate through this period with strength and resilience.

Understanding Shani Sade Sati

Shani Sade Sati occurs when the planet Saturn transits through the twelfth, first, and second houses from an individual’s natal moon sign. This period typically lasts for seven and a half years and is considered a crucial phase in Vedic astrology. It is believed that during this time, Saturn’s energy can disrupt harmony, create obstacles, and test one’s patience and perseverance.

शनि साढ़े साती उस समय होती है जब ग्रह शनि किसी व्यक्ति के जन्म राशि के द्वादश, पहले और दूसरे भाव से गुजरता है। यह अवधि सामान्यतः सात और आध वर्ष तक चलती है और वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण दौर मानी जाती है। मान्यता है कि इस समय में शनि की ऊर्जा संतुलन को विच्छेद कर सकती है, बाधाएं पैदा कर सकती हैं और सब्र और सहनशीलता का परीक्षण कर सकती हैं।

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The Effects of Shani Sade Sati

During Shani Sade Sati, individuals may experience a range of challenges across different aspects of life. These effects can manifest in various ways, including:

Siddh Chaupai

  1. Health Issues: Saturn’s influence may lead to health problems such as joint pain, arthritis, digestive disorders, and fatigue. It is crucial to prioritize self-care and adopt a healthy lifestyle during this period.
  2. Financial Struggles: Shani Sade Sati can bring financial setbacks and instability. Individuals may face difficulties in their career, experience delays in business ventures, or encounter unexpected expenses. Implementing effective remedies can help attract positive energy and abundance.
  3. Relationship Challenges: Saturn’s energy can strain personal relationships, leading to misunderstandings, conflicts, and a general sense of detachment. It is important to maintain open communication, patience, and understanding with loved ones during this phase.

    शनि साढ़े साती के दौरान, व्यक्ति अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में विभिन्न चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। इन प्रभावों का अनुभव विभिन्न तरीकों में हो सकता है, जैसे:

    स्वास्थ्य समस्याएं: शनि का प्रभाव जोड़ों के दर्द, गठिया, पाचन संबंधी विकार और थकाने जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस अवधि में आत्म-देखभाल पर प्राथमिकता देना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है।

    वित्तीय संघर्ष: शनि साढ़े साती वित्तीय अस्थिरता और आर्थिक परेशानियों को लाएगी। व्यक्ति करियर में कठिनाइयों का सामना कर सकता है, व्यापारिक परियोजनाओं में देरी का सामना कर सकता है या अप्रत्याशित खर्चों का सामना कर सकता है। सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए प्रभावी उपाय अपनाने में मदद मिल सकती है।

    संबंधों की चुनौतियां: शनि की ऊर्जा पर्सनल संबंधों पर दबाव डाल सकती है, जिससे गलतफहमियां, टकराव और सामान्य अलगाव की भावना हो सकती है। इस चरण में प्यार करने वालों के साथ खुली संचार, सब्र और समझदारी बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

Remedies for Shani Sade Sati Effects

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1. Worship Lord Shani

Devoting time to regular prayer and worship of Lord Shani can help alleviate the adverse effects of Shani Sade Sati. You can establish a shrine or altar dedicated to Lord Shani in your home and offer prayers with sincerity and devotion. Reciting the Shani Mantra and performing the Shani Aarti regularly can bring peace and harmony during this challenging period.

2. Wear Blue Sapphire (Neelam)

Blue Sapphire, also known as Neelam, is considered a powerful gemstone that can counteract the negative influence of Saturn. It is believed to bring clarity, discipline, and protection from malefic energies. Consult a qualified astrologer to determine if wearing a Blue Sapphire is suitable for you based on your birth chart and specific circumstances.

3. Practice Meditation and Yoga

Meditation and yoga are invaluable practices that can help calm the mind, reduce stress, and improve overall well-being. Regularly incorporating these practices into your daily routine can help you maintain a positive mindset, enhance concentration, and increase resilience during challenging times like Shani Sade Sati.

Rudraksha | रुद्राक्ष

4. Perform Charitable Acts

Engaging in charitable acts is a powerful way to mitigate the effects of Shani Sade Sati. Donating to the less fortunate, supporting education, feeding the hungry, or contributing to a cause that resonates with you can generate positive karma and help alleviate the challenges you may be facing.

शनि साढ़े साती के प्रभावों के लिए उपाय

यहां कुछ उपाय बताए जाते हैं जो शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं:

  1. शनि के मंत्रों का जाप करें और शनिवार को उनके विशेष पूजन का अवसर बनाएं।
  2. दान करें जैसे कि उपवास, काले कपड़े, तिल, ऊँट 
  3. शनि देव की कृपा के लिए शनि शांति हवन आयोजित करें।
  4.  रत्न धारण करें, जो शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने में सहायता कर सकता है।
  5.  शनि देवता की आराधना करें और उनका आशीर्वाद लें।

इन उपायों को नियमित रूप से और विश्वास के साथ अपनाने से शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।

Effective Sign-wise Remedies for Shani Sade Sati

Aries

If you belong to the Aries zodiac sign and are experiencing the effects of Shani Sade Sati, here are some effective remedies for you:

  1. Feed crows and red cows: Offering food to crows and red cows can help mitigate the negative impact of Saturn. This act of kindness is believed to appease Lord Shani and bring relief from the challenges of this astrological phase.
  2. Donate red colored clothes to the needy: Contributing red colored clothes to those in need can symbolize the purification of negative energies associated with Shani Sade Sati. It is considered a virtuous act that can attract positive vibrations.
  3. Read Hanuman Chalisa and light an earthen lamp: Reciting the Hanuman Chalisa, a devotional hymn dedicated to Lord Hanuman, every evening while lighting an earthen lamp with jasmine oil can bring strength, protection, and divine grace during this testing period.

Taurus

If you are a Taurus native going through Shani Sade Sati, the following remedies can be beneficial:

  1. Offer food to white cows: Feeding white cows is believed to alleviate the malefic effects of Saturn. This act of compassion can help balance the energies and bring stability to your life.
  2. Donate cooked rice with sesame: Providing cooked rice mixed with sesame to the poor and needy individuals is considered an auspicious practice. It is believed to invoke the blessings of Saturn and bring relief from the challenges faced during this phase.
  3. Read Bajrang Baan: Regularly reciting the Bajrang Baan, a powerful prayer dedicated to Lord Hanuman, in the evening can foster courage, resilience, and divine protection, helping you navigate through the obstacles of Shani Sade Sati.

Gemini

For Gemini individuals undergoing the influence of Shani Sade Sati, the following remedies can prove helpful:

  1. Donate green colored clothes to needy girls: Offering green colored clothes to girls in need can help counteract the adverse effects of Saturn. This act of kindness is believed to promote positivity and balance the energies surrounding you.
  2. Feeding birds: Feeding birds is considered a symbolic gesture of providing sustenance and nurturing. By offering grains or bird feed to these creatures, you can mitigate the effects of Shani Sade Sati to some extent.
  3. Donate books to needy children: Providing books to underprivileged children not only supports their education but also generates positive karma. This act can bring blessings and mitigate the challenges faced during this astrological phase.

Cancer

If you are a Cancer native experiencing Shani Sade Sati, here are some remedies to consider:

  1. Donate milk to needy old women: Offering milk to elderly women in need is believed to invoke the blessings of Saturn and alleviate the challenges associated with Shani Sade Sati.
  2. Read “Sunderkand Paath”: Regular recitation of the “Sunderkand Paath,” an excerpt from the Hindu epic Ramayana, in the evening can bring solace, harmony, and spiritual strength during this phase.

Leo

For Leo individuals going through Shani Sade Sati, the following remedies are recommended:

  1. Feed boiled cereals to birds: Providing boiled cereals as bird feed can help counteract the malefic influence of Saturn. This act of kindness is believed to bring balance and harmony to your life.
  2. Offer water to the Sun: Every morning, offer water to the Sun as a form of gratitude and reverence. This practice is believed to appease Lord Surya and mitigate the challenges associated with Shani Sade Sati.

Virgo

If you belong to the Virgo zodiac sign and are facing the effects of Shani Sade Sati, the following remedies can be beneficial:

  1. Feed birds with grains: Providing grains or bird feed to birds can help balance the energies and alleviate the challenges brought by Saturn’s influence.
  2. Practice meditation: Engaging in regular meditation practices can help calm the mind, reduce stress, and enhance overall well-being. Meditation can provide mental clarity and strengthen your resilience during Shani Sade Sati.
  3. Visit a Ganesha temple: Daily visits to a Ganesha temple can bring blessings and remove obstacles from your path. Seek the divine guidance and protection of Lord Ganesha during this challenging phase.

Libra

For Libra natives experiencing Shani Sade Sati, the following remedies can prove effective:

  1. Avoid using mustard oil on Saturdays: It is advisable to avoid using mustard oil on Saturdays, as it is believed to have a negative influence during this astrological phase. Opt for alternative cooking oils on these days.
  2. Offer tea to the needy people: Providing tea to the needy on Saturdays and Wednesdays is considered an act of compassion that can help neutralize the adverse effects of Shani Sade Sati.
  3. Pour water on Shivling in a Shiva temple: Daily pouring of water on the Shivling in a Shiva temple is considered auspicious and can help mitigate the challenges associated with Saturn’s influence. Seek Lord Shiva’s blessings during this period.
  4. Visit Shani temple on Saturdays: Regular visits to a Shani temple on Saturdays can bring solace, protection, and blessings. Seek the guidance of Lord Shani and offer your prayers with utmost devotion.
  5. Read Hanuman Chalisa: Reciting the Hanuman Chalisa in the evening can invoke the blessings of Lord Hanuman and provide strength and courage to overcome the obstacles faced during Shani Sade Sati.

Scorpio

If you are a Scorpio native undergoing Shani Sade Sati, consider the following remedies:

  1. Donate food and clothes to blind people: Offering food and clothes to the blind is considered a noble act that can alleviate the challenges associated with Saturn’s influence. Extend your support and generate positive karma.
  2. Offer financial help to the needy: Providing financial assistance to those in need is an act of generosity that can help neutralize the malefic effects of Shani Sade Sati. Contribute as per your capacity and spread positivity.
  3. Read “Sundarkand Paath”: Regular recitation of the “Sundarkand Paath,” a section from the Ramayana, can bring solace, divine grace, and spiritual strength during this phase.

Sagittarius

For Sagittarius individuals going through Shani Sade Sati, the following remedies can prove beneficial:

  1. Chant “Mahamrityunjaya Mantra”: Every morning, chant the powerful “Mahamrityunjaya Mantra” 108 times while rolling the beads of a Rudraksha mala. This mantra is associated with Lord Shiva and is believed to protect and heal during challenging times.
  2. Read Hanuman Chalisa and light an earthen lamp: Reciting the Hanuman Chalisa in the evening while lighting an earthen lamp with jasmine oil can invoke the blessings of Lord Hanuman and provide strength and protection.
  3. Donate shoes to needy boys: Offering shoes to boys in need is considered a charitable act that can help mitigate the adverse effects of Shani Sade Sati. Extend your support and bring positivity into their lives.

Capricorn

If you belong to the Capricorn zodiac sign and are experiencing Shani Sade Sati, the following remedies can be helpful:

  1. Feed black sesame seeds to ants: Feeding black sesame seeds to ants is believed to appease Lord Saturn and counteract the malefic effects of Shani Sade Sati. This act of compassion can bring relief and positive energies.
  2. Read “Sundarkand Paath”: Regular recitation of the “Sundarkand Paath” in the evening, preferably in a Hanuman temple, can bring solace, divine grace, and strength to overcome the challenges of this astrological phase.
  3. Chant Shani Mantras: Chanting Shani Mantras like the Beej Mantra (Om Praam Preem Praum Saha Shaneshchraya Namaha) while rolling the beads of a Rudraksha mala can invoke the blessings of Lord Saturn and mitigate the adverse effects.

Aquarius

If you are an Aquarius native undergoing the effects of Shani Sade Sati, consider the following remedies:

  1. Give clothes to your servants: Offering clothes to your household servants is considered an act of compassion that can help neutralize the malefic influence of Saturn. Extend your support and generate positive vibrations.
  2. Clean your house yourself on Saturdays: Taking the responsibility to clean your house on Saturdays can help cleanse the negative energies and create a harmonious environment during Shani Sade Sati.
  3. Practice charity and help the needy: Engaging in acts of charity, such as donating to charitable organizations or helping the needy, can bring positive karma and alleviate the challenges associated with Saturn’s influence.

Pisces

For Pisces individuals facing the effects of Shani Sade Sati, the following remedies can prove beneficial:

  1. Donate black or blue colored clothes: Offering black or blue colored clothes to those in need can help balance the energies and mitigate the challenges brought by Saturn’s influence.
  2. Donate books and spiritual texts: Contributing books and spiritual texts to the needy not only supports their education but also generates positive karma. Extend your support and spread knowledge and wisdom.

Remember, these remedies are based on traditional beliefs and should be practiced with faith and sincerity. Implementing these remedies, along with maintaining a positive mindset and seeking guidance from qualified astrologers, can help alleviate the effects of Shani Sade Sati and navigate through this phase with strength and resilience.

शनि साढ़े साती के प्रभावों के लिए प्रभावी उपाय (राशि)

मेष

अगर आप मेष राशि के हैं और शनि साढ़े साती के प्रभाव से गुजर रहे हैं, तो निम्नलिखित प्रभावी उपाय आपके लिए सहायक हो सकते हैं:

  1. कौएं और गायों को खिलाएं: कौएं और  गायों को खाना खिलाना शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। इस दयालुता की क्रिया से भगवान शनि को प्रसन्न किया जाता है और इस ज्योतिषीय अवधि की चुनौतियों से राहत मिलती है।

  2. गरीबों को लाल रंग के कपड़े दान करें: लाल रंग के कपड़े की दान करना शनि साढ़े साती के संबंधित नकारात्मक ऊर्जाओं की शुद्धि का प्रतीक हो सकता है। यह एक धार्मिक क्रिया है जो सकारात्मक तत्वों को आकर्षित कर सकती है।

  3. हनुमान चालीसा पढ़ें और मिट्टी की दीप जलाएं: हर शाम हनुमान चालीसा का पाठ करते समय जास्मीन के तेल से बनी मिट्टी की दीप जलाने से शक्ति, संरक्षण और दैवी कृपा प्राप्त हो सकती है। यह परीक्षणकारी अवधि में साहस, सहनशीलता और दिव्य अनुग्रह प्रदान कर सकता है।

वृषभ

यदि आप वृषभ राशि के हैं और शनि साढ़े साती के प्रभाव का सामना कर रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं:

  1. सफेद गायों को खाना खिलाएं: सफेद गायों को खाना खिलाना शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। यह दयालुता की क्रिया आपके जीवन में स्थिरता लाने में मदद कर सकती है।

  2. तिल के साथ पके चावल दान करें: पके चावल में तिल मिलाकर गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करना धार्मिक क्रिया मानी जाती है। यह मान्यता है कि इससे शनि की क्रियाओं का आशिर्वाद प्राप्त होता है और शनि साढ़े साती के दौरान आने वाली चुनौतियों में राहत मिलती है।

  3. बजरंग बाण पढ़ें: शाम को बजरंग बाण का नियमित पाठ करना आपको शनि साढ़े साती के कठिन समय में शांति, सामंजस्य और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान कर सकता है।

मिथुन

यदि आप मिथुन राशि के हैं और शनि साढ़े साती के प्रभाव से गुजर रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं:

  1. पक्षियों को अनाज खिलाएं: पक्षियों को अनाज खिलाना नकारात्मक प्रभाव को संतुलित करने और शनि साढ़े साती के चुनौतियों को कम करने में मदद कर सकता है। अपने उदारता के साथ सेब, धान या दाने जैसे अनाज खिलाएं।

  2. जरूरतमंद बच्चों को पुस्तकें दान करें: किसी भी विद्यालय या जरूरतमंद बच्चों को पुस्तकें देना उनकी शिक्षा का समर्थन करता है और सकारात्मक कर्म उत्पन्न करता है। यह कर्म आपके जीवन में आनंद और शनि साढ़े साती के दौरान आने वाली चुनौतियों को कम करने में मदद कर सकता है।

  3. मंदिर जाकर शनिवार को पूजा करें: शनिवार को नियमित रूप से शनि के मंदिर जाने से आपको शांति, सुरक्षा और आशीर्वाद मिल सकते हैं। इस मुश्किल अवधि में भगवान शनि की मार्गदर्शन और प्रार्थना करें।

कर्क

यदि आप कर्क राशि के हैं और शनि साढ़े साती के प्रभाव का सामना कर रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय ध्यान में रखें:

  1. गरीब बूढ़ी महिलाओं को दूध दान करें: आवश्यकता में होने वाली बूढ़ी महिलाओं को दूध देना शनि के आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद कर सकता है और शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकता है।

  2. “सुंदरकाण्ड पाठ” पढ़ें: शाम को “सुंदरकाण्ड पाठ” का नियमित पाठ करना शांति, सामंजस्य और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान कर सकता है।

सिंह

शनि साढ़े साती से गुजर रहे सिंह राशि के व्यक्ति के लिए निम्नलिखित उपायों को ध्यान में रखना चाहिए:

  1. उबले हुए अनाजों को पक्षियों को खिलाएं: उबले हुए अनाज को पक्षियों को खाना खिलाना शनि के नकारात्मक प्रभाव को संतुलित करने में मदद कर सकता है। यह दयालुता की क्रिया है जो आपके जीवन में संतुलन और सामंजस्य लाने में मदद कर सकती है।

  2. सूर्य को पानी चढ़ाएं: हर सुबह सूर्य को पानी चढ़ाना एक आभार और सम्मान का रूप है। यह प्रथा भगवान सूर्य को प्रसन्न करने में मदद कर सकती है और शनि साढ़े साती से जुड़े चुनौतियों को कम कर सकती है।

कन्या

यदि आप कन्या राशि के हैं और शनि साढ़े साती के प्रभाव से गुजर रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं:

  1. चिड़ियों को अनाज खिलाएं: चिड़ियों को अनाज खिलाना प्रतीकात्मक रूप से उपभोग और पोषण करने की एक प्रतीक्रिया मानी जाती है। इन पक्षियों को अनाज या दाने खिलाकर आप शनि साढ़े साती के प्रभावों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं।

  2. जरूरतमंद बच्चों को पुस्तकें दान करें: निर्धन बच्चों को पुस्तकें प्रदान करना उनकी शिक्षा को समर्थन करने के साथ-साथ सकारात्मक कर्म भी उत्पन्न कर सकता है। इससे आपकी शनि साढ़े साती के दौरान आने वाली चुनौतियों को कम करने में मदद मिल सकती है।

  3. मधुमक्खियों को पानी पिलाएं: मधुमक्खियों को पानी पिलाना प्राकृतिक दान की एक प्रतीक्रिया मानी जाती है। यह दान आपके जीवन में संतुलन और शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।

कुंभ

यदि आप कुंभ राशि के हैं और शनि साढ़े साती के प्रभाव का सामना कर रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं:

  1. अपने नौकरों को कपड़े दें: अपने घरेलू नौकरों को कपड़े देना एक दयालु कार्य है जो शनि के नकारात्मक प्रभाव को संतुलित करने में मदद कर सकता है। अपना सहयोग बढ़ाएं और सकारात्मकता उत्पन्न करें।

  2. शनिवार को अपने घर को स्वयं साफ करें: शनिवार को अपने घर को स्वयं साफ करने की जिम्मेदारी लेना आपके जीवन में नकारात्मक ऊर्जाओं को शुद्ध करने में मदद कर सकता है। शनि साढ़े साती के दौरान एक मेलमिलापी वातावरण बनाने में मदद मिल सकती है।

  3. चैरिटी और जरूरतमंदों की सहायता करें: चैरिटी कार्यों में हिस्सा लेना, जैसे दान या जरूरतमंदों की मदद करना, पॉजिटिव कर्म उत्पन्न कर सकता है और शनि साढ़े साती से जुड़ी कठिनाइयों को कम कर सकता है।

मीन

यदि आप मीन राशि के हैं और शनि साढ़े साती के प्रभाव से गुजर रहे हैं, तो निम्नलिखित उपाय आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं:

  1. काले या नीले रंग के कपड़े दान करें: काले या नीले रंग के कपड़े का दान करना ऊर्जा को संतुलित करने और शनि के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसके माध्यम से आप शनि साढ़े साती के प्रभावों को कुछ हद तक न्यूत्रल कर सकते हैं।

  2. पुस्तकें और आध्यात्मिक पाठ्यक्रम दान करें: जरूरतमंदों को पुस्तकें और आध्यात्मिक पाठ्यक्रम प्रदान करना उनकी शिक्षा का समर्थन करने के साथ-साथ पॉजिटिव कर्म भी उत्पन्न कर सकता है। अपना सहयोग बढ़ाएं और ज्ञान और बुद्धि को फैलाएं।

याद रखें, ये उपाय परंपरागत विश्वासों पर आधारित हैं और आपको आदर्शवादी रूप से अमल करने चाहिए। इन उपायों का पालन करने के साथ-साथ एक सकारात्मक मानसिकता बनाए रखने और योग्य ज्योतिषियों से मार्गदर्शन मांगने से शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती हैं। इसके साथ ही, इन उपायों का पालन करने से पहले यथार्थता और समर्पण के साथ अपने गुरुजनों या पंडितों की सलाह लेना अवश्यक है।

Conclusion

In conclusion, Shani Sade Sati is a significant astrological phase that can bring various challenges and obstacles. By implementing effective remedies such as worshipping Lord Shani,

 

प्रश्न: मेष राशि के लोग शनि साढ़े साती के प्रभावों से कैसे बच सकते हैं?

उत्तर: मेष राशि के लोग निम्नलिखित उपायों को अपनाकर शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकते हैं: कौएं और गायों को खिलाएं, गरीबों को लाल रंग के कपड़े दान करें, हनुमान चालीसा पढ़ें और मिट्टी की दीप जलाएं।

प्रश्न: वृषभ राशि के व्यक्ति को शनि साढ़े साती के प्रभाव से बचने के लिए क्या उपाय करने चाहिए?

उत्तर: वृषभ राशि के लोग निम्नलिखित उपायों का पालन करके शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकते हैं: सफेद गायों को खिलाएं, तिल के साथ पके चावल दान करें, बजरंग बाण पढ़ें।

प्रश्न: मिथुन राशि के व्यक्ति को शनि साढ़े साती के प्रभाव से निपटने के लिए कौन से उपाय फायदेमंद हो सकते हैं?

उत्तर: मिथुन राशि के व्यक्ति निम्नलिखित उपायों को अपनाकर शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकते हैं: पक्षियों को अनाज खिलाएं, जरूरतमंद बच्चों को पुस्तकें दान करें, “सुंदरकाण्ड पाठ” पढ़ें और मिट्टी की दीप जलाएं।

प्रश्न: कर्क राशि के लोग शनि साढ़े साती के प्रभाव से निपटने के लिए कौन से उपाय कर सकते हैं?

उत्तर: कर्क राशि के लोग निम्नलिखित उपायों को अपनाकर शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकते हैं: गरीब बूढ़ी महिलाओं को दूध दान करें, “सुंदरकाण्ड पाठ” पढ़ें, मंदिर जाकर शनिवार को पूजा करें।

प्रश्न: सिंह राशि के व्यक्ति को शनि साढ़े साती के प्रभाव से निपटने के लिए कौन से उपाय करें?

उत्तर: सिंह राशि के व्यक्ति निम्नलिखित उपायों को अपनाकर शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकते हैं: उबले हुए अनाजों को पक्षियों को खिलाएं, सूर्य को पानी चढ़ाएं, चैरिटी और जरूरतमंदों की सहायता करें।

प्रश्न: कन्या राशि के व्यक्ति को शनि साढ़े साती के प्रभाव से निपटने के लिए कौन से उपाय करें?

उत्तर: कन्या राशि के व्यक्ति निम्नलिखित उपायों को अपनाकर शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकते हैं: चिड़ियों को अनाज खिलाएं, जरूरतमंद बच्चों को पुस्तकें दान करें, मधुमक्खियों को पानी पिलाएं।

प्रश्न: कुंभ राशि के व्यक्ति को शनि साढ़े साती के प्रभाव से निपटने के लिए कौन से उपाय कर सकते हैं?

उत्तर: कुंभ राशि के व्यक्ति निम्नलिखित उपायों को अपनाकर शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकते हैं: अपने नौकरों को कपड़े दें, शनिवार को अपने घर को स्वयं साफ करें, चैरिटी और जरूरतमंदों की सहायता करें।

प्रश्न: मीन राशि के व्यक्ति को शनि साढ़े साती के प्रभाव से निपटने के लिए कौन से उपाय करें?

उत्तर: मीन राशि के व्यक्ति निम्नलिखित उपायों को अपनाकर शनि साढ़े साती के प्रभावों को कम कर सकते हैं: काले या नीले रंग के कपड़े दान करें, पुस्तकें और आध्यात्मिक पाठ्यक्रम दान करें।

Horoscopes – Should You Trust What Your Horoscope Says?

Should you trust what your horoscope says?

The trustworthiness of horoscopes is a subject of debate and personal belief. Horoscopes are typically based on astrological interpretations of celestial positions at the time of a person’s birth. Whether you should trust what your horoscope says depends on your perspective:

  1. Skeptical View: Many consider horoscopes as entertainment rather than accurate predictions. Skeptics argue that there is no scientific evidence to support the claims made in horoscopes. They see them as generalized statements that could apply to anyone.

  2. Personal Belief: Some individuals find comfort and guidance in horoscopes. They believe that astrology provides insights into their personality traits, tendencies, and potential life events. For them, horoscopes serve as a form of self-reflection and introspection.

  3. Moderation: Some people take a middle ground, acknowledging that while horoscopes may not be scientifically proven, they can be fun to read and provide a source of inspiration or reflection. They may use horoscopes as one of many sources of advice but don’t rely solely on them.

In summary, whether you should trust what your horoscope says is a matter of personal belief. If you find value in reading horoscopes and they positively impact your life, then it’s entirely acceptable to do so. However, it’s essential to maintain a balanced perspective and not make critical life decisions solely based on horoscopes.

Horoscope, Zodiac Sign

or simply “star” is a very popular concept or what we may term it a source of Future forecast . Almost all people take a great interest in “stars” of famous leaders, heroes and celebrities. It becomes a fashion nowadays that when we first anyone, at the end of the meeting, what we want to know is his or hers’ star. Even though, we may or may not know the qualities or characteristics of a particular star.

The meaning of our Dreams

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Horoscope or stars become so popular in our life that even in this fast busy life, we love to take a look at our star wherever or whenever it may be possible. Each newspaper, each magazine must include daily, weekly, monthly or even yearly Horoscope description. To a great extent, Horoscope becomes more and more popular due to the increasing interest of media in it. Even now days, most of the popular morning show also paying more attention to include daily Horoscope forecasts for their viewers.

Horoscope Today 2023 | Today Horoscope

It shows its growing popularity. Many people are so obsessed with the idea of taking a help from Horoscope that they do not leave for work before reading their Horoscope. It seems ridiculous sometimes because Rashifal predictions does not necessarily proved authentic all the time because position The Moon is not enough to predict Forecast, we have to analyse all planets positions and combinations with each other .

Well, let’s take look what actually a horoscope is. A horoscope is a very important branch of Astrology since centuries. Some 8000 BC; ancient sags discovered the initials of this branch of knowledge. They judge and analyzed the position and motion of the planets in different zodiacs and in the light of those facts sets the rules and regulations of the Horoscope. Greek scholars took great pain in devising the major influences and the consequences of planets on human life and draw their opinion in this regard.

All 12 zodiacs have assigned a symbol which indicates its position on the sky. Similarly, the planets also bear some symbols through which the Astrologer read their position in a zodiac made their predictions in term of that relation. During 18th and 19th centuries Astrology saw a little negligent. So many misconceptions and misunderstandings raised and there emerged two schools of thoughts. One favors it and the other opposed it. But since last few decades, it took a new revival.

This time, people took more interest in personality or character description than forecasts or predictions of the future. So, we can easily judge and analyse a particular person in view of the Horoscope. That may be very helpful to create a better understanding among people belongs to different walks of life. The qualities and descriptions of the Horoscope are almost constant and to a great length we can rely on them.

But as for as we concerned about the question whether; we should trust or not? I think it depends on Astrologer how good he is in, to predict everything true  all the time, the predictions of your Horoscope come true. There is many  proofs that the predictions are so true. So, as a character analyser it is good as well as predictions.

क्या आपको अपनी होरोस्कोप की बातों पर विश्वास करना चाहिए? होरोस्कोप, राशि चिन्ह या सिर्फ “तारा” एक बहुत प्रसिद्ध अवधारणा है या हम कह सकते हैं कि यह भविष्य की भविष्यवाणी का एक स्रोत है। लगभग सभी लोग प्रसिद्ध नेताओं, महानायकों और प्रमुख व्यक्तियों के “तारों” में बहुत रुचि लेते हैं। आजकल यह मोड़ने वाला एक फैशन हो गया है कि जब हम किसीसे पहली बार मिलते हैं, तो मिलने के अंत में हमें उनकी राशि के बारे में जानना होता है। हालांकि, हम एक व्यक्ति के गुणों या विशेषताओं को जानते हों या नहीं जानते हों, यह निर्भर करता है।

क्या आपको अपनी होरोस्कोप की बातों पर विश्वास करना चाहिए? होरोस्कोप, राशि चिन्ह होरोस्कोप या तारे हमारे जीवन में इतने प्रसिद्ध हो जाते हैं कि इस तेजी से भरे जीवन में, हमें अपने तारे की ओर देखने का मन करता है, जहां भी और जब भी संभव हो। हर अखबार, हर पत्रिका में दैनिक, साप्ताहिक, मासिक या यहां तक कि वार्षिक होरोस्कोप विवरण शामिल होना चाहिए। मीडिया की बढ़ती हुई रुचि के कारण, होरोस्कोप और और भी अधिक प्रसिद्ध होता जा रहा है। आजकल, बहुत सारे प्रसिद्ध सुबह के शो भी अपने दर्शकों के लिए दैनिक होरोस्कोप की भविष्यवाणियों को शामिल करने में अधिक ध्यान देने का प्रयास कर रहे हैं।

यह इसकी बढ़ती हुई प्रसिद्धि को दिखाता है। बहुत सारे लोग तारों से मदद लेने की विचारधारा में इतने अभिशप्त हैं कि वे अपना होरोस्कोप पढ़ने से पहले काम के लिए नहीं निकलते हैं। कभी-कभी यह अविवेकपूर्ण लगता है क्योंकि राशिफल की भविष्यवाणियाँ हमेशा सत्य साबित नहीं होतीं हैं क्योंकि चंद्रमा की स्थिति केवल भविष्यवाणी करने के लिए पर्याप्त नहीं होती है, हमें सभी ग्रहों की स्थिति और एक दूसरे के संयोगों का विश्लेषण करना होता है।

आज का राशिफल |Today Horoscope In Hindi | Aaj Ka Rashifal

चलिए, चलो देखते हैं कि वास्तव में होरोस्कोप क्या होता है। होरोस्कोप विज्ञान का एक बहुत महत्वपूर्ण शाखा है जो सदियों से चली आ रही है। करीब 8000 ई.पू.; प्राचीन ऋषि ने इस ज्ञान की शुरुआत की। उन्होंने विभिन्न राशियों में ग्रहों की स्थिति और चाल का मूल्यांकन किया और उन तथ्यों की प्रकाश में होरोस्कोप के नियम और विनियम बनाए। ग्रीक विद्वानों ने ग्रहों के महत्वपूर्ण प्रभाव और इनके मानव जीवन पर परिणामों को निर्माण करने में बहुत कठिनाईयों का जोखिम उठाया और इस संबंध में अपनी राय दी।

सभी 12 राशियों को स्थिति बताने वाला एक प्रतीक आवंटित किया गया है, जिससे उनकी आकाश में स्थिति का पता चलता है। उसी तरह, ग्रहों को भी कुछ प्रतीक होते हैं जिनके माध्यम से ज्योतिषी उनकी राशि में स्थिति को पढ़ते हैं और उस संबंध में भविष्यवाणियाँ करते हैं। 18वीं और 19वीं शताब्दी में ज्योतिषशास्त्र थोड़ा उपेक्षित हुआ। इसके कारण कई ग़लतफ़हमीयाँ और भ्रम उत्पन्न हुए और दो स्कूलों की सोचें उभरीं। एक उसकी समर्थन करती थी और दूसरी इसके विरोध में थी। लेकिन पिछली कुछ दशकों से यह एक नई पुनरुत्थान हुआ है।

इस बार, लोग भविष्यवाणियों की बजाय व्यक्तित्व और चरित्र वर्णन में अधिक रुचि लेने लगे हैं। इसलिए, हम होरोस्कोप के आधार पर एक व्यक्ति का आकलन और विश्लेषण आसानी से कर सकते हैं। यह विभिन्न जीवन के क्षेत्रों से लोगों के बीच बेहतर समझ बनाने में मददगार हो सकता है। होरोस्कोप की गुणों और विवरणों में लगभग स्थिरता होती है और हम उन पर भरोसा कर सकते हैं।

लेकिन इसके संबंध में, क्या हमें विश्वास करना चाहिए या नहीं? मेरी राय में यह उपायुक्त होता है कि यह आपके ज्योतिषी पर निर्भर करता है कि वह कितना अच्छा है, सब कुछ हमेशा सच होता है, आपके होरोस्कोप की भविष्यवाणियाँ सच होती हैं। इसके बहुत सारे सबूत हैं कि भविष्यवाणियाँ इतनी सच्ची होती हैं। इसलिए, एक चरित्र विश्लेषक के रूप में यह अच्छा है और भविष्यवाणियाँ भी।

प्रश्न: क्या होरोस्कोप को ध्यान में रखकर भविष्यवाणी करना चाहिए?

उत्तर: होरोस्कोप को ध्यान में रखकर भविष्यवाणी करना व्यक्तिगत पसंद के अनुसार है। कुछ लोग होरोस्कोप की भविष्यवाणियों पर विश्वास करते हैं, जबकि कुछ नहीं।

प्रश्न: क्या होरोस्कोप विज्ञान है या केवल एक अवधारणा?

उत्तर: होरोस्कोप विज्ञान का एक शाखा है, जो ग्रहों और राशियों के संबंध में ज्ञान प्रदान करती है। कुछ लोग इसे एक अवधारणा मानते हैं, जो भविष्यवाणी और व्यक्तित्व को समझने में मदद कर सकती है।

प्रश्न: क्या हर व्यक्ति के तारे उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं?

उत्तर: होरोस्कोप के अनुसार, हर व्यक्ति का जन्म कुंडली में सभी ग्रहों और राशियों की स्थिति दिखाई जाती है, जिससे उनके व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न: क्या होरोस्कोप के अनुसार हर समय सच्चा होता है?

उत्तर: होरोस्कोप की भविष्यवाणियाँ आम तौर पर सच्ची होतीं हैं। इसके लिए विभिन्न ग्रहों की स्थिति और संयोगों का विश्लेषण करना जरूरी है।

प्रश्न: क्या होरोस्कोप से व्यक्ति के भविष्य के बारे में जाना जा सकता है?

उत्तर: होरोस्कोप से व्यक्ति के भविष्य के बारे में अनुमान लगाना संभव है, लेकिन यह निश्चितता से नहीं कहा जा सकता है। इसमें नकारात्मक भविष्यवाणियों के साथ-साथ सकारात्मक भविष्यवाणियों का भी समावेश होता है।

प्रश्न: क्या होरोस्कोप के अनुसार किसी का व्यक्तित्व पूर्ण रूप से जाना जा सकता है?

उत्तर: होरोस्कोप से व्यक्ति के व्यक्तित्व के कुछ पहलुओं को जानना संभव है, लेकिन पूर्ण रूप से ज्ञान प्राप्त करने के लिए और भी गहराईयों तक उसकी अध्ययन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न: क्या होरोस्कोप के अनुसार प्रशासकों, नेताओं और महानायकों के तारे भी दिए जाते हैं?

उत्तर: हां, बहुत सारे प्रसिद्ध व्यक्तियों के तारे भी होरोस्कोप में दिए जाते हैं। यह उनके व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

प्रश्न: होरोस्कोप के अनुसार राशिचिन्हों और ग्रहों के बारे में कितना विश्वास करना चाहिए?

उत्तर: यह व्यक्तिगत रूप से अधीन है। कुछ लोग इसे विश्वास करते हैं जबकि कुछ नहीं। आपके विश्वास पर निर्भर करता है कि आप इसे कितना महत्व देते हैं।

प्रश्न: क्या होरोस्कोप को समर्थन करने वाले लोग इसके अनुसार अपने काम और फैसलों को लेते हैं?

उत्तर: हां, कुछ लोग होरोस्कोप की भविष्यवाणियों को अपने काम और फैसलों में समर्थन के लिए उपयोग करते हैं। वे अपने भविष्यवाणियों के आधार पर अपने कदम रखते हैं।

प्रश्न: क्या होरोस्कोप के आधार पर अपने संबंधों और दैनिक जीवन में सुधार करने में मदद मिलती है?

उत्तर: हां, होरोस्कोप आपके संबंधों और दैनिक जीवन को समझने में मदद कर सकता है। यह आपको अपने गुणों और समस्याओं को समझने में मदद कर सकता है, जिससे आप अपने जीवन को सुधार सकते हैं।

Astrology – The First Science

Astrology- The First Science 

For as long as people have been looking towards the heavens, we have strived to understand our place in the universe. Astrology, helps us to connect out souls to the movement of the heavens & celestial rhythms. Although many may argue this point, Astrology could very well have been the first science. It was around long before physics, chemistry, biology or any other science. The Sumerians built temples in terraced pyramids, to observe the stars & planets, as early as 2900 B.C.

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Astrology soon became an incredibly complex practice. By 2000 B.C., the magi (priest trained in astrology and other sacred knowledge) of Mesopotamia believed that everything in the universe was connected. Besides studying the stars, magi’s looked for omens in the weather, predicted the future by using the liver & intestines of animals. They also believed that they were able to hear the words of trees, dogs, cats & insects.

Astrology History

Astrology was used to explore the position of Earth & other heavenly bodies, long before other sciences came along. Astrology & astronomy were considered one science in the ancient times. Astrologers were thought of as the best educated people, they understood; math, astronomy, spiritual symbols and mystic meanings, psychology, and human nature.

Astrology was taught in colleges until the 1600’s, it was at this time that “rational science” took over. Most astrologer, today are still well-educated & have degrees in many different fields. Most frequently astrologers have been trained in psychology and counseling. They also have in-depth knowledge in astrology & a great deal if spiritual understanding.

आज का राशिफल |Today Horoscope In Hindi | Aaj Ka Rashifal

In astrology, the connections between the signs & parts of the body hold together the cosmos, as the way the body parts hold together the human body in “rational science. Shakespeare’s Hamlet summed it up when he said, “What a piece of work man is”.

Don’t forget that all zodiac signs, not just your Sun sign are represented in your chart, therefore they all play a part in who you are. Each zodiac sign is associated with a certain part of the body, from head to toe.

Here is the list:

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Aries – Head & face

Taurus – Neck & throat

Gemini – Head, arms, shoulders, nervous system & lungs

Cancer – Stomach & breasts

Leo – Back, spine, & heart

Virgo – Intestines, liver, pancreas, gall bladder and bowels

Libra – Kidneys, lower back and adrenal glands

Scorpio – Genitals, and the urinary and reproductive organs

Sagittarius – Liver, hips, and thighs

Capricorn – Bones, teeth, joints, and knees

Aquarius – Ankles & circulation

Pisces – Feet, the immune & hormonal systems

Each sign is also associated with certain glands and has particular dietary and vitamin needs. Some foods may be good for you while other might not.

Horoscope Today 2023 | Today Horoscope

ज्योतिषशास्त्र – पहला विज्ञान :

जबसे मानव सभ्यता उच्च आकाश की ओर देख रही है, हम अपनी स्थिति को ब्रह्मांड में समझने की कोशिश कर रहे हैं। ज्योतिषशास्त्र हमें स्वर्गीय गतिविधियों और नक्षत्रीय रचनाओं से जोड़ता है। यद्यपि इस बात पर कई लोग विवाद कर सकते हैं, तौरता ज्योतिषशास्त्र शायद पहला विज्ञान हो सकता है। यह विज्ञान के पहले था, जब भौतिकी, रासायनिकता, जीवविज्ञान या किसी अन्य विज्ञान की उत्पत्ति होनी तक। 2900 ईसा पूर्व से पहले, सुमेरियाई लोगों ने तारों और ग्रहों की अवलोकन करने के लिए मंदिरों को प्यारामिड़ों की तरह बनाया था।

ज्योतिषशास्त्र शीघ्र ही एक अत्यंत जटिल अभ्यास बन गया। 2000 ईसा पूर्व तक, मेसोपोटामिया के मैजी (ज्योतिषशास्त्र और अन्य पवित्र ज्ञान में प्रशिक्षित पुरोहित) मानते थे कि ब्रह्मांड में सब कुछ जुड़ा हुआ है। तारों का अध्ययन करने के साथ, मैजी लोग मौसम में शकुन ढूंढ़ते थे, पशुओं के जिगर और आंतों का उपयोग करके भविष्य की भविष्यवाणी करते थे। उन्हे यह भी विश्वास था कि वे पेड़ों, कुत्तों, बिल्लियों और कीटों की बातें सुन सकते हैं।

ज्योतिषशास्त्र ने अन्य विज्ञानों की उत्पत्ति से पहले ही पृथ्वी और अन्य स्वर्गीय शरीरों की स्थिति का अध्ययन किया था। प्राचीन समय में ज्योतिषशास्त्र और खगोलशास्त्र को एक ही विज्ञान माना जाता था। ज्योतिषी को शिक्षित लोग माना जाता था, उन्होंने गणित, खगोलशास्त्र, आध्यात्मिक प्रतीक और रहस्यमय अर्थ, मनोविज्ञान और मानव स्वभाव को समझा था।

1600 ईसा पूर्व तक ज्योतिषशास्त्र की पढ़ाई कॉलेजों में होती थी, इस समय “युक्तिसंगत विज्ञान” ने काबिज़ हो लिया। आजकल के अधिकांश ज्योतिषी भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं और विभिन्न क्षेत्रों में डिग्री रखते हैं। अधिकांशतः ज्योतिषी मनोविज्ञान और परामर्श में प्रशिक्षित हुए हैं। उनके पास ज्योतिषशास्त्र के अलावा गहन ज्ञान और आध्यात्मिक समझ होती है।

Astrology is Science or a Myth

ज्योतिषशास्त्र में, राशियों और शरीर के अंगों के बीच संबंध को कोसमोस के रूप में समझा जाता है, जैसा कि “युक्तिसंगत विज्ञान” में शरीर के अंग मनुष्य को एक साथ रखते हैं। शेक्सपियर के हैमलेट ने इसे सारगर्भित कर दिया था जब उन्होंने कहा, “इंसान की कितनी अद्भुत रचना है”।

याद रखें कि आपके चार्ट में आपके सूर्य राशि के साथ-साथ अन्य सभी राशियां भी होती हैं, इसलिए वे सभी आपके व्यक्तित्व में भूमिका निभाती हैं। प्रत्येक राशि किसी न किसी शरीर के हिस्से से जुड़ी होती है, सिर से पैर तक।

यहां सूची है:

मेष – सिर और चेहरा

वृष – गर्दन और गला

मिथुन – सिर, बांहें, कंधे, तंत्रिका तंत्र और फेफड़ों की तंत्रिका

कर्क – पेट और स्तन

सिंह – पीठ, रीढ़ की हड्डी और दिल

कन्या – आंत, यकृत, पाचकाग्नि, पित्तशय और आंत्र तुला – गुर्दे, पीठ का निचला हिस्सा और अड्रेनल ग्रंथि

वृश्चिक – जननांग, मूत्राशय और जननांगों का प्रजनन तंत्र

धनु – यकृत, कूल्हों और जांघों

मकर – हड्डियाँ, दांत, जोड़, और घुटने कुंभ – टखने और संचार

मीन – पैर, प्रतिरक्षा और हार्मोनल प्रणाली

प्रत्येक राशि भी निश्चित ग्रंथियों से जुड़ी होती है और विशेष आहारिक और विटामिन की आवश्यकताएं होती हैं। कुछ आहार आपके लिए अच्छे हो सकते हैं जबकि कुछ नहीं।

Q: What is astrology, and how does it relate to the movement of the heavens?

A: Astrology is a practice that connects our souls to the movement of the planets and stars in the heavens. It believes that these celestial rhythms influence human life and behavior.

Q: Could astrology have been the first science?

A: Yes, astrology is believed to have been one of the earliest sciences practiced by ancient civilizations like the Sumerians, dating back to around 2900 B.C. and Vedic Astrology is Ancient one .

Q: How did astrology become a complex practice?

A: Over time, astrologers developed intricate systems and beliefs, connecting everything in the universe. They studied stars, planets, weather, and even practiced divination using animal organs.

Q: Was astrology considered the same as astronomy in ancient times?

A: Yes, in ancient times, astrology and astronomy were considered one science, and astrologers were highly educated individuals proficient in various fields, including math, astronomy, and psychology.

Q: What subjects do modern astrologers typically study?

A: Today, most astrologers are well-educated with degrees in various fields. They often have training in psychology, counseling, and spiritual understanding, along with their knowledge of astrology.

Q: How are the zodiac signs connected to different parts of the human body?

A: Each zodiac sign is associated with specific body parts. For example, Aries is linked to the head and face, Taurus to the neck and throat, and so on

Q: Do zodiac signs other than the Sun sign influence a person’s personality?

A: Yes, in astrology, the positions of all zodiac signs in an individual’s birth chart play a role in shaping their personality and traits.

Q: What was the significance of astrology in ancient societies?

A: Astrology was used to explore the positions of heavenly bodies, predict events, and understand human nature. It was highly valued and taught in colleges until the rise of “rational science” in the 1600s.

Q: How did astrology change over time?

A: While astrology’s popularity declined in favor of rational science, it has experienced a resurgence in modern times, with many astrologers integrating psychological and spiritual approaches.

Q: How can astrology be used in contemporary times?

A: Today, astrology is used for self-discovery, gaining insights into life events, and understanding the connections between cosmic energies and human experiences. It can be a tool for personal growth and reflection.

Ganesha Chaturthi 2023

Ganesha Chaturthi 2023

As the legend goes,  Lord Ganesha was beheaded by Lord Shiva when he was on duty under the command of Devi Parvati. The vehement protest and anger by Devi Parvati was the cause of resurrection of Lord Ganesha but with the head of an elephant. One of the first animation films made in India “Bal Ganesha” has made the deity popular among the children also and the children also know the Beej Mantra “Om Gung Ganapathaye Namah”.

Ganesha Chaturthi on Tuesday, September 19, 2023

Madhyahna Ganesha Puja Muhurat – 11:01 AM to 01:28 PM

Duration – 02 Hours 27 Mins

Ganesha Visarjan on Thursday, September 28, 2023

On previous day time to avoid Moon sighting – 12:39 PM to 08:10 PM, Sep 18

Duration – 07 Hours 32 Mins

Time to avoid Moon sighting – 09:45 AM to 08:43 PM

Duration – 10 Hours 59 Mins

Chaturthi Tithi Begins – 12:39 PM on Sep 18, 2023

Chaturthi Tithi Ends – 01:43 PM on Sep 19, 2023

Hariyali Teej

The Elephant headed God, the son of Lod Shiva and Devi Parvati was awarded the first right of worship after his resurrection with the head of an elephant. Therefore, Lord Ganesha has a presence in the “Panchayatan Puja” which consists of the five deities Lod Bramha, Lord Vishnu, Lord Mahesh, Devi Durga and Lord Ganesha. Therefore, every Hindu begins his work in the name of Lord Ganesha by chanting “Om Sri Ganeshaya Namah. Lord Ganesha is worshiped by Hindus as a supreme god of wisdom, prosperity and good fortune.

He is considered a terminator of evils. He is known by various names some examples are Dhoomraketu, Ekadantha, Gajakarnaka, Lambodara, Vignaraja, Gajanana, Vinayaka, Vakratunda, Siddhivinayaka, Surpakarna, Heramba, Skandapurvaja, Kapila, Vigneshwara etc. He rides on Musak (mouse) which represents ego.

Special Significance of Ganesha Chaturthi Puja and Time of Puja

Lord Ganesha is worshiped everyday and for starting every new work. But, there is a special significance of doing his Puja on the Ganesha Chaturthi day. This year Ganesha Chaturthi falls on Tuesday, September 19, 2023.

and the auspicious time for starting his Puja Muhurat – 11:01 AM to 01:28 PM.

The Ganesha Chaturthi day is considered the birthday of the Lord. It is believed that the Lord remains on this earth on this particular day to bestow his presence for all his devotees. This particular day is called Vinayaka Chaturthi or Vinayaka Chavithi in Sanskrit, Kannada, Tamil and Telugu. It is called Chavath in Konkani.

This Puja is celebrated as a big community festival in Maharastra, Goa, Karnataka, Andhara Pradesh, parts of Tamil Nadu, Gujarat and western Madhya Pradesh. It is the most important festival of the Konkan belt in India.

The Puja begins on Ganesha Chaturthi day and extends for about 10 days up to Anant Chaturdasi. This festival is observed in the lunar month of Bhadrapada Shukla Paksha Chathurthi as per the Hindu Calendar. The corresponding months as per English Calendar may be August or September.

The immersion of the idol generally takes place after 10 days which becomes the most important community event in the states named above.

Benefit of doing the Puja apart from doing the daily Puja:

The daily Puja of the lord is performed in every household in the Hindu family which is done as a matter of devotion and routine. The presence of Ganesha is solicited on the occasion of marriages and the invitation cards are generally printed with the following Ganesha Mantra.

बेहद चमत्कारी है काली गुंजा | जो चाहोगे वो पाओगे | चमत्कारी गुंजा के अदभुत टोटके

Vakratund Mahakaya, Suryakoti Samaprabhah Nirvighnam Kuru Me Deva, Sarvakaryeshu Sarvada

But, the worship of Ganesha becomes a community event during the Ganesha Chaturthi celebrations. The worship of Ganesha was started as a non-community event by Chatrapati Shivaji Maharaj who was the great Maratha ruler. Shivaji Maharaj was always in conflict with Mughal emperors and he wanted to unite the Hindus with the help of Ganesha Puja to promote culture and nationalism. Therefore, Ganesha Puja became important in the Peshwa Empire ruled by Marathas.

The Puja transformed into a community event due to the efforts of Lokmanya Tilak (a freedom fighter). Tilak was conscious of the fact that Lord Ganesha had a universal appeal among the Hindus. Lord Ganesha was recognized as a God for everybody. He popularized Lord Ganesha Chaturthi Puja as a Community Puja. His objective was also promotion of nationalistic feelings in masses. This festival was also used as a tool to bridge the gap between Brahmins and Non Brahmins.

Tilak wanted to spread the message of freedom struggle through organizations of Ganesha Chaturthi festivals. Another objective was to defy the British rulers who had banned public assemblies. The occasion of Puja was utilized for public assemblies and mass communications and gave Indians a feeling of unity and revived their patriotic spirit and faith.

India is free today. But, it is a country of great diversities. Unity is absolutely necessary in this environment of diversity. The country must learn to behave unitedly at the time of strains and stresses. It is necessary to safeguard our freedom. The objective of Lokmanya Tilak is still relevant. In addition Lord Ganesha remains present amongst us on Ganesha Chaturthi day. Therefore, the worship of Ganesha on this particular day is very significant.

Ganesh Chaturthi Vrat Katha – Part 1

Once upon a time, Lord Shiva and Goddess Parvati were sitting by the banks of the Narmada River. Parvati suggested playing a game of dice to pass the time. Shiva agreed and prepared to play. However, the question arose as to who would decide the winner and loser of the game.

Contemplating this question, Lord Shiva collected a few dice and made a doll out of them, infusing life into it. He then asked the doll, “We wish to play dice, but there is no one to determine the winner or loser. So, tell us, who among us lost and who won?”

With the game of dice commencing, Parvati emerged as the winner three times in a row due to fortunate circumstances. At the end of the game, the doll was consulted to decide the outcome. The doll declared that Lord Shiva was the winner. Upon hearing this, Parvati became furious and cursed the doll to be lame and stuck in the mud. The doll pleaded for forgiveness, explaining that it was due to ignorance and not out of any malice. On receiving the doll’s apology, Parvati said, “In the future, during the Ganesh puja, young maidens will come. Follow their instructions and observe the Ganesh Vrat. By doing so, you will attain my blessings.” Having said this, Parvati departed for Mount Kailash along with Lord Shiva.

A year later, the young maidens arrived at the same place. Curious about the observance of the Ganesh Vrat, the doll diligently observed the fast for Lord Ganesh for twenty-one consecutive days. Pleased with the doll’s devotion, Lord Ganesh granted it a boon. The doll requested the power to walk with its own feet and accompany its parents to Mount Kailash, so that they could witness its presence and be pleased.

Granting the doll’s wish, Lord Ganesh disappeared. Subsequently, the doll reached Mount Kailash and narrated its journey to Lord Mahadev. From that day onward, Parvati turned away from Lord Shiva. Infuriated, Lord Shiva observed the Ganesh Vrat as instructed by the doll for twenty-one days. As a result, Parvati’s anger towards Lord Shiva ceased.

Lord Shiva explained the procedure of the Vrat to Goddess Parvati. Inspired by this, Parvati also desired to meet her son Kartikeya. She too observed the Ganesh Vrat for twenty-one days, performing the worship of Lord Ganesh with blades of grass, flowers, and laddoos. On the twenty-first day, Kartikeya himself came to meet Parvati. Since then, the Ganesh Chaturthi Vrat has been considered a fast that fulfills desires.

Ganesh Chaturthi Katha – Part 2

According to the Shiva Purana, Goddess Parvati once created a young boy from her dirt before taking a bath. She installed him as her gatekeeper. When Lord Shiva attempted to enter, the boy stopped him. In response, Shiva’s attendants engaged in a fierce battle with the boy, but they couldn’t defeat him. Enraged, Lord Shiva severed the boy’s head with his trident. This angered Goddess Parvati, and she decided to bring about destruction. Worried, the gods sought the advice of sage Narada and praised Jagadamba (the Universal Mother) to calm her down. Following Lord Shiva’s instructions, Lord Vishnu brought the head of the first living being he encountered in the northern direction, which happened to be an elephant. Lord Rudra, also known as Mritunjaya, placed the elephant’s head on the boy’s body, thus reviving him. Delighted, Goddess Parvati embraced the boy with her heart and blessed him to be the leader among all gods. Brahma, Vishnu, and Mahesh declared him the supreme deity and worthy of worship. Lord Shiva said, “Girijanandan! Your name will be foremost in the removal of obstacles. You shall become the revered deity of all and preside over my ganas (attendants). Ganesha! You were born on the Chaturthi (fourth day) of the dark fortnight of the Bhadrapada month, during the moon’s rise. On this day, those who observe a fast will have all obstacles removed and attain success. During the night of the Chaturthi, after performing your worship at the time of moonrise, offer arghya (water offering) to the moon and give sweets to a Brahmin. Then, partake in a sweet meal yourself. Those who observe the Ganesh Chaturthi fast will have their desires fulfilled throughout the year.”

Ganesh Chaturthi Vrat Katha – Part 3

According to the story, once Lord Shiva and Goddess Parvati were sitting near the banks of the Narmada River. Goddess Parvati suggested playing a game of dice to pass the time. Lord Shiva agreed to play, but they needed someone to decide the winner.

To address this, Lord Shiva gathered some sticks and created a doll. He then breathed life into the doll and said, “Son, we want to play dice, but we need someone to decide the winner. Tell us who won and who lost.”

With that, the game of dice began. They played three rounds, and by chance, Goddess Parvati won all three times. At the end of the game, they asked the doll to decide the winner. The doll declared Lord Shiva as the winner. Hearing this, Goddess Parvati became angry and cursed the doll to become lame and stay in the mud.

The doll apologized to the Goddess, saying that it was due to ignorance and not out of any ill intent. Seeking forgiveness, the doll asked the Goddess what it could do to make amends. Goddess Parvati then revealed that on Ganesh Chaturthi, young maidens (Nag Kanyas) would come for worship, and by observing the fast of Lord Ganesha, the doll would attain her blessings. The Goddess instructed the doll that by doing so, it would gain her favor.

Afterward, the Nag Kanyas arrived at the designated spot after a year. The doll, having learned the rituals of Lord Ganesha’s fast from the Nag Kanyas, observed the fast for 21 consecutive days. Pleased with the doll’s devotion, Lord Ganesha granted a boon to the doll. The doll asked for the power to travel with its feet to reach Kailash Parvat with its parents and for Lord Shiva and Goddess Parvati to be pleased by witnessing this.

Granting the wish, Lord Ganesha disappeared. The doll then reached Kailash Parvat and narrated its story to Lord Shiva. From that day forward, Goddess Parvati’s anger dissipated, and the displeasure she held toward Lord Shiva also vanished.

Lord Shiva, following the doll’s guidance, observed the fast of Lord Ganesha for 21 days. As a result, Goddess Parvati’s displeasure towards Lord Shiva was resolved.

Lord Shiva explained the procedure of this fast to Goddess Parvati. Upon hearing it, Goddess Parvati also desired to meet her son Kartikeya. She observed the fast of Lord Ganesha for 21 days, performed the worship of Lord Ganesha with Durva grass, flowers, and sweets. On the 21st day of the fast, Kartikeya himself arrived to meet Goddess Parvati. Since then, the fast of Ganesh Chaturthi has been known as a fast that fulfills desires.

जैसा कि पौराणिक कथा कहती है, देवी पार्वती के आदेशानुसार कार्य करते समय भगवान शिव द्वारा भगवान गणेश के सिर को काट दिया गया था। देवी पार्वती की उत्कट प्रतिरोध और क्रोध के कारण भगवान गणेश की पुनरुत्थान की वजह से उनकी सिर पर हाथी का सिर रख गया था|  भारत में बनी पहली एनिमेशन फिल्मों में से एक “बाल गणेश” ने देवता को बच्चों के बीच मशहूर बना दिया है और बच्चों को बीज मंत्र “ॐ गुं गणपतये नमः” भी पता होता है।

हाथी के सिर वाले भगवान, भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र को पहले पूजन का अधिकार प्राप्त हुआ था। इसलिए, भगवान गणेश पंचायतन पूजा में मौजूद हैं, जिसमें पांच देवताओं – ब्रह्मा, विष्णु, महेश, देवी दुर्गा और भगवान गणेश के रूप में लोग पूजा करते हैं। इसलिए, हर हिन्दू अपने कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के नाम से “ॐ श्री गणेशाय नमः” का जाप करके करता है। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और शुभ भाग्य के सर्वोच्च देवता के रूप में पूजा किया जाता है।

उन्हें बुराइयों का नाश करने वाला माना जाता है। उनके विभिन्न नामों से पहचाना जाता है, कुछ उदाहरण हैं धूम्रकेतु, एकदंथ, गजकर्णक, लंबोदर, विघ्नराज, गजानन, विनायक, वक्रतुंड, सिद्धिविनायक, सुर्पकर्ण, हेरम्बा, स्कंदपूर्वज, कपिल, विघ्नेश्वर आदि। वे मूषक (चूहे) पर सवार होते हैं, जो अहंकार को प्रतिष्ठित करता है।

गणेश चतुर्थी पूजा और पूजा का समय का विशेष महत्व:

गणेश चतुर्थी शनिवार, 19 सितंबर 2023 को है।

मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त – सुबह 11:01 बजे से दोपहर 1:28 बजे तक।

अवधि – 02 घंटे 27 मिनट।

गणेश विसर्जन गुरुवार, 28 सितंबर 2023 को होगा।

पिछले दिन चांद देखने से बचने का समय – दोपहर 12:39 बजे से शाम 8:10 बजे तक, 18 सितंबर

अवधि – 07 घंटे 32 मिनट।

चांद देखने से बचने का समय – सुबह 9:45 बजे से रात 8:43 बजे तक।

अवधि – 10 घंटे 59 मिनट।

चतुर्थी तिथि शुरू होगी – दोपहर 12:39 बजे, 18 सितंबर 2023 को।

चतुर्थी तिथि समाप्त होगी – दोपहर 1:43 बजे, 19 सितंबर 2023 को।

भगवान गणेश की पूजा रोज़ाना और हर नए कार्य की शुरुआत के लिए की जाती है। लेकिन, गणेश चतुर्थी के दिन उनकी पूजा करने का एक विशेष महत्व होता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 23 अगस्त 2009 को पड़ रही है और उनकी पूजा के लिए शुभ समय सुबह 10:00 बजे के बाद होता है।

गणेश चतुर्थी को भगवान का जन्मदिन माना जाता है। माना जाता है कि भगवान इस विशेष दिन के लिए पृथ्वी पर रहते हैं ताकि वे अपने सभी भक्तों के लिए उपस्थिति दें। यह विशेष दिन संस्कृत, कन्नड़, तमिल और तेलुगू में विनायक चतुर्थी या विनायक चविती कहलाता है। कोंकणी में इसे चावथ कहा जाता है।

यह पूजा गणेश चतुर्थी के दिन शुरू होती है और आठारह दिन तक अनंत चतुर्दशी तक चलती है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी के मास में मनाया जाता है। इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार इसके माह अगस्त या सितंबर हो सकते हैं।

मूर्ति का विसर्जन आमतौर पर 10 दिनों के बाद होता है, जो उपरोक्त राज्यों में सबसे महत्वपूर्ण सामुदायिक घटना बन जाता है।

रोज़ाना पूजा करने के अलावा पूजा करने के लाभ:

हिन्दू परिवार में प्रतिदिन भगवान की पूजा प्रत्येक घर में भक्ति और दिनचर्या के रूप में की जाती है। शादी के अवसर पर गणेश की मौजूदगी मांगी जाती है और आमतौर पर निमंत्रण पत्रों में निम्नलिखित गणेश मंत्र प्रिंट किए जाते हैं।

“वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा”

लेकिन, गणेश चतुर्थी की धूमधाम से मनाई जाने वाली पूजा एक सामुदायिक घटना बन जाती है। गणेश की पूजा एक सामुदायिक घटना के रूप में चत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा शुरू की गई थी, जो महान मराठा शासक थे। शिवाजी महाराज हमेशा मुग़ल सम्राटों के साथ विवाद में थे और उन्होंने संस्कृति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए गणेश पूजा की मदद से हिन्दुओं को एकता करना चाहा। इसलिए, मराठों द्वारा शासित पेशवा साम्राज्य में गणेश पूजा महत्वपूर्ण हो गई।

पूजा एक सामुदायिक घटना के रूप में बदल गई थी लोकमान्य तिलक (एक स्वतंत्रता सेनानी) के प्रयासों के कारण। तिलक जागरूक थे कि भगवान गणेश का हिन्दू लोगों के बीच एक सार्वभौमिक आकर्षण था। भगवान गणेश को सबके लिए भगवान माना जाता था। उन्होंने गणेश चतुर्थी पूजा को सामुदायिक पूजा के रूप में प्रचलित किया। उनका उद्देश्य भी जनवादी भावनाओं को जनता में प्रचारित करना था। यह त्योहार ब्राह्मणों और गैर ब्राह्मणों के बीच की दूरी को भी मिटाने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किया गया।

तिलक ने गणेश चतुर्थी महोत्सवों के संगठन के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम का संदेश फैलाने की इच्छा रखी थी। एक उद्देश्य यह भी था कि ब्रिटिश शासकों का मुखानिर्देशित सार्वजनिक सभाओं को उल्लंघन करना था। पूजा के अवसर का उपयोग जनता सभाओं और जनसंचार के लिए किया गया और भारतीयों को एकता का एहसास दिया और उनकी देशभक्ति और आस्था को पुनः जागृत किया।

भारत आज़ाद है। लेकिन, यह एक महानताओं का देश है। विविधताओं के इस वातावरण में एकता बिलकुल आवश्यक है। देश को तनाव और दबाव के समय में एकजुट व्यवहार करना आवश्यक है। हमें अपनी स्वतंत्रता की सुरक्षा करनी होगी। लोकमान्य तिलक का उद्देश्य अभी भी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा भगवान गणेश गणेश चतुर्थी के दिन हमारे बीच मौजूद रहते हैं। इसलिए, इस विशेष दिन पर गणेश की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है।

गणेश चतुर्थी व्रत कथा ( Ganesh Chaturthi Vrat Katha)-1 

एक समय की बात है, भगवान शंकर और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। वहां पार्वती ने शिवजी से समय बिताने के लिए चौपड़ खेलने की बात की। शिवजी चौपड़ खेलने के लिए तैयार हो गए। परंतु खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा?

इस प्रश्न पर विचार करते हुए, भोलेनाथ ने कुछ तिनके इकट्ठा करके उसका पुतला बनाया और उस पुतले में प्राण प्रतिष्ठा की। फिर उन्होंने पुतले से कहा कि हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, परंतु हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है। इसलिए तुम बताओ कि हम में से कौन हारा और कौन जीता।

इसके बाद चौपड़ का खेल शुरू हो गया। तीन बार खेला गया, और संयोग से तीनों बार पार्वती जी जीत गईं। खेल के समाप्त होने पर पुतले से हार-जीत का फैसला करने के लिए कहा गया, तो पुतले ने महादेव को विजयी बताया। यह सुनकर पार्वती जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने क्रोध में आकर पुतले को लंगड़ा और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दिया। पुतले ने माता से माफी मांगी और कहा कि मुझसे अज्ञानता के कारण ऐसा हुआ, मैंने किसी द्वेष में ऐसा नहीं किया। पुतले की क्षमा मांगने पर माता ने कहा कि यहां गणेश पूजन के लिए नाग कन्याएं आएंगी, उनके कहने पर तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे। यह कहकर माता पार्वती, भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं।

एक वर्ष के बाद उसी स्थान पर नाग कन्याएं आईं। नाग कन्याओं से श्री गणेश के व्रत की विधि जानने पर पुतले ने 21 दिन लगातार गणेश जी का व्रत किया। उसकी श्रद्धा देखकर गणेश जी प्रसन्न हो गए और श्री गणेश ने पुतले से मनचाहे फल मांगने के लिए कहा। पुतले ने कहा कि हे विनायक, मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंच सकूं और वे यह देखकर प्रसन्न हों।

पुतले को यह वरदान दिया गया और श्री गणेश अद्यापि अनुपस्थित हैं। पुतले के बाद कैलाश पर्वत पर पहुंचने की कथा उसने भगवान महादेव को सुनाई। उस दिन से पार्वती जी शिवजी से विमुख हो गईं। देवी की रुष्ठि होने पर भगवान शंकर ने भी पुतले द्वारा बताए गए रूप में श्री गणेश का व्रत 21 दिनों तक किया। इसके प्रभाव से माता की मनोकामना पूरी हुई और उनकी नाराजगी समाप्त हुई।

यह व्रत विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताई। इसको सुनकर पार्वती जी को भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जाग्रत हुई। माता ने भी 21 दिन तक श्री गणेश व्रत किया और दूर्वा, पुष्प, और लड्डूओं से श्री गणेश जी का पूजन किया। व्रत के 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं पार्वती जी से मिलने आएंगे। इस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का व्रत मनोकामनाएं पूरी करने वाला व्रत माना जाता है।

गणेश चतुर्थी कथा (Ganesh Chaurthi Katha ) -2 

शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान करने से पहले अपनी मैल से एक बालक को जन्म दिया और उसे अपने द्वारपाल के रूप में स्थापित किया। जब शिवजी वहां प्रवेश करना चाहे, तो उस बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगण ने बालक के साथ भयंकर युद्ध किया, लेकिन उसे कोई पराजित नहीं कर सका। तत्पश्चात्, भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। इससे माता पार्वती रुष्ट हो उठीं और उन्होंने प्रलय करने का निश्चय लिया। भयभीत देवताओं ने देवर्षि नारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया। शिवजी के निर्देश पर विष्णुजी ने उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर लाए। मृत्युंजय रुद्र ने उस गज के सिर को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। माता पार्वती ने आनंद से उस गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाधिकारी घोषित करके उसे पूज्य बनाया। भगवान शंकर ने बालक से कहा, “गिरिजानंदन! विघ्नों का नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सभी का पूज्य बनकर मेरे सभी गणों का अध्यक्ष बन जा। गणेश्वर! तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदय के समय उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्न नाश हो जाएंगे और उसे सभी सिद्धियाँ प्राप्त होंगी। कृष्णपक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के बाद व्रती चंद्रमा को अर्घ्य दें और ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाएं। उसके बाद स्वयं भी मीठा भोजन करें। वर्षभर तक श्री गणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

गणेश चतुर्थी व्रत कथा ( Ganesh Chaurthi Vrat Katha ) -3

कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर और माता पार्वती नर्मदा नदी के निकट बैठे थे। वहां देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से समय व्यतीत करने के लिए चौपड़ खेलने को कहा। भगवान शंकर चौपड़ खेलने के लिए तैयार हो गए, परंतु इस खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा?

इसका प्रश्न उठा, इसके जवाब में भगवान भोलेनाथ ने कुछ तिनके एकत्रित कर उसका पुतला बनाया, उस पुतले की प्राणप्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा कि बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, परंतु हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है। इसलिए तुम बताओ कि हम में से कौन हारा और कौन जीता।

यह कहने के बाद चौपड़ का खेल शुरू हो गया। खेल तीन बार खेला गया, और संयोग से तीनों बार पार्वती जी जीत गईं। खेल के समाप्त होने पर बालक से हार-जीत का फैसला करने के लिए कहा गया, तो बालक ने महादेव को विजयी बताया। यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने क्रोध में आकर बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक ने माता से माफी मांगी और कहा कि मुझसे अज्ञानता वश ऐसा हुआ, मैंने किसी द्वेष में ऐसा नहीं किया। बालक के क्षमा मांगने पर माता ने कहा कि यहां गणेश पूजन के लिए नाग कन्याएं आएंगी, उनके कहने अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे। यह कहकर माता भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं।

ठीक एक वर्ष बाद उस स्थान पर नाग कन्याएं आईं। नाग कन्याओं से श्री गणेश के व्रत की विधि मालूम करने पर उस बालक ने 21 दिन लगातार गणेश जी का व्रत किया। उसकी श्रद्धा देखकर गणेश जी प्रसन्न हो गए और श्री गणेश ने बालक से मनोकामना पूरी करने के लिए कहा। बालक ने कहा कि हाँ विनायक, मुझमें इतनी शक्ति दीजिए, कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंच सकूं और वे यह देखकर प्रसन्न हों।

बालक को यह वरदान दिया गया और श्री गणेश अंतर्धान हो गए। बालक इसके बाद कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और अपनी कथा भगवान महादेव को सुनाई। उस दिन से पार्वती जी शिवजी से विमुख हो गईं। देवी की रुष्ठि होने पर भगवान शंकर ने भी बालक के बताए अनुसार श्री गणेश का व्रत 21 दिन तक किया। इसके प्रभाव से माता की मन से भगवान भोलेनाथ के लिए जो नाराजगी थी, वह समाप्त हुई।

यह व्रत विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताई। इसे सुनकर माता पार्वती के मन में भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जाग्रत हुई। माता ने भी 21 दिन तक श्री गणेश व्रत किया और दूर्वा, पुष्प और लड्डूओं से श्री गणेश जी की पूजा की। व्रत के 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं पार्वती जी से मिलने आएं। उस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का व्रत मनोकामना पूरी करने वाला व्रत माना जाता है।

Astrological significance of Ganesha Puja in the year 2022

The Ganesh Chaturthi fasting dates for 2022 are as follows:

On January:

  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Thursday, January 6, 2022. From 2:35 PM on January 5 to 12:29 PM on January 6.
  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Friday, January 21, 2022. From 8:52 AM on January 21 to 9:14 AM on January 22.

On February:

  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Friday, February 4, 2022. From 4:38 AM to 3:47 AM on February 5.
  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Saturday, February 20, 2022. From 9:56 PM on February 19 to 9:05 PM on February 20.

On March:

  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Sunday, March 6, 2022. From 8:36 PM to 9:12 PM on March 6.
  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Monday, March 21, 2022. From 8:20 AM on March 21 to 6:24 AM on March 22.

On April:

  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Tuesday, April 5, 2022. From 1:55 PM to 3:45 PM on April 5.
  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi (Angaraki Chaturthi): Wednesday, April 20, 2022. From 4:39 PM on April 19 to 1:53 PM on April 20.

On May:

  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Wednesday, May 4, 2022. From 7:33 AM to 10:01 AM on May 5.
  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Thursday, May 19, 2022. From 11:37 PM on May 18 to 8:24 PM on May 19.

On June:

  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Friday, June 3, 2022. From 12:17 PM to 2:42 PM on June 4.
  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Friday, June 17, 2022. From 6:11 AM on June 17 to 2:59 PM on June 18.

On July:

  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Sunday, July 3, 2022. From 3:17 AM to 5:07 PM on July 3.
  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Sunday, July 17, 2022. From 1:27 AM on July 16 to 10:49 AM on July 17.

On August:

  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi (Nag Chaturthi): Monday, August 1, 2022. From 4:18 AM to 5:13 AM on August 2.
  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi (Sankata Hara Chaturthi, Hamba Sankashti Chaturthi): Monday, August 15, 2022. From 10:36 PM on August 14 to 9:02 PM on August 15.
  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi (Ganesh Chaturthi, Sankashti Chaturthi Paksha): Wednesday, August 31, 2022. From 3:33 AM to 3:23 AM on September 1.

On September:

  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi (Angaraki Chaturthi): Tuesday, September 13, 2022. From 10:37 AM on September 13 to 10:25 AM on September 14.
  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Thursday, September 29, 2022. From 1:28 AM to 12:09 AM on September 30.

On October:

  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Thursday, October 13, 2022. From 1:59 AM to 3:08 AM on October 14.
  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Saturday, October 29, 2022. From 10:34 AM to 8:13 AM on October 30.

On November:

  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Saturday, November 12, 2022. From 8:17 PM on November 11 to 10:26 PM on November 12.
  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Sunday, November 27, 2022. From 7:28 PM to 4:25 PM on November 28.

On December:

  • Krishna Paksha Sankashti Chaturthi: Monday, December 11, 2022. From 4:15 PM to 6:49 PM on December 12.
  • Shukla Paksha Vinayak Chaturthi: Tuesday, December 27, 2022. From 4:51 AM to 1:38 AM on December 28.

गणेश चतुर्थी व्रत तिथि 2022 इस प्रकार है।

चतुर्थी तिथि जनवरी में

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

6 जनवरी 2022, गुरुवार

05 जनवरी 2022 दोपहर 2:35 बजे – 06 जनवरी 2022 दोपहर 12:29 बजे

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

21 जनवरी सुबह 8:52 बजे – 22 जनवरी 22 बजे सुबह 9:14 बजे

चतुर्थी तिथि फरवरी में

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

शुक्रवार, 04 फरवरी 2022

04 फरवरी सुबह 4:38 बजे – 05 फरवरी सुबह 3:47 बजे

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

शनिवार, 20 फरवरी 2022

19 फरवरी रात 9:56 बजे – 20 फरवरी रात 9:05 बजे

चतुर्थी तिथि मार्च में

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

रविवार, 06 मार्च 2022

05 मार्च रात 8:36 बजे – 06 मार्च रात 9:12 बजे

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

सोमवार, 21 मार्च 2022

21 मार्च सुबह 8:20 बजे – 22 मार्च सुबह 6:24 बजे

चतुर्थी तिथि अप्रैल में

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

मंगलवार, 05 अप्रैल 2022

04 अप्रैल दोपहर 1:55 बजे – 05 अप्रैल दोपहर 3:45 बजे

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी (अंगारकी चतुर्थी)

मंगलवार, 19 अप्रैल 2022

19 अप्रैल शाम 4:39 बजे – 20 अप्रैल दोपहर 1:53 बजे

चतुर्थी तिथि मई में

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

बुधवार, 04 मई 2022

04 मई सुबह 7:33 बजे – 05 मई सुबह 10:01 बजे

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

गुरुवार, 19 मई 2022

18 मई रात 11:37 बजे – 19 मई रात 8:24 बजे

चतुर्थी तिथि जून में

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

शुक्रवार, 03 जून 2022

03 जून दोपहर 12:17 बजे – 04 जून दोपहर 2:42 बजे।

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

शुक्रवार, 17 जून 2022

17 जून सुबह 6:11 बजे – 18 जून दोपहर 2:59 बजे।

चतुर्थी तिथि जुलाई में

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

रविवार, 03 जुलाई 2022

02 जुलाई दोपहर 3:17 बजे – 03 जुलाई शाम 5:07 बजे।

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

रविवार, 17 जुलाई 2022

16 जुलाई दोपहर 1:27 बजे – 17 जुलाई सुबह 10:49 बजे।

चतुर्थी तिथि अगस्त में

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी (नाग चतुर्थी)

सोमवार, 01 अगस्त 2022

01 अगस्त सुबह 4:18 बजे – 02 अगस्त सुबह 5:13 बजे।

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी (संकट हारा चतुर्थी, हरम्बा संकष्टी चतुर्थी)

सोमवार, 15 अगस्त 2022

14 अगस्त रात 10:36 बजे – 15 अगस्त रात 9:02 बजे।

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी (गणेश चतुर्थी, संवत्सरी चतुर्थी पक्ष)

बुधवार, 31 अगस्त 2022

30 अगस्त दोपहर 3:33 बजे – 31 अगस्त दोपहर 3:23 बजे।

चतुर्थी तिथि सितंबर में

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी (अंगारकी चतुर्थी)

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

13 सितंबर सुबह 10:37 बजे – 14 सितंबर सुबह 10:25 बजे

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

गुरुवार, 29 सितंबर 2022

29 सितंबर पूर्वाह्न 1:28 बजे – 30 सितंबर पूर्वाह्न 12:09 बजे

चतुर्थी तिथि अक्टूबर में

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022

13 अक्टूबर सुबह 1:59 बजे – 14 अक्टूबर सुबह 3:08 बजे।

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

शनिवार, 29 अक्टूबर 2022

28 अक्टूबर सुबह 10:34 बजे – 29 अक्टूबर सुबह 8:13 बजे।

चतुर्थी तिथि नवंबर में

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

शनिवार, 12 नवंबर 2022

11 नवंबर रात 8:17 बजे – 12 नवंबर रात 10:26 बजे

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

रविवार, 27 नवंबर 2022

26 नवंबर शाम 7:28 बजे – 27 नवंबर शाम 4:25 बजे

चतुर्थी तिथि दिसंबर में

कृष्ण पक्ष संकष्टी चतुर्थी

रविवार, 11 दिसंबर 2022

11 दिसंबर शाम 4:15 बजे – 12 दिसंबर शाम 6:49 बजे

शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी

मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

26 दिसंबर सुबह 4:51 बजे – 27 दिसंबर सुबह 1:38 बजे

Q: What is Ganesh Chaturthi?

A: Ganesh Chaturthi, also known as Vinayaka Chaturthi, is a Hindu festival that celebrates the birth of Lord Ganesha, the elephant-headed deity and remover of obstacles.

Q: When is Ganesh Chaturthi celebrated?

A: Ganesh Chaturthi falls on the fourth day of the Hindu lunar month of Bhadrapada, usually in August or September.

Q: How long does Ganesh Chaturthi last?

A: The festival typically lasts for 10 days, with the grandest celebrations occurring on the last day, known as Anant Chaturdashi.

Q: How is Ganesh Chaturthi celebrated?

A: The celebrations involve installing clay idols of Lord Ganesha in homes and public pandals. Devotees perform prayers, chant hymns, and offer various offerings, including sweets and fruits, to seek blessings from Lord Ganesha.

Q: What is Visarjan, and when does it take place?

A: Visarjan refers to the immersion of the Ganesha idols in water. It takes place on the last day of the festival, Anant Chaturdashi, symbolizing the departure of Lord Ganesha to Mount Kailash.

Q: Are there any eco-friendly alternatives for Ganesh Chaturthi celebrations?

A: Yes, many people are opting for eco-friendly Ganesha idols made from clay, paper, or natural materials to reduce environmental impact during immersion.

Q: Is Ganesh Chaturthi celebrated only in India?

A: No, Ganesh Chaturthi is celebrated not only in India but also by Hindu communities around the world, especially in countries with a significant Indian diaspora.

Q: What is the significance of Ganesh Chaturthi?

A: Ganesh Chaturthi is considered auspicious for new beginnings, prosperity, and removing obstacles. It is also an occasion for fostering unity and social gatherings.

Q: Are there any specific rituals associated with Ganesh Chaturthi?

A: Yes, the festival involves daily prayers, aarti, bhajans (devotional songs), and offerings to Lord Ganesha. Modak, a sweet delicacy, is considered the favorite of Lord Ganesha and is offered to him.

Q: Can people from other religions participate in Ganesh Chaturthi celebrations?

A: Yes, Ganesh Chaturthi is a festival that promotes inclusivity and harmony. People from all religions are welcome to join the festivities and experience the cultural richness of this joyous occasion.

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