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Teji Mandi 2025

Teji Mandi 2025

तेजी मंदी- January 2025

तिल, मूंगफली, अलसी, सरसों तथा तेलों में तेजी। शेयरों में अस्थिरता पश्चात तेजी आयेगी। रसायनिक पदार्थों में मंदी, चावल, गेहूँ, चना, मूँग, मोठ, मिर्च, मसालों तथा ऊनी वस्त्र और सोना-चाँदी में तेजी रहेगी।

तेजी मंदी- Feb 2025

चीनी, गुड़, शक्कर, मोठ, चावल के भावों में अस्थिरता। मेवादि, सोना-चाँदी, रुई, कपास तथा रसायनिक पदार्थ तथा मशीनरी में तेजी आयेगी। शेयरों में मंदी। प्लास्टिक तथा स्टील, ताँबा, पीतल, जस्ता में तेजी रहेगी।

तेजी मंदी-March 2025

मूंग, मोठ, दलहन, अनाजों में मंदी कारक है। गेहूं, चावल, जौ, ज्वार, सरसों, मूँगफली व तिल आदि तेलों के भावों में अस्थिरता रहेगी। नशीले पदार्थ, रसायनिक पदार्थ व शेयरों में तेजी आयेगी। वाहन, मशीनरी तेज होंगे। मेवादि, किराना में तेजी होगी।

तेजी मंदी – Apr 2025

शेयर बाजार, सोना, चाँदी, कागज व्यवसाय में आश्चर्यजनक तेजी होगी। लोहे व कलपुर्जों के सामान में तेजी रहेगी। मूँग, मोठ, चना, दालवाना तेज, मूंगफली, सरसो, सोयाबीन व अरण्ड के तेलों में उछाल की तेजी आयेगी। किराना सामान, ताँबा, पीतल, स्टील सामान तेज होंगे।

तेजी मंदी – May 2025

चन्द्र दर्शन से मूँग, मोठ, गेहूँ, जौ, चावल में तेजी रहकर मंदी आयेगी। मूँगफली, सोयाबीना व वेजीटेबल में तेजी आयेगी। रुई, कपास आदि में मंदी, शेयर बाजार में अस्थिरता होकर गिरावट आयेगी। लोहा, सोना, ताँबा, चाँदी में मंदी का रुख रहेगा। रबड़, प्लास्टिक के सामान में तेजी आयेगी। वारदाना, मेवा सामान किसमिस, बादाम, काजू, अखरोट आदि तेज होंगे। ईंधन, पेट्रोल, डीजल, गैस आदि के प्रति शासकीय दल चिन्तित रहेगा।

तेजी मंदी- June 2025

गेहूँ, जौ, चना, चावल, ज्वार, गुवार, मूँग, मोठ में तेजी रहेगी। चीनी आदि रस पदार्थों में मंदी होगी। लोहा सामान, चाय-काफी, अफीम, तम्बाकू, रेशमी वस्त्र में तेजी आयेगी। चावल, चना, बाजरा, जौ, ज्वार में मंदी होगी। घी सभी तेल तथा गुड़, चीनी, शक्कर आदि रस पदार्थ उत्तरार्ध में तेज होंगे। मसूर, अरहर में तेजी आयेगी। चाँदी, सोना, ताँबा धातु में मामूली गिरावट आयेगी।

तेजी मंदी – July 2025

सरसो, चना, जौ, ज्वार में मंदी रहेगी। गुड़, शक्कर, चीनी, रुई, कपास के वस्त्रों में तेजी होगी। रसायनिक पदार्थ, ताँबा, सोना व चाँदी में तेजी होगी। शेयर बाजार में उछाल की तेजी होगी। गेहूँ, चना, मूँग, मोठ में मंदी रहेगी। मासान्त में चावल, जौ, ज्वार आदि धान्य भावों में गिरावट आयेगी। चना, सरसों, मूंगफली तथा पीली वस्तु सोना, पीतल धातु में तेजी होगी।

तेजी मंदी – Aug 2025

चन्द्र दर्शन से सोना, चाँदी, लोहा, ताँबा, गुड़, शक्कर, चीनी, रुई वस्त्र महँगे होंगे। गेहूँ, मूँग, मोठ, चावल, चना में घटाबढ़ी चलेगी। सोयाबीन, मूंगफली व तुरई के तेलों में तेजी होगी। शेयर भावों में घटाबढ़ी होकर मंदी होगी। शनिवारी अमावस्या से उत्तरार्ध में सोना-चाँदी, ताँबा, स्टील और लोहा के सामान में तेजी का संचार होगा।

तेजी मंदी – Sep 2025

शेयर बाजार, केमिकल सामान और प्लास्टिक सामान, रुई, सूत, कपास, वारदाना में तेजी रहेगी। चाँदी, सोना में झटके की तेजी बनेगी। मूंगफली सरसो, अरण्ड के तेलों में तेजी होगी। गेहूँ, जौ, चावल, ज्वार में मंदी रहेगी। कन्या के सूर्य से सोना, चाँदी, मूंग, मोठ, ज्वार, मक्का में मंदी आयेगी।

तेजी मंदी- Oct 2025

गेहूँ, जौ, चावल, चना, मूंग, मोठ, बाजरा के भावों में घटाबढ़ी होगी। गुड़, चीनी, शक्कर में तेजी का वातावरण बनेगा। उत्तरार्ध में सरसो, सोयाबीन, मूंगफली, एरण्ड व वनस्पति घी तथा शेयर बाजार में उछाल आयेगा।

तेजी मंदी- Nov 2025

चना, सरसो, अलसी, सोयाबीन, सूत, कपास, रुई, बिनौला में मंदी होगी। शेयर बाजार, गुड़, चीनी, शक्कर, घी में घटाबढ़ी होकर मंदी होगी। मशीनरी सामान व रेशमी वस्त्र, ईंधन, तेल, पेट्रोल, घास, चारा में तेजी का रुख रहेगा। मासान्त में सोना, चाँदी, पीतल, ताँबा तेज होंगे।

तेजी मंदी- Dec 2025

चन्द्र दर्शन से रसायनिक पदार्थ शेयर बाजार और वाहनादि मशीनरी सामान तेज होंगे। बादाम, काजू, किसमिस, अखरोट, कालीमिर्च आदि किराना में सामान में उछाल आयेगा। चना, सरसो, मूंगफली तथा पीली धातु, सोना-चाँदी, पीतल एवं पीली वस्तु में तेजी आयेगी। उत्तरार्ध में शेयर बाजार में गिरावट आयेगी, गेहूँ, चावल, मूंग, मोठ, गुड, शक्कर में गिरावट होगी।

Navratri Kalash Sthapana Samgri

Navratri Kalash Sthapana Samgri

सामग्री मात्रा
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल चन्दन10 ग्राम
सफ़ेद चन्दन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
सर्वौषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
सप्तधान्य100 ग्राम
पीली सरसों50 ग्राम
नवग्रह चावल1 पैकेट
जनेऊ11 पीस
इत्र बड़ी1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)2 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
जटादार सूखा नारियल1 पीस
अक्षत (चावल)1 किलो
धूपबत्ती2 पैकेट
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पैकेट
देशी घी1 किलो
सरसों का तेल1 किलो
कपूर50 ग्राम
कलावा5 पीस
चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
बताशा500 ग्राम
लाल रंग5 ग्राम
पीला रंग5 ग्राम
काला रंग5 ग्राम
नारंगी रंग5 ग्राम
हरा रंग5 ग्राम
बैंगनी रंग5 ग्राम
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग10-10 ग्राम
बुक्का (अभ्रक)10 ग्राम
गंगाजल1 शीशी
गुलाबजल1 शीशी
लाल वस्त्र1 मीटर
पीला वस्त्र1 मीटर
झंडा दुर्गा जी का1 पीस
चांदी का सिक्का1 पीस
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी1 पीस
पाटा1 पीस
रुद्राक्ष की माला1 पीस
कमलगट्टे की माला1 पीस
दोना (छोटा – बड़ा)1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)1 पीस
मिट्टी का प्याला8 पीस
मिट्टी का प्याला (जौ बोने के लिए)1 पीस
मिट्टी की दियाली8 पीस
ब्रह्मपूर्ण पात्र (अनाज से भरा पात्र आचार्य को देने हेतु)1 पीस
हवन कुण्ड1 पीस
माचिस2 पीस
आम की लकड़ी2 किलो
नवग्रह समिधा1 पैकेट
हवन सामग्री500 ग्राम
तिल100 ग्राम
जौ200 ग्राम
गुड़500 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
गुग्गुल100 ग्राम
धूप लकड़ी100 ग्राम
सुगंध बाला50 ग्राम
सुगंध कोकिला50 ग्राम
नागरमोथा50 ग्राम
जटामांसी50 ग्राम
अगर-तगर100 ग्राम
इंद्र जौ50 ग्राम
बेलगुदा100 ग्राम
सतावर50 ग्राम
गुर्च50 ग्राम
जावित्री25 ग्राम
जायफल1 पीस
भोजपत्र1 पैकेट
कस्तूरी1 डिब्बी
केसर1 डिब्बी
खैर की लकड़ी4 पीस
काला उड़द250 ग्राम
मूंग दाल का पापड़1 पैकेट
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
पंचरत्न व पंचधातु1 डिब्बी
धोती (पीली/लाल)1 पीस
अगोंछा (पीला/लाल)1 पीस
सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि।

Rudrabhishek Pujan Samagri

Rudrabhishek Pujan Samagri

‘सामग्री’   ‘मात्रा’
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल चन्दन10 ग्राम
सफेद चंदन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
 सर्वौषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
सप्तधान्य100 ग्राम
पीली सरसों50 ग्राम
गुर्च100 ग्राम
जनेऊ5 पीस
इत्र बड़ी1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)1 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
अक्षत (चावल)1 किलो
धूपबत्ती1 पैकेट
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पै.
देशी घी500 ग्राम
सरसों का तेल500 ग्राम
चमेली का तेल1 शीशी
कपूर20 ग्राम
कलावा5 पीस
चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
बताशा500 ग्राम
रंग लाल5 ग्राम
रंग पीला5 ग्राम
रंग काला5 ग्राम
रंग नारंगी5 ग्राम
रंग हरा5 ग्राम
रंग बैंगनी5 ग्राम
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग10 ग्राम
बुक्का (अभ्रक)10 ग्राम
भस्म100 ग्राम
गंगाजल1 शीशी
गुलाब जल1 शीशी
केवड़ा जल1 शीशी
लाल वस्त्र1 मी.
पीला वस्त्र1 मी.
सफेद वस्त्र1 मी.
हरा वस्त्र1 मी.
नीला वस्त्र1 मी.
झंडा हनुमान जी का1 पीस
चांदी का सिक्का1 पीस
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी1 पीस
रुद्राक्ष की माला1 पीस
दोना (छोटा – बड़ा)1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)1 पीस
मिट्टी का प्याला11 पीस
मिट्टी की दियाली11 पीस
माचिस1 पैकेट
तिल100 ग्राम
जौ100 ग्राम
गुड़500 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
केसर1 डिब्बी
पंचरत्न व पंचधातु1 डिब्बी
नाग नागिन चांदी के1 पीस
धोती पीली/लाल1 पीस
अंगोछा पीला/लाल1 पीस
सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि

Naveen Grah Pravesh Puja Samagri

Naveen Grah Pravesh Puja Samagri

सामग्री मात्रा
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल चन्दन10 ग्राम
सफ़ेद चन्दन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
सर्वौषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
सप्तधान्य100 ग्राम
पीली सरसों50 ग्राम
जनेऊ21 पीस
इत्र बड़ी1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)11 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
जटादार सूखा नारियल2 पीस
अक्षत (चावल)11 किलो
धूपबत्ती2 पैकेट
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पैकेट
देशी घी1 किलो
सरसों का तेल1 किलो
कपूर50 ग्राम
कलावा7 पीस
चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
बताशा500 ग्राम
लाल रंग5 ग्राम
पीला रंग5 ग्राम
काला रंग5 ग्राम
नारंगी रंग5 ग्राम
हरा रंग5 ग्राम
बैंगनी रंग5 ग्राम
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग10-10 ग्राम
बुक्का (अभ्रक)10 ग्राम
गंगाजल1 शीशी
गुलाबजल1 शीशी
लाल वस्त्र5 मीटर
पीला वस्त्र5 मीटर
सफेद वस्त्र5 मीटर
हरा वस्त्र2 मीटर
काला वस्त्र2 मीटर
नीला वस्त्र2 मीटर
बंदनवार (शुभ, लाभ)2 पीस
स्वास्तिक (स्टीकर वाला)5 पीस
वास्तु यन्त्र1 पीस
धागा (सफ़ेद, लाल, काला) त्रिसूक्ति के लिए1-1 पीस
लोहे की कील4 पीस
झंडा हनुमान जी का1 पीस
चांदी का सिक्का2 पीस
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी7 पीस
पाटा8 पीस
रुद्राक्ष की माला1 पीस
दोना (छोटा – बड़ा)1-1 पीस
ब्रह्मपूर्ण पात्र (अनाज से भरा पात्र आचार्य को देने हेतु)1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)11 पीस
मिट्टी का प्याला21 पीस
मिट्टी की दियाली21 पीस
हवन कुण्ड1 पीस
माचिस2 पीस
आम की लकड़ी5 किलो
नवग्रह समिधा1 पैकेट
हवन सामग्री2 किलो
तिल500 ग्राम
जौ500 ग्राम
गुड़500 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
गुग्गुल100 ग्राम
धूप लकड़ी100 ग्राम
सुगंध बाला50 ग्राम
सुगंध कोकिला50 ग्राम
नागरमोथा50 ग्राम
जटामांसी50 ग्राम
अगर-तगर100 ग्राम
इंद्र जौ50 ग्राम
बेलगुदा100 ग्राम
सतावर50 ग्राम
गुर्च50 ग्राम
जावित्री25 ग्राम
भोजपत्र1 पैकेट
कस्तूरी1 डिब्बी
केसर1 डिब्बी
खैर की लकड़ी4 पीस
काला उड़द250 ग्राम
मूंग दाल का पापड़1 पैकेट
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
पंचरत्न व पंचधातु1 डिब्बी
धोती (पीली/लाल)1 पीस
अगोंछा (पीला/लाल)1 पीस
सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि ।
काली मटकी (नजर वाली हाँड़ी)
1 चाँदी की गाय बछड़ा समेत

Murti Pran Pratishtha Samgri

Murti Pran Pratishtha Samgri

सामग्री मात्रा
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल चन्दन10 ग्राम
सफ़ेद चन्दन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
सर्वौषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
सप्तधान्य100 ग्राम
पीली सरसों50 ग्राम
जनेऊ21 पीस
इत्र बड़ी1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)11 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
जटादार सूखा नारियल2 पीस
अक्षत (चावल)11 किलो
धूपबत्ती2 पैकेट
रुई बण्डल2 पीस
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पै.
देशी घी1 किलो
सरसों का तेल1 किलो
कपूर50 ग्राम
कलावा7 पीस
कच्चा सूत2 पीस
चुनरी (लाल/पीली)1/1 पीस
बताशा500 ग्राम
मिश्री200 ग्राम
रंग लाल5 ग्राम
रंग पीला5 ग्राम
रंग काला5 ग्राम
रंग नारंगी5 ग्राम
रंग हरा5 ग्राम
रंग बैंगनी5 ग्राम
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग10 ग्राम
बुक्का (अभ्रक)10 ग्राम
भस्म100 ग्राम
गंगाजल1 शीशी
गुलाबजल1 शीशी
केवड़ा जल1 शीशी
लाल वस्त्र5 मी.
पीला वस्त्र5 मी.
सफेद वस्त्र5 मी.
हरा वस्त्र2 मी.
काला वस्त्र2 मी.
नीला वस्त्र2 मी.
बंदनवार (शुभ, लाभ)2 पीस
स्वास्तिक (स्टीकर वाला)5 पीस
धागा (सफ़ेद, लाल, काला) त्रिसूक्ति के लिए1-1 पीस
झंडा हनुमान जी का1 पीस
इन्द्रध्वज झंडा1 पीस
चांदी का सिक्का2 पीस
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी7 पीस
पाटा8 पीस
रुद्राक्ष की माला1 पीस
दोना (छोटा – बड़ा)1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)11 पीस
ब्रह्मपूर्ण पात्र (अनाज से भरा पात्र आचार्य को देने हेतु)1 पीस
मिट्टी का प्याला21 पीस
मिट्टी की दियाली21 पीस
हवन कुण्ड1 पीस
माचिस2 पीस
आम की लकड़ी5 किलो
नवग्रह समिधा1 पैकेट
हवन सामग्री2 किलो
तिल (काला/सफ़ेद)500 ग्राम
जौ500 ग्राम
गुड़500 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
गुग्गुल100 ग्राम
धूप लकड़ी100 ग्राम
सुगंध बाला50 ग्राम
सुगंध कोकिला50 ग्राम
नागरमोथा50 ग्राम
जटामांसी50 ग्राम
अगर-तगर100 ग्राम
इंद्र जौ50 ग्राम
बेलगुदा100 ग्राम
सतावर50 ग्राम
गुर्च50 ग्राम
जावित्री25 ग्राम
जायफल2 पीस
भोजपत्र1 पैकेट
कस्तूरी1 डिब्बी
केसर1 डिब्बी
खैर की लकड़ी4 पीस
काला उड़द250 ग्राम
मूंग दाल का पापड़1 पैकेट
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
पंचरत्न व पंचधातु1 डिब्बी
कच्चा मोम50 ग्राम
तार (चाँदी, स्वर्ण या पीतल)1 पीस
धोती (पीली/लाल)1-1 पीस
अगोंछा (पीला/लाल)1 पीस
सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, मेहंदी आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि ।
1 चाँदी की गाय बछड़ा समेत

Kanya Paksh Pujan Samagri

Kanya Paksh Pujan Samagri

सामग्री मात्रा
खम्भ (सजा हुआ)1 पीस
पीपा/कनस्तर (सजा हुआ) खम्भ लगाने हेतु1 पीस
दीवट1 पीस
माई (कुशा बण्डल)1 पीस
(सुहाग पुड़िया) सीताराम या गौरी-शंकर प्रतिमा1 पीस
बन्दनवार (शुभ विवाह)2 पीस
कोबर (लड़की का थापा)1 पीस
चौकी या पाटा सजा हुआ (वर-वधु के बैठने हेतु)2 पीस
सूप (सजा हुआ)1 पीस
सिल-बट्टा1 पीस
मूसल (सजा हुआ)1 पीस
मथानी (सजी हुई)1 पीस
कंकन (कन्या के हाथ में बाँधने हेतु)1 पीस
कौड़ी5 पीस
लोहे के छल्ले7 पीस
अन्तः पट हेतु नया कपड़ा (पीला/लाल या गुलाबी)1 पीस
सिंदौरा (माँग भरने हेतु)1 पीस
सिन्दौरी (पूजन हेतु)1 पीस
सिंदूर (पीला या लाल)50 ग्राम
आलता (कन्या के पैरों में लगाने हेतु)1 शीशी
धान का लावा (खील)500 ग्राम
लग्नपत्रिका (तिलक हेतु)1 पीस
द्वारचार पूजन हेतु
स्टील की टंकी2 पीस
कलसी (पीतल की)2 पीस
दीपक2 पीस
परात (पीतल की आरती हेतु)1 पीस
कन्यादान हेतु सामग्री
परात (पीतल की)1 पीस
करवा या लोटा (पीतल का)1 पीस
आटे की लोई1 पीस
धोती (पीली/लाल) वर हेतु1 पीस
पचहाण के बर्तन (कन्या को देने हेतु)

Mahamrityunjay Pujan Samagri

Mahamrityunjay Pujan Samagri

सामग्री मात्रा
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल चन्दन10 ग्राम
सफ़ेद चन्दन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
सर्वौषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
सप्तधान्य100 ग्राम
पीली सरसों50 ग्राम
जनेऊ21 पीस
इत्र बड़ी1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)11 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
जटादार सूखा नारियल2 पीस
अक्षत (चावल)11 किलो
धूपबत्ती2 पैकेट
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पै.
देशी घी1 किलो
सरसों का तेल1 किलो
चमेली का तेल1 शीशी
कपूर50 ग्राम
कलावा7 पीस
चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
बताशा500 ग्राम
रंग लाल5 ग्राम
रंग पीला5 ग्राम
रंग काला5 ग्राम
रंग नारंगी5 ग्राम
रंग हरा5 ग्राम
रंग बैंगनी5 ग्राम
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग10 ग्राम
बुक्का (अभ्रक)10 ग्राम
भस्म100 ग्राम
गंगाजल1 शीशी
गुलाबजल1 शीशी
केवड़ा जल1 शीशी
लाल वस्त्र5 मी.
पीला वस्त्र5 मी.
सफेद वस्त्र5 मी.
हरा वस्त्र2 मी.
काला वस्त्र2 मी.
नीला वस्त्र2 मी.
बंदनवार (शुभ, लाभ)2 पीस
स्वास्तिक (स्टीकर वाला)5 पीस
महामृत्युंजय यन्त्र1 पीस
धागा (सफ़ेद, लाल, काला) त्रिसूक्ति के लिए1-1 पीस
झंडा हनुमान जी का1 पीस
चांदी का सिक्का2 पीस
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी7 पीस
पाटा8 पीस
रुद्राक्ष की माला1 पीस
तुलसी की माला1 पीस
चन्दन की माला (सफ़ेद/लाल)1 पीस
स्फटिक की माला1 पीस
दोना (छोटा – बड़ा)1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)11 पीस
मिट्टी का प्याला21 पीस
मिट्टी की दियाली21 पीस
ब्रह्मपूर्ण पात्र (अनाज से भरा पात्र आचार्य को देने हेतु)1 पीस
हवन कुण्ड1 पीस
माचिस2 पीस
आम की लकड़ी5 किलो
नवग्रह समिधा1 पैकेट
हवन सामग्री2 किलो
तिल500 ग्राम
जौ500 ग्राम
गुड़500 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
गुग्गुल100 ग्राम
धूप लकड़ी100 ग्राम
सुगंध बाला50 ग्राम
सुगंध कोकिला50 ग्राम
नागरमोथा50 ग्राम
जटामांसी50 ग्राम
अगर-तगर100 ग्राम
इंद्र जौ50 ग्राम
बेलगुदा100 ग्राम
सतावर50 ग्राम
गुर्च50 ग्राम
जावित्री25 ग्राम
भोजपत्र1 पैकेट
कस्तूरी1 डिब्बी
केसर1 डिब्बी
खैर की लकड़ी4 पीस
काला उड़द250 ग्राम
मूंग दाल का पापड़1 पैकेट
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
पंचरत्न व पंचधातु1 डिब्बी
नाग नागिन चांदी के1 पीस
धोती (पीली/लाल)1-1 पीस
अगोंछा (पीला/लाल)1-1 पीस
सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि।
काली मटकी (नजर वाली हाँड़ी)
 1 चाँदी की गाय बछड़ा समेत

 Gandmool Pujan Samagri

 Gandmool Pujan Samagri

सामग्री मात्रा
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल चन्दन10 ग्राम
सफ़ेद चन्दन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
जनेऊ5 पीस
इत्र1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)2 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
जटादार सूखा नारियल1 पीस
अक्षत (चावल)1 किलो
धूपबत्ती1 पैकेट
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पैकेट
देशी घी1 किलो
सरसों का तेल1 किलो
कपूर20 ग्राम
कलावा5 पीस
चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
बताशा500 ग्राम
लाल रंग5 ग्राम
पीला रंग5 ग्राम
काला रंग5 ग्राम
नारंगी रंग5 ग्राम
हरा रंग5 ग्राम
बैंगनी रंग5 ग्राम
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग10-10 ग्राम
बुक्का  (अभ्रक)10 ग्राम
गंगाजल1 शीशी
गुलाब जल1 शीशी
सर्वौषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
सप्तधान्य100 ग्राम
पीली सरसों50 ग्राम
नवग्रह चावल1 पैकेट
पंचरत्न व पंचधातु1 डिब्बी
लाल वस्त्र1 मीटर
पीला वस्त्र1 मीटर
काला वस्त्र1 मीटर
झंडा हनुमान जी का1 पीस
रुद्राक्ष की माला1 पीस
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी1 पीस
दोना (छोटा – बड़ा)1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)1 पीस
मिट्टी का कलश (छोटा)4 पीस
मिट्टी का प्याला8 पीस
मिट्टी की दियाली8 पीस
हवन कुण्ड1 पीस
माचिस1 पीस
आम की लकड़ी2 किलो
नवग्रह समिधा1 पैकेट
हवन सामग्री500 ग्राम
तिल100 ग्राम
जौ100 ग्राम
गुड़500 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
गुग्गुल100 ग्राम
धूप लकड़ी100 ग्राम
सुगंध बाला50 ग्राम
सुगंध कोकिला50 ग्राम
नागरमोथा50 ग्राम
जटामांसी50 ग्राम
अगर-तगर100 ग्राम
इंद्र जौ50 ग्राम
बेलगुदा100 ग्राम
सतावर50 ग्राम
गुर्च50 ग्राम
जावित्री25 ग्राम
भोजपत्र1 पैकेट
कस्तूरी1 डिब्बी
केसर1 डिब्बी
काला उड़द250 ग्राम
मूंग दाल का पापड़1 पैकेट
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
मूल मुलनियाँ चांदी के1 पीस
शीशा1 पीस
सूप1 पीस
काला कंबल या चादर1 पीस
पीतल का कटोरा2 पीस
धोती (पीली /लाल)1 पीस
अगोंछा (पीला /लाल)1 पीस
27 छिद्र वाला कलश
 27 कुएं का जल
27 वृक्षों  के पत्ते
27 स्थान की मिट्टी
27  नक्षत्र हवन समिधा
27 किलो अनाज
27 कुल्हड़ या गिलास
27 प्रकार की औषधियाँ
1 चाँदी की गाय बछड़ा समेत

Deepawali Pujan Samagri

Deepawali Pujan Samagri

सामग्री मात्रा
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
सर्वौषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
पीली सरसों50 ग्राम
जनेऊ5 पीस
इत्र1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)2 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
अक्षत (चावल)1 किलो
धूपबत्ती1 पैकेट
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पैकेट
देशी घी500 ग्राम
सरसों का तेल500 ग्राम
कपूर20 ग्राम
कलावा5 पीस
चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
बताशा500 ग्राम
गंगाजल1 शीशी
नवग्रह चावल1 पैकेट
लाल वस्त्र1 मीटर
पीला वस्त्र1 मीटर
बंदनवार (शुभ, लाभ)2 पीस
स्वास्तिक (स्टीकर वाला)5 पीस
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी1 पीस
कमलगट्टे की माला1 पीस
दोना (छोटा-बड़ा)1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)1 पीस
मिट्टी का प्याला11 पीस
मिट्टी की दियाली21 पीस
माचिस1 पीस
तिल100 ग्राम
गुड़100 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
पंचरत्न व पंचधातु1 डिब्बी
लक्ष्मी यन्त्र1 पीस
श्री यन्त्र1 पीस
कुबेर यन्त्र1 पीस
धोती (पीली/लाल)1 पीस
अगोंछा (पीला/लाल)1 पीस

Ath Shri Bhoomi Pujan Samagri

Ath Shri Bhoomi Pujan Samagri

सामग्री मात्रा
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल चन्दन10 ग्राम
सफ़ेद चन्दन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
सर्वोषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
सप्तधान्य100 ग्राम
पीली सरसों50 ग्राम
नवग्रह चावल1 पैकेट
जनेऊ5 पीस
इत्र1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)2 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
जटादार सूखा नारियल1 पीस
अक्षत (चावल)1 किलो
धूपबत्ती1 पैकेट
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पैकेट
देशी घी500 ग्राम
कपूर20 ग्राम
कलावा5 पीस
चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
अबीर-गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग10-10 ग्राम
बुक्का (अभ्रक)10 ग्राम
बताशा500 ग्राम
लाल वस्त्र1 मीटर
पीला वस्त्र1 मीटर
झंडा हनुमान जी का1 पीस
गंगाजल1 शीशी
गुलाब जल1 शीशी
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी1 पीस
दोना (छोटा – बड़ा)1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)1 पीस
मिट्टी का प्याला8 पीस
मिट्टी की दियाली8 पीस
हवन कुण्ड1 पीस
माचिस1 पीस
आम की लकड़ी2 किलो
नवग्रह समिधा1 पैकेट
हवन सामग्री500 ग्राम
तिल100 ग्राम
जौ100 ग्राम
गुड़500 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
गुग्गुल100 ग्राम
धूप लकड़ी100 ग्राम
सुगंध बाला50 ग्राम
सुगंध कोकिला50 ग्राम
नागरमोथा50 ग्राम
जटामांसी50 ग्राम
अगर-तगर100 ग्राम
इंद्र जौ50 ग्राम
बेलगुदा100 ग्राम
सतावर50 ग्राम
गुर्च50 ग्राम
जावित्री25 ग्राम
कस्तूरी1 डिब्बी
केसर1 डिब्बी
खैर की लकड़ी4 पीस
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
धोती (पीली/लाल)1 पीस
अगोंछा (पीला/लाल)1 पीस

Akhand Ramayan Pujan Samagri

Akhand Ramayan Pujan Samagri

सामग्री मात्रा
रोली10 ग्राम
पीला सिंदूर10 ग्राम
पीला अष्टगंध चंदन10 ग्राम
लाल चन्दन10 ग्राम
सफ़ेद चन्दन10 ग्राम
लाल सिंदूर10 ग्राम
हल्दी (पिसी)50 ग्राम
हल्दी (समूची)50 ग्राम
सुपाड़ी (समूची बड़ी)100 ग्राम
लौंग10 ग्राम
इलायची10 ग्राम
सर्वौषधि1 डिब्बी
सप्तमृत्तिका1 डिब्बी
सप्तधान्य100 ग्राम
पीली सरसों50 ग्राम
नवग्रह चावल1 पैकेट
जनेऊ5 पीस
इत्र1 शीशी
गरी का गोला (सूखा)2 पीस
पानी वाला नारियल1 पीस
जटादार सूखा नारियल1 पीस
अक्षत (चावल)1 किलो
धूपबत्ती1 पैकेट
रुई की बत्ती (गोल / लंबी)1-1 पैकेट
देशी घी1 किलो
कपूर20 ग्राम
कलावा5 पीस
अबीर-गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग- अलग10-10 ग्राम
बुक्का (अभ्रक)10 ग्राम
गंगाजल1 शीशी
गुलाबजल1 शीशी
चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
बताशा500 ग्राम
लाल वस्त्र1 मीटर
पीला वस्त्र1 मीटर
झंडा हनुमान जी का1 पीस
कुश (पवित्री)4 पीस
लकड़ी की चौकी1 पीस
दोना (छोटा – बड़ा)1-1 पीस
मिट्टी का कलश (बड़ा)1 पीस
मिट्टी का प्याला8 पीस
मिट्टी की दियाली8 पीस
हवन कुण्ड1 पीस
माचिस1 पीस
आम की लकड़ी2 किलो
नवग्रह समिधा1 पैकेट
हवन सामग्री500 ग्राम
तिल100 ग्राम
जौ100 ग्राम
गुड़500 ग्राम
कमलगट्टा100 ग्राम
गुग्गुल100 ग्राम
धूप लकड़ी100 ग्राम
सुगंध बाला50 ग्राम
सुगंध कोकिला50 ग्राम
नागरमोथा50 ग्राम
जटामांसी50 ग्राम
अगर-तगर100 ग्राम
इंद्र जौ50 ग्राम
बेलगुदा100 ग्राम
सतावर50 ग्राम
गुर्च50 ग्राम
जावित्री25 ग्राम
कस्तूरी1 डिब्बी
केसर1 डिब्बी
शहद50 ग्राम
पंचमेवा200 ग्राम
पंचरत्न व पंचधातु1 डिब्बी
धोती (पीली/लाल)1 पीस
अगोंछा (पीला/लाल)1 पीस
सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि।

वशीकरण-Vashikaran

वशीकरण: एक गहन विश्लेषण

हर व्यक्ति की इच्छा होती है उसे जीवन में वे सभी चीजें मिले जिसे वे पाना चाहता है, जिसे वे प्यार करता है. लेकिन कई बार व्यक्ति को उसके मन मुताबिक चीजें नहीं मिल पाती. ऐसे में तंत्र शास्त्र में ऐसे कुछ उपायों के बारे में बताया गया है, जिन्हें करने से पति या पत्नी को वश में किया जा सकता है. अक्सर लोग अपने प्यार को पाने, पति या पत्नी को वश में करने के लिए हर संभव कोशिश कर लेते हैं. लेकिन सही उपाय पता न होने के कारण उन्हें प्यार में निराशा ही हाथ लगती है.

वशीकरण नाम सुनकर ही न जाने कितने सवाल हमारे मन मस्तिष्क में आने लगते हैं। आपमें से कई लोगों ने कभी न कभी इस शब्द के बारे में जरूर सुना होगा। दरअसल यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी भी व्यक्ति को पूरी तरह से अपने वश में किया जा सकता है जिससे वो वही काम करने लगता है जो आप उससे कराना चाहते हैं।

वशीकरण, एक प्राचीन भारतीय तांत्रिक विद्या है, जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति के मन को प्रभावित कर उसे अपने वश में करना होता है। यह विद्या मंत्र, तंत्र और ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से की जाती है। हालांकि, वशीकरण के बारे में अक्सर विरोधाभासी विचार होते हैं।

वशीकरण क्या है?

वशीकरण का शाब्दिक अर्थ है किसी को अपने वश में करना। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति की इच्छाशक्ति को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है ताकि वह अपनी मर्जी के खिलाफ कुछ करने के लिए बाध्य हो जाए।

तंत्र शास्त्र के अनुसार अगर आप भी अपने पार्टनर के प्यार को पाने के लिए तरस रहे हैं, तो वशीकरण के ये उपाय और मंत्र आपके जीवन में खुशियां ला सकते हैं. आइए जानते हैं वशीकरण के एक ऐसे ही अचूक उपाय और मंत्र के बारे में, जिससे आप किसी भी स्त्री, कन्या, शादीशुदा महिला या पुरुष को आसानी से अपने वश में किया जा सकता है और उस व्यक्ति का प्रेम पाया जा सकता है. 

वशीकरण के प्रकार

वशीकरण को मुख्यतः दो प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  • सफेद वशीकरण: इसका उपयोग सकारात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे किसी को आकर्षित करना या प्रेम बढ़ाना। इस तरह के वशीकरण से आप जिस व्यक्ति को भी अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं वो आपकी ओर खिंचा चला जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि व्यक्ति पहले आपकी तरफ ध्यान नहीं देता था तो वो आपके ऊपर ध्यान केंद्रित करने लगता है। ये किसी भी व्यक्ति को करियर की ऊंचाइयों तक पहुंचाने और उसकी सेहत ठीक करने के लिए एक अच्छा उपाय माना जाता है। इस तरह का वशीकरण किसी नकारात्मक (नकारात्मक ऊर्जा को हटाने के उपाय)प्रभाव का कारण नहीं बनता है। इस वशीकरण में मोहिनी माता का स्मरण करके व्यक्ति को वश में किया जाता है।

  • काला वशीकरण: इसका उपयोग नकारात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे किसी को नुकसान पहुंचाना या बदला लेना।काला वशीकरण वास्तव में किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का कारक बनता है। ये दरअसल वास्तु या ज्योतिष से न होकर तंत्र विद्या से संचालित किया जाता है। इससे किसी व्यक्ति को अपने वश में करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ना दी जाती है। ये वास्तव में बुरे प्रभाव को बढ़ावा देता है और इसके वश में आया व्यक्ति परेशानियों का सामना करने लगता है। इससे किसी भी व्यक्ति का दिमाग सुन्न होने लगता है।

वशीकरण के तरीके

वशीकरण के लिए विभिन्न प्रकार के मंत्र, तंत्र और यंत्रों का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया अत्यंत जटिल और संवेदनशील होती है और इसे बिना किसी अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन के नहीं करना चाहिए।

 वशीकरण मंत्र उपयोगिता:

वशीकरण मंत्र मंत्र एक ज्योतिषीय तकनीक है जिसका उपयोग किसी के विचारों को प्रभावित करने और उन्हें आपके हर शब्द से सहमत करने के लिए किया जाता है। जब आप किसी ऐसे व्यक्ति पर वशीकरण मंत्र डालते हैं जिसे आप चाहते हैं, तो वे आपके हाथों की कठपुतली बन जाते हैं और जैसा आप कहते हैं वैसा ही करते हैं।

वशीकरण मंत्र का सबसे अच्छा पहलू यह है कि इससे कभी भी किसी का नुकसान नहीं होता है। जब आपका मनचाहा व्यक्ति आपसे प्यार करने लगता है, तो वह पीड़ित व्यक्ति के दिमाग से तुरंत निकल जाता है।

किसी को अपने वश में करने के लिए वशीकरण मंत्र का प्रयोग करें। ये मंत्र किसी को प्यार करने और आपसे शादी करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

यदि आप किसी को अपने प्यार में पड़ना चाहते हैं, तो वशीकरण मंत्र इसका सबसे अच्छा तरीका है।

एक बार जब आप पर मंत्र का प्रभुत्व हो जाता है, तो आप देखेंगे कि उनकी पूजा में कमी आ रही है। इससे आपको नुकसान हो सकता है

पति वशीकरण तंत्र से पति को वश में करें

शादी के बंधन में बंधने के बाद एक साथ रहना रोमांचक और तनावपूर्ण दोनों हो सकता है। एक अच्छे और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए दोनों पार्टनर्स का आपसी विश्वास, ईमानदारी और प्रतिबद्धता आवश्यक है। लेकिन कभी-कभी परिस्थितियां संदिग्ध हो जाती हैं।

शादी के बाद अफेयर होना असामान्य नहीं है। आपके जीवनसाथी के अफेयर होने के संकेत भी होते हैं। इसके अलावा, कई कारणों से पति पत्नी के प्रति उदासीन हो जाते हैं।

वशीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा आप किसी पर जादू टोना कर सकते हैं और इसके प्रभाव के कारण, व्यक्ति आपकी ओर आकर्षित हो जाएगा और पूरी तरह से आपके प्रभाव में रहेगा। मंत्र का उपयोग करके, आप किसी के शरीर को प्रभावित किए बिना उसकी भावनाओं, विचारों और मन को नियंत्रित कर सकते हैं।

पति वशीकरण तंत्र विधि

पत्नी को इस मंत्र की सिद्धि प्राप्त करने के लिए शुभ समय में 10,000 बार मंत्र जाप करना चाहिए।

“ॐ नमो महायक्षिण्यै मम पति में वश्यं कुरु कुरु स्वाहा”

पत्नी को सूर्योदय के बाद शुभ दिन और लग्न में मूंगा की माला लेकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके जाप शुरू करना चाहिए। वशीकरण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किसी भी वस्तु को सात बार अभिमंत्रित करना चाहिए, फिर उसका उपयोग करना चाहिए।

इस मंत्र का जाप केवल महिलाओं के लिए है। मंत्र सिद्धि मंत्र बोलने से प्राप्त की जा सकती है। पति के नाम ‘नाम’ के साथ मां पति नाम को बदलकर किसी पुरुष को आकर्षित किया जा सकता है।

A) वशीकरण तिलक

केले के रस में गोरोचन और कुमकुम को पीसकर पति को आकर्षित करने के लिए तिलक लगाएं।

विष्णुकंठ, भंगरा, गोखरू, गोरोचन को बराबर भागों में पीसकर एक गोली बना लें। पति को आकर्षित करने के लिए जब भी जरूरत हो तिलक लगाएं।

सूर्य ग्रहण में सहदेवी की जड़ लाएं, चंदन से खुरचें, पति को आकर्षित करने के लिए तिलक लगाएं।

काले भंगरे, सफेद लजवंती को पीसकर पति को आकर्षित करने के लिए एक गोली बना लें।

पुष्य नक्षत्र में काले कांटे के फूल और ततैया के पंख और कस्तूरी को पीसकर एक गोली बना लें, जब भी जरूरत हो माथे पर तिलक लगाने के लिए खुरच लें।

B) वशीकरण ताबीज

रविवार को मूल नक्षत्र में श्वेतर्क की जड़ लाएं, ताबीज में डाल दें, महिला को ताबीज पति को देना चाहिए, पति काबू में रहेगा।

C) वशीकरण रोटी

कैडी को गेहूं का आटा अपने बाएं सोने वाले के वजन के बराबर तौलना चाहिए। आदमी को रविवार या मंगलवार को उस आटे की 4 रोटियां खाने दें, पति काबू में रहेगा।

वशीकरण की वास्तविकता

  • धार्मिक और तांत्रिक दृष्टिकोण: धर्म और तंत्र शास्त्रों में वशीकरण को एक शक्तिशाली साधन माना जाता है। हालांकि, इसका दुरुपयोग भी हो सकता है।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण: विज्ञान के अनुसार, वशीकरण को मनोवैज्ञानिक प्रभावों से जोड़ा जाता है। जैसे कि प्लेसीबो प्रभाव और सुझाव।
  • नैतिक दृष्टिकोण: वशीकरण किसी व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा का हनन करता है, इसलिए इसे नैतिक रूप से गलत माना जाता है।

वशीकरण के जोखिम

  • नकारात्मक परिणाम: वशीकरण के गलत उपयोग से कई तरह के नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जैसे कि मानसिक बीमारी, पारिवारिक कलह और सामाजिक अलगाव।
  • कर्म का नियम: हिंदू धर्म के अनुसार, किसी भी बुरे कर्म का फल भुगतना पड़ता है।
  • कानूनी समस्याएं: कुछ देशों में वशीकरण को गैरकानूनी माना जाता है।

निष्कर्ष

वशीकरण एक जटिल और बहुआयामी विषय है। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। वशीकरण के बजाय, सकारात्मक और रचनात्मक तरीकों से समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

मुख्य बिंदु:

  • वशीकरण एक शक्तिशाली लेकिन संवेदनशील विद्या है।
  • इसका दुरुपयोग नैतिक रूप से गलत और हानिकारक हो सकता है।
  • समस्याओं के समाधान के लिए सकारात्मक तरीकों को अपनाना चाहिए।

यदि आपको वशीकरण के बारे में कोई जानकारी चाहिए या कोई समस्या है, तो हमसे संपर्क करें। वशीकरण से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी या सहायता के लिए हमसे संपर्क करें।

बिल्ली से जुड़े अन्य शुभ-अशुभ संकेत

Auspicious and Inauspicious Signs Related to Cats

बिल्ली से जुड़े अन्य शुभ-अशुभ संकेत- कुत्ता, गाय, भैंस के साथ-साथ बिल्ली भी एक पालतू जानवर है, जिसे लोग घर पर रखते हैं। बहुत से लोग अपने घरों में बिल्लियों को पालते हैं। लेकिन जो लोग बिल्ली नहीं भी पालते, उनके घर पर भी कभी-कभी बिल्ली आ जाती है। लेकिन घर पर बिल्ली का आना शुभ या अशुभ संकेतों से जुड़ा हुआ होता है।

बिल्लियों को लेकर कई मिथक और अंधविश्वास प्रचलित हैं, इसलिए सामान्यतः लोग बिल्लियों को शुभ नहीं मानते। कुछ लोग बिल्लियों को काली शक्तियों का प्रतीक मानते हैं और इन्हें नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत मानते हैं। धर्म शास्त्रों में भी बिल्लियों के घर पर आने से जुड़े शुभ और अशुभ संकेतों के बारे में उल्लेखित किया गया है।

घर पर बिल्ली का आना शुभ या अशुभ:

काली बिल्ली का आना:

अगर अचानक काली बिल्ली आपके घर पर आने लगे, तो इसे बहुत अशुभ माना जाता है। काली बिल्ली का रास्ता काटना, काली बिल्ली से टकराना, या काली बिल्ली का हमला करना जीवन में आने वाली समस्याओं का संकेत हो सकता है। काली बिल्ली का आना नकारात्मक शक्तियों के होने का भी संकेत होता है।

सफेद बिल्ली का आना:

अगर आपके घर पर अचानक सफेद रंग की बिल्ली आ जाए, तो इसे शुभ माना जाता है। सफेद बिल्ली को शुभता का प्रतीक माना गया है और यह अपने साथ शुभ संदेश लाती है। सफेद बिल्ली के आगमन से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है।

बिल्ली से जुड़े अन्य शुभ-अशुभ संकेत:

बिल्ली के बच्चे पैदा होना:

घर पर बिल्ली के बच्चों का जन्म होना शुभ संकेत माना जाता है। इसका अर्थ है कि जल्द ही आपके घर में कोई शुभ या मांगलिक कार्य हो सकता है।

बिल्ली का रोना:

बिल्ली का रोना अशुभ माना जाता है, खासकर यदि यह किसी शुभ कार्य से पहले हो। अगर बिल्ली लगातार रो रही है, तो यह किसी बड़े संकट का संकेत हो सकता है।

बिल्ली का मरना:

घर में बिल्ली का मरना अशुभ संकेत माना जाता है। इसके अलावा, बिल्ली को जानबूझकर मारना भी अशुभ माना जाता है। जो व्यक्ति बिल्ली को मारेगा, उसके साथ अशुभ होना तय है।

बिल्लियों का लड़ना:

अगर घर में कई बिल्लियाँ आपस में लड़ रही हैं, तो इसे परिवारिक कलह का संकेत माना जाता है। इससे परिवार में तनाव और दूरियाँ बढ़ सकती हैं।

धार्मिक शास्त्रों में बिल्ली के बारे में:

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, बिल्ली को नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। नारद पुराण में भी बिल्ली के बार-बार घर में आने को अच्छा नहीं माना गया है। हालांकि, एक मत यह भी है कि बिल्ली बुरी शक्तियों से व्यक्ति की रक्षा करती है। कर्नाटका के मांड्या जिले में बिल्लियों के पूजा का एक मंदिर भी है, जहां बिल्ली को देवी मंगम्मा का अवतार माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, बिल्ली को देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी की सवारी माना गया है। अलक्ष्मी दरिद्रता की देवी हैं और शास्त्रों में अलक्ष्मी को राहु ग्रह का प्रतीक भी माना गया है।

बिल्ली द्वारा घर में दूध पी लेना या मल त्याग करना भी अशुभ संकेत माना जाता है, क्योंकि इससे धन की हानि और अनहोनी की संभावना बढ़ जाती है।

विदेशों में, खासकर चीन और जापान में, बिल्ली को शुभ प्रतीक माना जाता है। फेंगशुई में भी बिल्ली को घर में रखना शुभ माना गया है, और सफेद बिल्ली पालने से आर्थिक स्थिति सुधारने की मान्यता है।

बिल्ली का रास्ता काटना:

यदि बिल्ली बाईं से दाईं ओर रास्ता काटती है, तो इसे अशुभ माना जाता है। अगर बिल्ली किसी और दिशा से रास्ता काटे या आपके पीछे से गुजर जाए, तो यह अशुभ नहीं होता।

सपने में बिल्ली देखना:

सपने में बिल्ली देखना अशुभ संकेत होता है। इससे भविष्य में धन हानि और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, सपने में काली बिल्ली देखना धन लाभ का संकेत हो सकता है, और सफेद बिल्ली देखना बुरा समय समाप्त होने का संकेत होता है।

सुबह-सुबह बिल्ली के दर्शन होना:

सुबह-सुबह बिल्ली देखना यह संकेत हो सकता है कि आपके घर में मेहमान आने वाले हैं या किसी मित्र से मिलने का अवसर मिल सकता है। विद्यार्थियों के लिए, सुबह-सुबह बिल्ली देखना सफलता का संकेत हो सकता है।

घर में बिल्ली के बच्चे पैदा होना:

अगर घर में बिल्ली के बच्चे होते हैं, तो यह संकेत है कि जल्द ही कोई शुभ काम होने वाला है। ध्यान रखें कि बिल्ली के बच्चों को छेड़ने या हानि पहुँचाने से बचें।

बिल्ली का रोना:

बिल्ली का रोना अशुभ होता है, खासकर शुभ कार्य के समय। कई दिनों तक लगातार रोना किसी बड़े संकट का संकेत हो सकता है।

घर में बिल्लियों का आपस में लड़ना:

बिल्लियों का आपस में लड़ना परिवार में कलह और तनाव का संकेत होता है।

बिल्ली का घर में मरना:

घर में बिल्ली का मरना बहुत अशुभ होता है। यदि कोई जानबूझकर बिल्ली की हत्या करता है, तो उसके साथ अशुभ होना तय है। पशु-पक्षियों के छठी इंद्रियों की बातें अक्सर सुनी जाती हैं। कुत्ते और बिल्लियों में इन शक्तियों की चर्चा होती रहती है, और यही कारण है कि बिल्लियों से जुड़े शुभ और अशुभ संकेतों की परंपरा हमारे देश में बनी हुई है।

काली बिल्ली के अशुभ संकेत:

काली बिल्ली के घर पर आना अशुभ माना जाता है क्योंकि इसे बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

काली बिल्ली का रास्ता काटना, काली बिल्ली से टकराना या उस पर हमला करना जीवन में आने वाली कठिनाइयों का संकेत होता है।

सफेद बिल्ली के शुभ संकेत:

सफेद बिल्ली को शुभता का प्रतीक माना जाता है और इसे सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।

सफेद बिल्ली के आगमन से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और यह अच्छे समाचार लेकर आती है।

धार्मिक शास्त्रों में बिल्ली:

नारद पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में बिल्ली के घर पर आने से जुड़ी शुभ-अशुभ स्थितियों का वर्णन है।

कर्नाटका के मांड्या जिले में बिल्लियों की पूजा और उनकी देवी मंगम्मा के बारे में जानकारी मिलती है।

बिल्ली के बच्चों का जन्म:

घर में बिल्ली के बच्चों का जन्म होना शुभ संकेत माना जाता है, यह जल्द ही कोई शुभ या मांगलिक कार्य होने का संकेत है।

बिल्ली के रोने के अशुभ संकेत:

बिल्ली का रोना अशुभ माना जाता है, विशेषकर शुभ कार्यों से पहले। यदि यह लगातार कई दिनों तक हो रहा है, तो यह किसी बड़े संकट का संकेत हो सकता है।

विदेशों में बिल्ली का शुभ संकेत:

चीन और जापान जैसे देशों में बिल्ली को शुभ प्रतीक माना जाता है और फेंगशुई में सफेद बिल्ली को आर्थिक स्थिति सुधारने का उपाय बताया गया है।

सपने में बिल्ली देखना:

सपने में बिल्ली देखना भविष्य में धन हानि या स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है। हालांकि, काली बिल्ली देखना धन लाभ का संकेत हो सकता है और सफेद बिल्ली देखना बुरा समय समाप्त होने का संकेत होता है।

बिल्ली का रास्ता काटना:

यदि बिल्ली बाईं से दाईं ओर रास्ता काटे, तो इसे अशुभ माना जाता है। अन्य दिशा से या पीछे से गुजरना अशुभ नहीं माना जाता।

घर में बिल्लियों का आपस में लड़ना:

बिल्लियों का आपस में लड़ना परिवारिक कलह और तनाव का संकेत हो सकता है, जिससे रिश्तों में दरारें आ सकती हैं।

बिल्ली का मरना:

घर में बिल्ली का मरना बहुत अशुभ होता है। जानबूझकर बिल्ली की हत्या करना भी अशुभ परिणाम लाता है

बिल्ली


Cats are domesticated animals often kept as pets. They are known for their independence, agility, and mysterious behavior. In various cultures, cats are associated with both positive and negative superstitions. They are admired for their grace and hunting abilities and are believed to bring good luck or misfortune depending on the context.

सपने में बिल्ली का हमला करना


Dreaming of a cat attacking you can symbolize underlying fears or conflicts in your life. It may represent feelings of vulnerability or aggression from others. This dream could also reflect personal insecurities or challenges you are facing.

बिल्ली का शुभ संकेत


In many cultures, cats are considered to bring good fortune, especially if they exhibit calm behavior or are seen in a positive context. For instance, a cat that is friendly or playful may be seen as a sign of prosperity and happiness.

बिल्ली का घर में मल त्याग करना


If a cat defecates inside your home, it might be considered an inauspicious sign in some cultures. This could be interpreted as a sign of impending troubles or negative energy. It’s often advised to clean the area thoroughly and address any underlying issues with the cat’s behavior.

घर में भूरी बिल्ली का आना शुभ है या अशुभ


The arrival of a brown cat at home is often seen as a neutral event but can have varying interpretations. In some cultures, brown cats are thought to bring stability and grounding energy, while others might consider their presence as a sign of minor disturbances or changes.

सुबह सुबह बिल्ली का घर में आना


A cat entering your home early in the morning is generally seen as a good omen. It may symbolize a fresh start or the beginning of a new phase in your life. In some traditions, it’s believed that a morning visit from a cat can bring good luck for the day.

सपने में बिल्ली देखना


Seeing a cat in your dream can have various meanings. It might symbolize independence, curiosity, or a need for self-reliance. Depending on the context of the dream, it could also reflect your emotional state or concerns about your personal life.

भूरी बिल्ली का घर में आना


A brown cat arriving at your home can be seen as a symbol of stability and comfort. Some cultures interpret the presence of a brown cat as a sign of grounded energy and practical benefits.

सपने में भूरी बिल्ली देखना


Dreaming of a brown cat can represent a need for balance and stability in your life. It may also symbolize a grounded approach to issues or a reminder to stay practical and realistic in your endeavors.

सपने में दो बिल्ली देखना


Seeing two cats in a dream might indicate a duality or balance in your life. It could symbolize opposing forces or relationships. This dream may also suggest the need for harmony between different aspects of your life.

रात को बिल्ली रोने से क्या होता है


A cat crying at night is often associated with superstitions. In some cultures, it is believed to foretell bad news or an impending misfortune. However, it might also indicate the cat’s distress or a need for attention.

सपने में बिल्ली को भागते हुए देखना


Seeing a cat running in your dream could symbolize escaping from problems or avoiding confrontations. It might also suggest a desire for freedom or a need to avoid certain issues in your waking life.

बिल्ली की फोटो


Photos of cats capture their diverse breeds, behaviors, and unique personalities. They can be enjoyed for their aesthetic appeal and can also serve as a means to learn more about different types of cats and their traits.

बिल्ली के नाखून लगने से क्या होता है


Cat scratches can sometimes cause infections if not treated properly. They may lead to symptoms such as redness, swelling, and pain. It’s important to clean the wound thoroughly and seek medical advice if necessary to prevent complications.

बिल्ली के काटने पर कितने इंजेक्शन लगते हैं


If a cat bites you, especially if it is a stray or showing signs of illness, you may need to get a tetanus shot and, in some cases, rabies vaccination, depending on local health guidelines and the severity of the bite.

घर में बिल्ली आने का क्या कारण है?


A cat entering your home could be due to various reasons such as seeking shelter, food, or companionship. It may also be interpreted as a sign of good luck or changes, depending on cultural beliefs.

सफेद बिल्ली का घर में आना


The arrival of a white cat at home is generally considered a positive sign. White cats are often associated with purity and good fortune. Their presence might be seen as a harbinger of prosperity and happiness.

घर में बिल्ली रोए तो क्या करना चाहिए?


If a cat is crying inside your home, first check if the cat is in distress or needs attention. Ensure that its needs are met, and if the crying persists, consider consulting a vet to rule out any health issues.

सपने में बिल्ली को भगाना


Dreaming of chasing a cat away could signify a desire to avoid problems or escape from stressful situations. It might reflect your attempts to push away challenges or issues in your waking life.

Crow give signs of good or bad omens

 कौआ कैसे देता है शुभ-अशुभ के संकेत-“How does a crow give signs of good or bad omens?”, जानिए

 कौए के अंडों की संख्या से भी शुभाशुभ की भविष्यवाणी की जा सकती है।

यदि कौआ (मादा) एक ही अंडा दें, तो इसे कारूण कहा जाता है। इससे अच्छी वर्षा व अच्छी पैदावार के संकेत समझना चाहिए। इससे प्रजा में प्रसन्नता रहती है।

यदि दो अंडे दें, तो इसे अग्नि कहा जाता है। ऐसी स्थिति में अल्प वर्षा होती है। खेतों में डाला गया बीज अंकुरित नहीं होता, प्रजा भी दुखी होती है।

 तीन अंडों को वायु कहा जाता है। यह भी शुभ संकेत नहीं माना जाता। फसल को पशु-पक्षी नष्ट कर देते हैं।

कौआ यदि चार अंडे दें, तो इसे इंद्र कहा जाता है। इसे अत्यंत शुभ माना गया है। यात्राओं में विचार, यात्रा करने से पहले कौंवों को दही-चावल का भोग लगाने से यात्रा सफल होती है।

यदि कौआ बाईं तरफ से आकर भोग का ग्रहण करता है तो यात्रा निर्विघ्न संपन्न होती है।

यदि कौआ पीठ पीछे से आता है, तो प्रवासी को लाभ होता है।

दाईं तरफ से उड़कर बाईं तरफ आ जाए और भोग ग्रहण करें तो यात्रा में सफलता मिलती है। अन्यथा विपरीत फल मिलता है।

यदि कौआ सामने से आकर भोग ग्रहण करें और पैर से सिर खुजलाएं तो कार्य सिद्ध होता है।

यदि भोग ग्रहण कर उड़ कर कुएं की पाल पर जा बैठे, नदी तट पर जा बैठे या जलपूर्ण घट पर बैठ जाए तो खोई वस्तु मिलती है। मुकदमे में जीत होती है एवं धन-धान्य में भी वृद्धि होती है।

अगर हवेली अथवा अटारी पर या हरे-भरे वृक्ष पर जा बैठे तो अकस्मात धन लाभ मिलता है।

यदि कौआ अपनी चौंच में फल, रोटी या मांस का टुकड़ा दबाए दिखाई दें, तो अभिष्ट कार्य की सफलता होती है।

यदि गाय की पीठ पर बैठकर अपनी चोंच रगड़ता हुआ दिखे तो उसे उत्तम भोजन की प्राप्ति होती है।

सूखा तिनका अपनी चोंच में लिए दिखे तो धन लाभ होता है।

कौए की चोंच में फूल-पत्ती हो तो मनोरथ की सिद्धि होती है।

कौआ अनाज के ढेर पर बैठा मिले, तो धान्य लाभ होता है और गाय के सिर पर बैठा मिले तो प्रियजन से भेट-वार्ता होती है।

ऊंट की पीठ पर बैठा मिले तो यात्रा कुशल होती है।

यदि सूअर की पीठ पर कौआ बैठा दिखाई दें, तो विपुल धन की प्राप्ति होती है।

यदि कौआ धूल में लोटपोट होता दिखाई दें, तो उस स्थान में वर्षा होती है।

  • यात्रा पर निकलते समय घर में कौए का आना

यदि आप किसी बड़ी यात्रा पर जाने वाले हैं और आपके घर में कौआ आकर जोर से बोले इसका मतलब यह है कि आपकी यात्रा सफल होने वाली है। दरअसल ये इस बात का संकेत है कि आपके जीवन में कोई बड़ा बदलाव आने वाला है, जो आपके लिए शुभ होगा। यदि कौआ यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति के मुंह की तरफ बोले तो आपकी किसी अभिन्न मित्र से भेंट होने वाली है। यदि कोई किसी नौकरी के इंटरव्यू के लिए जा रहा है और घर से निकलते समय कौआ बोलकर पश्चिम दिशा की ओर उड़ जाए तो कार्य में निश्चित ही सफलता मिलेगी।

  • प्रातः काल उत्तर या पूर्व दिशा में कौए का बोलना

यदि आपके घर में सुबह-सुबह ही उत्तर या पूर्व दिशा में कौआ बोलता है, तो यह इस बात का संकेत है कि आपके घर में किसी अतिथि का आगमन होने वाला है। यह आपके लिए शुभ संकेत है क्योंकि आपकी मुलाक़ात किसी अभिन्न मित्र से हो सकती है जो आपके बिगड़े हुए काम बनाने में मदद करेगा।

  • झुंड में कौए का आना

अगर आपके घर में कई कौए झुंड में इकठ्ठा हो जाएं और तेजी से बोलें तो आपको सतर्क होने की आवश्यकता है। दरअसल, ये कौए किसी अनहोनी का संकेत देते हैं। ये इस बात का संकेत भी हो सकता है कि आपके परिवार पर कोई बड़ा संकट या कोई बड़ी बीमारी आने वाली है। खासतौर पर इस तरह के संकेत घर के मुखिया के लिए अच्छे नहीं होते हैं।

  • दक्षिण दिशा में कौए का बोलना

यदि आपके घर में कौआ दक्षिण दिशा की ओर बैठकर बोलता है तो यह एक अशुभ संकेत होता है। ये इस बात का संकेत है कि आपके पितर आपसे नाराज हैं और आपके घर में पितृ दोष है। ऐसा कोई भी संकेत मिलने पर आपको घर से पितृ दोष दूर करने के उपाय करने चाहिए।

  • कौए का शरीर पर बैठना

अगर कभी अनायास ही आपके शरीर पर कौआ आकर बैठ जाए तो यह एक बड़ा अपशकुन हो सकता है। यह इस बात का संकेत देता है कि आपको मानसिक तनाव मिलने वाले हैं, आपके करियर में असफलता मिल सकती है और कोई बड़ी बीमारी आ सकती है।

  • रोटी खाता हुआ कौआ

अगर आप अपने घर में कौए के लिए रोटी या कोई भी खाने की सामाग्री रखते हैं और वो खा लेता है तो समझ लीजिए कि आपकी कई मनोकामनाएं पूरी होने वाली हैं। आपको धन लाभ हो सकता है और किसी बड़े काम में सफलता मिलने के योग भी बन सकते हैं। दरअसल कौए का रोटी खाना इस बात का संकेत है कि आपके पूर्वज आपसे प्रसन्न हैं और घर से सभी दोष दूर होने वाले हैं।

  • कौए का अंडा

अगर आपके घर में कभी कौए का अंडा मिले तो यह आपके लिए एक अत्यंत शुभ संकेत है। दरअसल कौए का अंडा इस बात को दिखाता है कि आपके घर में कोई बड़ी खुश खबरी आने वाली है। अगर आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं और ऐसा कोई भी संकेत आपको मिलता है तो समझ लीजिए कि बहुत जल्द ही आपके घर में किलकारियां गूंजने वाली है।

  • उदास अवस्था में कौआ

यदि घर में कौआ आकर बैठे और उदास दिखे तो यह आपके घर के लिए ठीक नहीं है। यह इस बात का संकेत देता है कि आपके घर में कोई बड़ी घटना होने वाली है जो आपके जीवन में नकारात्मक बदलाव ला सकती है। इसके अलावा घर में बीमार कौआ आकर बैठे तो ये बीमारी का संकेत  देता है।

  • जोड़े में कौए का आना

अगर घर में जोड़े में कौआ आकर बैठे और बोले तो समझ लीजिए कि आपके घर में या किसी करीबी के घर में जल्द ही शहनाइयां बजने वाली हैं। यह इस बात को दिखाता है कि जल्द ही कोई शादी होने वाली है। यदि शादी न भी हो तब भी यह पति पत्नी के लिए शुभ संकेत है।

कौए के संकेत, शगुन और अपशगुन

कौए को लेकर सदियों से कई तरह के विश्वास और मान्यताएं रही हैं। अलग-अलग संस्कृतियों में कौए के व्यवहार को शुभ या अशुभ संकेत मानकर देखा जाता रहा है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं:

  • कौए के अंडे का मतलब: कौए के अंडों की संख्या के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है। एक अंडा शुभ, दो अशुभ, तीन भी अशुभ और चार अंडे बहुत शुभ माने जाते हैं।
  • यात्रा पर जाते समय कौए का देखना: कौए का बाईं ओर से आकर भोग ग्रहण करना शुभ माना जाता है। यह यात्रा की सफलता का संकेत होता है।
  • घर में कौए का बोलना: घर में कौए का बोलना कई बार शुभ और कई बार अशुभ माना जाता है। यह किस दिशा में बोल रहा है, किस समय बोल रहा है, इन बातों पर निर्भर करता है।
  • कौए के शगुन और उपाय: कौए के कुछ विशिष्ट व्यवहारों को शुभ माना जाता है जैसे कि कौए का रोटी खाना, किसी की पीठ पर बैठना आदि। इनके लिए कुछ विशेष उपाय भी बताए जाते हैं।
  • कौए का अपशगुन: कौए का शरीर पर बैठना, उदास होना, दक्षिण दिशा में बोलना आदि को अशुभ माना जाता है।

कौए का व्यवहार और उसके संकेत:

  • बाईं ओर से आकर भोग ग्रहण करना: यात्रा की सफलता का संकेत।
  • पीठ पीछे से आना: प्रवासी को लाभ होता है।
  • कुएं या नदी के किनारे बैठना: खोई हुई चीज मिलने का संकेत।
  • हरे-भरे पेड़ पर बैठना: अचानक धन लाभ।
  • चोंच में भोजन लेकर उड़ना: मनोकामना पूरी होने का संकेत।
  • गाय की पीठ पर बैठना: उत्तम भोजन मिलने का संकेत।

कौए का शगुन और अपशगुन

  • शगुन: कौए का रोटी खाना, किसी की पीठ पर बैठना, जोड़े में आना आदि शुभ माने जाते हैं।
  • अपशगुन: कौए का शरीर पर बैठना, उदास होना, दक्षिण दिशा में बोलना आदि अशुभ माने जाते हैं।

विभिन्न स्थितियों में कौए का महत्व

  • घर में कौए का आना: यह शुभ या अशुभ, यह कौए के व्यवहार और आने के समय पर निर्भर करता है।
  • यात्रा पर जाते समय: कौए का बाईं ओर से आना शुभ होता है।
  • कौए का झुंड: कई बार झुंड में कौए आने को किसी बड़े बदलाव या संकट का संकेत माना जाता है।

कौए और धर्म, संस्कृति

  • धर्म में: विभिन्न धर्मों में कौए का अलग-अलग महत्व है। कुछ धर्मों में इसे देवदूत माना जाता है तो कुछ में अशुभ पक्षी।
  • संस्कृति में: भारतीय संस्कृति में कौए का विशेष महत्व है। इसे यमराज का दूत भी माना जाता है।
  • “How Does a Crow Give Signs of Good or Bad Omens?”Crows have been considered as symbols of omens for centuries, with their behavior often seen as indicators of upcoming events. Here’s how a crow’s actions are interpreted as signs of good or bad omens:
    1. Crow Eggs and Omens: The number of eggs a crow lays can predict fortune.
      • One egg: Called “Karun,” this indicates good rainfall and a bountiful harvest, leading to happiness among the people.
      • Two eggs: Known as “Agni,” it signifies less rainfall and failed crops, causing sorrow.
      • Three eggs: Referred to as “Vayu,” this is also considered inauspicious, as it suggests crops will be destroyed by animals or birds.
      • Four eggs: Called “Indra,” this is highly auspicious. Offering rice and yogurt to crows before a journey ensures its success.
    2. Crow Behavior During Journeys:
      • If a crow eats an offering from the left side, your journey will be smooth.
      • If it approaches from behind, it indicates profit for travelers.
      • Flying from the right to the left while accepting an offering ensures success in travel. Otherwise, it foretells obstacles.
      • A crow approaching from the front, eating an offering, and scratching its head indicates that your tasks will be accomplished.
      • If it flies to a well, riverbank, or water vessel after accepting food, it signifies that lost objects will be found, and there will be victory in legal matters and financial growth.
    3. Crow Behavior and Daily Life:
      • If a crow perches on a mansion, attic, or green tree, it indicates sudden financial gain.
      • Seeing a crow holding fruit, bread, or meat in its beak suggests success in desired tasks.
      • A crow rubbing its beak while sitting on a cow’s back indicates receiving excellent food.
      • If a crow is seen with a dry twig in its beak, it signifies financial gain.
      • Flowers or leaves in a crow’s beak are a sign of wish fulfillment.
      • Finding a crow on a pile of grains indicates a harvest gain, and if it’s on a cow’s head, it means an important meeting with a loved one.
      • A crow sitting on a camel’s back signals a successful journey.
      • If perched on a pig’s back, it foretells great wealth.
      • A crow rolling in the dust indicates rainfall.
    4. Crow Entering the House Before a Journey: If a crow loudly enters your house before a significant journey, it signals that the trip will be successful. This suggests a big life change, usually favorable. If the crow caws in front of the traveler, it means a meeting with a close friend. For those going for an interview, if the crow flies westward as you leave the house, it signifies certain success.
    5. Crows Cawing in the North or East in the Morning: If a crow caws in the north or east directions early in the morning, it signals the arrival of a guest. This is considered auspicious, as you may meet a close friend who can help resolve difficult issues.
    6. Flock of Crows: If many crows gather at your house and caw loudly, it’s a warning. It could indicate impending danger or illness in the family, particularly concerning the head of the household.
    7. Crow Cawing in the South: A crow cawing from the south direction is a bad omen, indicating that your ancestors are displeased, and your home is under a curse. You should take steps to remedy this ancestral curse.
    8. Crow Sitting on Your Body: If a crow lands on your body, it’s a very bad omen. This could indicate upcoming mental stress, failure in your career, or a severe illness.
    9. Crow Eating Bread: If a crow eats bread or any food you offer, it suggests that many of your wishes will soon be fulfilled. Financial gain and success in major endeavors are possible. It also indicates that your ancestors are pleased with you, and all misfortunes will soon leave your home.
    10. Crow’s Egg: Finding a crow’s egg in your home is an extremely good sign. It means that great happiness is on its way, particularly for those wishing for children. It indicates that soon the sound of a child’s laughter will fill your home.
    11. Depressed Crow: If a crow enters your house and appears sad, it’s a bad sign for your home. This indicates that something negative may happen soon, bringing unfavorable changes. If a sick crow visits your home, it could signify an upcoming illness.
    12. Crows Coming in Pairs: If two crows come together and caw, it signifies an upcoming wedding in your home or a close relative’s home. Even if not a wedding, it is a positive sign for married couples.

    Crow Omens and Superstitions: Crows have been surrounded by beliefs and superstitions for centuries. Different cultures interpret their behavior as either good or bad omens. Here are some detailed interpretations:

    • Crow Eggs: One egg is considered good, two are bad, three are also bad, and four are very good.
    • Crow During Travel: If a crow comes from the left and takes food, it’s considered a good omen for the journey.
    • Crow at Home: A crow’s cawing at home can be both good and bad, depending on the direction and time.
    • Crow Omens: Some specific crow behaviors, like eating bread or sitting on someone’s back, are seen as good omens. There are also remedies suggested for crow-related omens.
    • Bad Omens: A crow sitting on a person, looking sad, or cawing in the south direction is considered inauspicious.
    • Crow’s Significance: The significance of a crow’s visit to your home can be either good or bad, depending on its behavior and timing.

Janamasthmi 2024

जन्माष्टमी-Janamasthmi 2024: श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव

जन्माष्टमी का महत्व और इतिहास

जन्माष्टमी, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान श्री कृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाने वाला यह पर्व, भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।

भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। उन्होंने पृथ्वी पर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए जन्म लिया था। मथुरा में कंस के अत्याचार से पीड़ित लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने कई लीलाएं कीं।

जन्माष्टमी की तैयारी

जन्माष्टमी की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। घरों और मंदिरों को रंग-बिरंगे दीपों और झांकियों से सजाया जाता है। भगवान कृष्ण की मूर्ति को स्नान कराया जाता है और नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।

  • मंदिरों की सजावट: मंदिरों को फूलों, झालरों और रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाया जाता है।
  • घरों की सफाई: घरों को साफ-सुथरा किया जाता है और रंगोली बनाई जाती है।
  • भोजन की तैयारी: जन्माष्टमी के दिन विशेष प्रकार का भोजन बनाया जाता है जैसे कि मखान मिश्री, पंचामृत आदि।

जन्माष्टमी का व्रत और पूजा

जन्माष्टमी के दिन कई भक्त व्रत रखते हैं। रात के 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए मध्यरात्रि में उनकी पूजा की जाती है। पूजा में भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है और आरती की जाती है।

जन्माष्टमी की झांकियां

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी झांकियां सजाई जाती हैं। इन झांकियों में भगवान कृष्ण के बाल रूप, गोवर्धन पर्वत उठाने, कंस वध आदि दृश्य दिखाए जाते हैं।

जन्माष्टमी के गीत

जन्माष्टमी के अवसर पर भजन-कीर्तन का विशेष महत्व होता है। भक्त भगवान कृष्ण के भजन गाते हैं और उनकी स्तुति करते हैं।

जन्माष्टमी के उपहार

जन्माष्टमी के दिन लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं। भगवान कृष्ण की मूर्ति, राधा-कृष्ण की तस्वीरें, मोर पंख, और मंत्र जाप की माला जैसे उपहार दिए जाते हैं।

जन्माष्टमी 2024 कब है?

2024 में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

 

मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी का विशेष महत्व

मथुरा और वृंदावन, जो भगवान कृष्ण की जन्मभूमि हैं, में जन्माष्टमी का त्योहार विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन शहरों में मंदिरों और घरों को रंग-बिरंगे दीपों और झांकियों से सजाया जाता है। भक्त रात्रि जागरण करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं।

 

जन्माष्टमी मनाने के तरीके

मंदिरों में पूजा: भक्त मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।

घरों में पूजा: घरों में भी भगवान कृष्ण की मूर्ति की पूजा की जाती है।

व्रत: कई भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं।

रात्रि जागरण: रात भर भजन-कीर्तन और जागरण किया जाता है।

झांकियां: मंदिरों और घरों के बाहर भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी झांकियां सजाई जाती हैं।

भोजन: जन्माष्टमी के दिन विशेष प्रकार का भोजन बनाया जाता है।

जन्माष्टमी का महत्व

  • बुराई पर अच्छाई की जीत: भगवान कृष्ण ने बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  • धर्म और अधर्म का संघर्ष: भगवान कृष्ण ने अधर्म का नाश किया और धर्म की स्थापना की।
  • प्रेम और भक्ति: भगवान कृष्ण प्रेम और भक्ति के देवता हैं।
  • ज्ञान और योग: भगवान कृष्ण ज्ञान और योग के प्रतीक हैं।

श्री कृष्ण की लीलाएं: एक विस्तृत कथा

श्री कृष्ण का जन्म और बचपन

भगवान श्री कृष्ण की जन्म कथा, भारतीय पौराणिक कथाओं में सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। मथुरा के राजा कंस, अपनी बहन देवकी के आठवें पुत्र से अपने अंत की भविष्यवाणी सुनकर, उसे बंदी बना लेता है। भगवान विष्णु, कंस के अत्याचार को समाप्त करने के लिए, देवकी के आठवें पुत्र के रूप में अवतरित होते हैं।

कंस के डर से, वसुदेव, कृष्ण को यमुना नदी पार कर गोपिका रोहिणी के घर छोड़ देते हैं। यहाँ कृष्ण का पालन-पोषण होता है। बचपन से ही कृष्ण चंचल और बुद्धिमान थे। उन्होंने कई लीलाएं कीं, जैसे  गोवर्धन पर्वत उठाना, आदि।

राधा और कृष्ण की प्रेम कथा

श्री कृष्ण की लीलाओं में राधा के साथ उनका प्रेम एक महत्वपूर्ण पहलू है। वृंदावन के जंगलों में, राधा और कृष्ण के बीच एक अद्भुत प्रेम का विकास हुआ। उनकी प्रेम कथा, भारतीय साहित्य और कला में अमर हो गई है।

कंस वध और मथुरा की मुक्ति

युवावस्था में, कृष्ण मथुरा लौटते हैं और अपने माता-पिता को कारागार से मुक्त करते हैं। इसके बाद, उन्होंने कंस और उसके अधर्मियों का वध कर मथुरा को मुक्ति दिलाई।

द्वारका की स्थापना और महाभारत

मथुरा में शासन करने के बाद, कृष्ण समुद्र के किनारे द्वारका नगरी की स्थापना करते हैं। यहाँ उनकी पत्नियाँ होती हैं, जिनमें से रुक्मिणी, सत्यभामा और जाम्बवती प्रमुख हैं।

कृष्ण महाभारत के युद्ध में पांडवों के सारथी बनते हैं। अपने बुद्धि और युद्ध कौशल से, वे पांडवों की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

श्री कृष्ण का अंत

कालीयग युग के आरंभ में, कृष्ण एक शिकारी के बाण से घायल हो जाते हैं। उन्होंने अपनी आत्मा को परमात्मा में विलीन कर लिया। कृष्ण के निधन से, द्वारका नगरी समुद्र में समा जाती है।

Rakshabandhan 2024

रक्षाबंधन 2024-Rakshabandhan 2024

भाई-बहन के प्यार का त्योहार

रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन 2024 की तारीख और शुभ मुहूर्त

  • तारीख: रक्षाबंधन 2024, सोमवार, 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
  • शुभ मुहूर्त: राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:32 मिनट से रात 9:07 मिनट तक है।

रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त:-

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:58 से दोपहर 12:51 तक।

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:35 से दोपहर 03:27 तक।

गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:56 से 07:18 तक।

रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त : शाम 06:56:06 से रात्रि 09:07:31 तक।

सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त : मध्याह्न 3:30 से 6:45 मिनट तक।

 

भद्रा का वास:-

19 अगस्त 2024 को भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा। अधिकतर ज्योतिष मान्यता के अनुसार यदि भद्रा पृथ्‍वीलोक की हो तो ही इसके नियम मान्य होते हैं। भद्राकाल प्रात: 05:53 से दोपहर 01:30 तक रहेगा। इसलिए इसके बाद शुभ मुहूर्त में राखी बांध सकते हैं।

 

पंचक काल :

19 अगस्त 2024 को शाम 7 बजे से पांच दिनों के लिए अशुभ पंचक काल प्रारंभ होगा। हालांकि सोमवार को पड़ने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है। राज पंचक को शुभ फलदायी माना जाता है इसलिए इस काल में राखी बांधने में कोई दोष नहीं लगेगा। यह पंचक शुभ माना जाता है और मान्यता अनुसार इसके प्रभाव से पांच दिनों में कार्यों में सफलता मिलती है खासकर सरकारी कार्यों में सफलता के योग बनते हैं साथ ही संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ होता है।

 

नक्षत्र :

इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। धनिष्ठा नक्षत्र में शुरु होने वाले पंचक में अग्नि का भय रहता है। इसलिए सावधानी रहें। राखी बांधने में कोई दोष नहीं है।

 

रक्षा बंधन राखी मनाने का तरीका:-

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानआदि से निवृत्त होकर भगवान की पूजा करें। इसके बाद पर्व मनाने की तैयारी करें। घर को साफ-सुथरा करके अच्छे से सजाएं। इसके बाद रोली, अक्षत, कुमकुम एवं दीप जलकर थाल सजाकर रखें। इस थाल में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करें। फिर भाई को बैठाने के लिए एक पाट लगाएं। अच्छा मुहूर्त देखकर राखी बांधें। भाई को पूर्वाभिमुख, पूर्व दिशा की ओर बिठाएं। बहन का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का महत्व सिर्फ एक दिन तक सीमित नहीं है। यह भाई-बहन के बीच के प्यार, विश्वास और सुरक्षा की भावना को मजबूत करता है। यह एक ऐसा बंधन है जो जीवन भर चलता है।

रक्षाबंधन की परंपराएं

  • राखी बांधना: बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके लंबे जीवन की कामना करती है।
  • आरती और तिलक: बहन अपने भाई की आरती उतारती है और उसके माथे पर तिलक लगाती है।
  • मिठाई का आदान-प्रदान: भाई-बहन एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं।
  • उपहारों का आदान-प्रदान: भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार देते हैं।

रक्षाबंधन की कहानियां

रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। इन कहानियों में भगवान कृष्ण और द्रौपदी, राजा बलराम और उनकी बहन की कहानियां शामिल हैं।

रक्षाबंधन के अवसर पर क्या करें

  • अपने भाई-बहन के साथ समय बिताएं।
  • एक-दूसरे के लिए प्यार और सम्मान व्यक्त करें।
  • पुरानी यादें ताज़ा करें।
  • एक-दूसरे को उपहार दें।

रक्षाबंधन का त्योहार हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन में भाई-बहन का कितना महत्व है। इस पवित्र त्योहार को दिल से मनाएं और अपने रिश्ते को और भी मजबूत बनाएं।

रक्षा बंधन पूजा थाली (Raksha Bandhan Puja Thali):

रक्षा बंधन के दिन बहनें पूजा की थाली सजाती हैं। इस थाली में रोली, अक्षत, चंदन, दीपक, राखी और मिठाई रखी जाती है। पहले थाली में पूजा के लिए सामग्री रखी जाती है, फिर भाई को राखी बांधी जाती है। रक्षाबंधन के पूजा थाली में रखी गई सामग्री को भाई को उपहार के रूप में दिया जाता है।

 

शास्त्रों के अनुसार, जब बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, तो इस बात का ध्यान रखें कि अपने भाई को पूर्व दिशा की तरफ बिठाकर राखी बांधें और बहन का मुख पश्चिम दिशा की ओर हो।

भद्रकाल में न बांधे राखी:

ज्योतिष के अनुसार, भद्रकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। दरअसल, राहुकाल और भद्रा के दौरान शास्त्रों में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा में राखी न बांधने का कारण यह है कि लंकापति रावण ने अपनी बहन से भद्रा में राखी बंधवाई और एक साल के भीतर ही उसका विनाश हो गया। इसलिए इस समय को छोड़कर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं।

वहीं, भद्रा को शनि महाराज की बहन माना जाता है, और उन्हें ब्रह्माजी ने श्राप दिया था कि जो भी भद्रा में शुभ कार्य करेगा, उसे अशुभ फल मिलेगा। इसके अलावा, राहुकाल में भी राखी नहीं बांधी जाती है।

रक्षाबंधन में थाली में क्या क्या सजाया जाता है?

 

थाली की सजावट: सबसे पहले एक थाली सजा लें. थाली में रोली, चावल, राखी, मिठाई और दिया रखें.

तिलक: भाई को तिलक लगाएं.

राखी बांधना: दाहिने हाथ पर राखी बांधें और तीन गांठ लगाएं.

मंत्र: राखी बांधते समय यह मंत्र बोलें: “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल माचल:।”

आशीर्वाद: भाई को मिठाई खिलाएं और उसकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करें.

इस साल के विशेष योग

इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और शोभन योग बन रहा है. ये सभी योग शुभ माने जाते हैं. यह माना जाता है कि इन योगों में बंधी गई राखी का प्रभाव और अधिक शुभ होता है.

रक्षा बंधन पर न करें ये काम:

रक्षा बंधन के दिन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

इस दिन स्वच्छता के नियमों का पालन करें।

क्रोध, अहंकार और विवाद की स्थिति से दूर रहें। इसके साथ ही कोई भी ऐसा काम न करें जिससे लोगों को तकलीफ हो और जो नियम के खिलाफ हो।

इस पर्व को हर्ष और उत्साह के साथ और पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाना चाहिए।

रक्षा बंधन के दिन भाई-बहन को समय देखकर राखी बांधनी चाहिए।

भद्रा और राहुकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। इस अवधि में किए गए कार्यों में कोई सफलता नहीं मिलती है।

राखी बांधते समय दिशा का भी ध्यान रखना जरूरी है। भाई का मुंह कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर भाई-बहन के रिश्ते में कठिनाईयाँ आ सकती हैं।

रक्षा बंधन के मौके पर भाई या बहन को रुमाल, तौलिये और दोहरे या बुनी हुई चीजें उपहार में नहीं देनी चाहिए। इससे उनके बीच लड़ाई हो सकती है।

भाई को तिलक लगाते समय चावल के दाने हमेशा साबुत होने चाहिए। पूजा में टूटे हुए चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है।

रक्षा बंधन (Rakshabandhan) के दिन भाई या बहन को काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है, क्योंकि काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक है।

रक्षा बंधन के दिन कभी भी क्रोध न करें। साथ ही अहंकार और विवाद की स्थिति से भी दूर रहें। इसके अलावा सभी कार्यों में साफ-सफाई का ध्यान रखें।

रक्षा बंधन के दिन इन देवताओं को बांधे राखी:

इस खास दिन पर कई लोग अपने पालतू जानवरों और पेड़-पौधों को राखी भी बांधते हैं। वहीं कुछ लोग रक्षा बंधन के दिन भगवान को राखी भी बांधते हैं। मान्यता है कि इस खास दिन भगवान को राखी बांधने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं किस भगवान को राखी बांधनी चाहिए।

गणेश जी –

गणेश हिंदू धर्म में पहले पूजे जाने वाले देवता हैं। गणेश जी को लाल रंग बहुत प्रिय है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि लाल रंग की राखी बांधने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

भगवान शिव जी –

सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय होता है। रक्षा बंधन का पर्व सावन के आखिरी दिन आता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव को राखी बांधने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

हनुमान जी –

रक्षा बंधन के दिन हनुमानजी को लाल रंग की राखी बांधनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि राखी बांधने से कुंडली में मंगल का प्रभाव कम होता है और बल-बुद्धि की प्राप्ति होती है।

श्री कृष्ण जी –

भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन माना और उसकी रक्षा करने का वचन दिया। इस वजह से, भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की, जब द्रोपदी का दुश्शासन ने चीर हरण किया था। इस दिन भगवान कृष्ण को राखी बांधने से वे हर स्थिति में आपकी रक्षा करते हैं।

रक्षा बंधन का इतिहास (Raksha Bandhan Ka Itihas):

रक्षा बंधन का त्योहार भारतीय घरों में हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सभी मनाते हैं। जैसे सभी त्योहारों का एक इतिहास होता है, वैसे ही रक्षा बंधन का भी अपना इतिहास होता है। आइए आपको यहां रक्षा बंधन के इतिहास के बारे में बताते हैं।

देवी शची और इंद्र की कथा – रक्षा बंधन की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसके बारे में कई पौराणिक कथाएं हैं। यहत्योहार के रंग राखी बांधने का त्योहार देखें। विभिन्न प्रदेशों में रक्षा बंधन के अनुसार विशेष रंगों का चयन किया जाता है। इसे पढ़ें और जानें कि आपके प्रदेश में कौन-सा रंग विशेष मान्यता के साथ जुड़ा है:

  1. लाल रंग: लाल रंग रक्षा बंधन के लिए सबसे प्रसिद्ध रंग है। इसे बहुत सारे प्रदेशों में मान्यता के साथ चुना जाता है। यह रंग प्रेम, आनंद और सुख का प्रतीक होता है।
  2. पीला रंग: पीला रंग रक्षा बंधन के लिए भी चुने जाते हैं। यह रंग खुशी, उत्साह और आशीर्वाद का प्रतीक होता है।
  3. केसरिया रंग: केसरिया रंग रक्षा बंधन के लिए उपयुक्त माना जाता है। यह रंग सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है।
  4. नीला रंग: कुछ प्रदेशों में रक्षा बंधन के लिए नीला रंग भी चुना जाता है। यह रंग शांति, सुरक्षा और संतुलन का प्रतीक होता है।
  5. हरा रंग: कुछ स्थानों में हरा रंग रक्षा बंधन के लिए पसंद किया जाता है। यह रंग प्रकृति, उमंग और सफलता का प्रतीक होता है।

यहां यह ध्यान देने योग्य है कि रंगों की मान्यताएं विभिन्न प्रदेशों में भिन्न हो सकती हैं, इसलिए अपने स्थानीय संस्कृति और परंपरा को ध्यान में रखें।

 

रक्षा बंधन की शुरुआत कई पौराणिक कथाओं से जुड़ी है। एक कथा में दिखाया गया है कि रक्षा बंधन का पहला सूत्र देवी शची ने अपने पति इंद्र को बांधा था। इस कथा के अनुसार, जब इंद्र वृत्रासुर के साथ युद्ध करने जा रहे थे, तो देवी शची ने उनकी चिंता करते हुए उनके हाथ पर मौली या कलावा बांधकर उनकी रक्षा की कामना की। इसके बाद से रक्षा बंधन की प्रथा शुरू हुई मानी जाती है।

 

एक और कथा में भगवान विष्णु और राजा बालि के बीच संबंध दिखाया गया है। इस कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बालि के राज्य को हर लिया। उन्होंने तीन पग में राज्य का आयाम ले लिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने राजा बालि को पाताल लोक में रहने की सलाह दी।

राजा बालि ने उनकी सलाह मानी और पाताल लोक में चले गए। लेकिन जाते-जाते भगवान विष्णु ने राजा बालि से वरदान मांगा, जिसके अनुसार वे हर वर्ष चार महीने तक पाताल लोक में निवास करेंगे। इसी दिन से चार महीनों के इस अवधि को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन से रक्षा बंधन की प्रथा शुरू हुई।

महाभारत में भी रक्षा बंधन से जुड़ी एक कथा है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी के संबंध काबताया गया है। इस कथा के अनुसार, महाभारत में जब श्रीकृष्ण शिशुपाल का वध करते हैं, तो उनकी अंगुली में चोट लगती है। इस समय द्रौपदी जल्दी से अपनी साड़ी का कोना फाड़कर उसे कृष्ण की चोट पर बांध देती है।

भगवान श्रीकृष्ण उसकी रक्षा का वचन देते हैं। इसके बाद, जब हस्तिनापुर की सभा में दुशासन द्रौपदी का चीरहरण करता है, तब श्रीकृष्ण उसका चीर बढ़ाकर द्रौपदी की अवमानना से बचाते हैं।

अगली कथा में दिखाया गया है कि मृत्यु के देवता यम और यमुना भाई-बहन थे। हालांकि, वे 12 साल तक अलग रहते थे। दुखी यमुना मदद के लिए देवी गंगा के पास गई, जिन्होंने यम को अपनी बहन के बारे में याद दिलाया और उनसे मिलने की अनुरोध किया।

यमुना बहुत खुश हुई और उनका स्वागत किया, उन्होंने उनकी कलाई पर राखी बांधी। यम उनके प्रेम से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें अमरता का वरदान दिया। यहां घोषणा भी की गई है कि कोई भी भाई जो राखी बांधवाता है और अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है, वह भी अमर हो जाएगा।

ये सभी पौराणिक कथाएं रक्षा बंधन के महत्व और प्राचीनता को दर्शाती हैं। रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार और संबंध को मजबूत करता है और परिवार की एकता और सद्भावना को बढ़ाता है।

रक्षा बंधन के उपाय (Raksha Bandhan Ke Upay)

  1. रक्षा बंधन के दिन अपनी बहन के हाथ से एक अछत, सुपारी और चांदी का सिक्का गुलाबी कपड़े में लेकर घर की तिजोरी में या पूजा स्थल पर रखें। इससे मां लक्ष्मी की अपार कृपा होगी और घर में धन और समृद्धि में वृद्धि होगी।
  2. रक्षा बंधन के दिन बहनों को सबसे पहले गुलाबी सुगंधित राखी मां के चरणों में अर्पित करें। फिर भाई की कलाई पर बांधें। ऐसा करने से आपके भाई के धन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
  3. रक्षा बंधन का पर्व सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यदि आप सावन पूर्णिमा के दिन दूध की खीर और बताशा या सफेद मिठाई चंद्रमा को अर्पित करते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
  4. रक्षा बंधन का पर्व सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यदि आप सावन पूर्णिमा के दिन दूध की खीर और बताशा या सफेद मिठाई चंद्रमा को अर्पित करते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
  5. रक्षा बंधन यानि सावन पूर्णिमा के दिन ‘ॐ सोमेश्वराय नमः’ मंत्र का जाप करके दूध का दान करें, तो कुंडली में व्याप्त चंद्र दोष समाप्त हो जाता है।
  6. रक्षा बंधन के दिन गणेश जी को राखी बांधने से भाई-बहन के बीच मनमुटाव समाप्त हो जाता है और आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
  7. यदि बहनें रक्षा बंधन के दिन बजरंबली जी की राखी बांधती हैं, तो भाई-बहन के बीच आने वाले सभी संकट और बाधाएं दूर हो जाती हैं।

Badhaka Planets-Obstructive Planets

बाधक ग्रह-Badhak Planets- Obstructive Planets

बाधक ग्रहों  (Badhaka Planets)  का जिक्र ज्योतिष शास्त्र में किया जाता है, और ये वे ग्रह होते हैं जो जातक के जीवन में बाधाएं और समस्याएं उत्पन्न करते हैं। इन्हें “अवरोधक” या “विघ्नकारी” ग्रह भी कहा जाता है। कुंडली के अनुसार, ये ग्रह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाइयों का कारण बनते हैं, जैसे कि स्वास्थ्य, धन, संबंध, करियर आदि।

बाधक ग्रह का निर्धारण

बाधक ग्रह का निर्धारण विशेष रूप से लग्न (आरोही चिन्ह) के आधार पर किया जाता है।

चर (चल) लग्न: मेष, कर्क, तुला, मकर

बाधक ग्रह 11वें भाव का स्वामी होता है।

स्थिर (स्थिर) लग्न: वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ

बाधक ग्रह 9वें भाव का स्वामी होता है।

द्विस्वभाव (द्वैत) लग्न: मिथुन, कन्या, धनु, मीन

बाधक ग्रह 7वें भाव का स्वामी होता है।

बाधक ग्रह का प्रभाव

बाधक ग्रहों का प्रभाव विभिन्न रूपों में जातक के जीवन पर पड़ता है:

स्वास्थ्य पर प्रभाव: बाधक ग्रह की स्थिति स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। विशेष रूप से, अगर ये ग्रह छठे, आठवें या बारहवें भाव में हों, तो बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धन और समृद्धि पर प्रभाव: बाधक ग्रह की दशा और अंतरदशा में आर्थिक समस्याएं, कर्ज, या धन हानि हो सकती है।

संबंधों पर प्रभाव: ये ग्रह पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में विवाद, तनाव और मतभेद उत्पन्न कर सकते हैं।

करियर और व्यवसाय पर प्रभाव: बाधक ग्रह करियर में रुकावटें, नौकरी में अस्थिरता, या व्यापार में हानि ला सकते हैं।

बाधक ग्रह के प्रभाव का स्तर

बाधक ग्रह का प्रभाव जातक की कुंडली की अन्य ग्रह स्थिति, दशा और गोचर पर निर्भर करता है। यदि बाधक ग्रह मजबूत है और शुभ ग्रहों के साथ युति कर रहा है या शुभ भावों में स्थित है, तो इसका नकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है। परंतु, यदि यह नीच स्थिति में हो, या पाप ग्रहों के साथ हो, तो इसका प्रभाव बहुत अधिक हो सकता है।

निवारण

बाधक ग्रह के प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं:

नियमित रूप से भगवान शिव, हनुमान जी, या विष्णु जी की पूजा करना।

मंत्रों का जाप, विशेष रूप से बाधक ग्रह के बीज मंत्र का।

बाधक ग्रह के लिए रत्न धारण करना (यदि उचित हो तो)।

यज्ञ, हवन, और दान करना।

बाधक ग्रह के उपाय (Badhaka Planets)

बाधक ग्रह का प्रभाव जातक के जीवन में बाधाओं और समस्याओं के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में विभिन्न उपाय बताए गए हैं जिनके माध्यम से इन प्रभावों को कम किया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख उपाय दिए जा रहे हैं:

  1. मंत्र जाप

बाधक ग्रह का बीज मंत्र: बाधक ग्रह के बीज मंत्र का नियमित जाप करने से उसकी नकारात्मक ऊर्जा को शांत किया जा सकता है।

उदाहरण: यदि बाधक ग्रह शनि है, तो “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रोजाना करें, विशेष रूप से ग्रह के दिन (जैसे शनि के लिए शनिवार)।

  1. पूजा और आराधना

भगवान शिव की पूजा: भगवान शिव की पूजा बाधक ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए बहुत प्रभावी मानी जाती है।

हनुमान जी की आराधना: मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने से बाधक ग्रहों का प्रभाव कम हो सकता है।

भगवान विष्णु की पूजा: नियमित रूप से विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। यह उपाय भी बाधक ग्रहों के प्रभाव को कम करने में सहायक है।

  1. दान और धर्म कार्य

बाधक ग्रह से संबंधित वस्त्र और वस्तुएं दान करें:

शनि ग्रह के लिए काले वस्त्र, तिल, लोहे की वस्तुएं, और तेल दान करें।

सूर्य ग्रह के लिए गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र और तांबे की वस्तुएं दान करें।

गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें: इससे बाधक ग्रह का प्रभाव कम होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

  1. रत्न धारण करना

बाधक ग्रह के रत्न: बाधक ग्रह के रत्न धारण करने से उसका प्रभाव नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसे धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।

उदाहरण: यदि बाधक ग्रह सूर्य है, तो माणिक्य (रूबी) धारण करें। यदि शनि है, तो नीलम (ब्लू सफायर) धारण करें।

  1. व्रत और उपवास

विशेष व्रत: बाधक ग्रह के प्रभाव को कम करने के लिए सप्ताह के उस दिन व्रत रखें जो उस ग्रह का होता है।

उदाहरण: शनि के लिए शनिवार का व्रत रखें, सूर्य के लिए रविवार का।

  1. यज्ञ और हवन

नवग्रह शांति हवन: नवग्रहों की शांति के लिए हवन करना लाभकारी हो सकता है। इससे बाधक ग्रह का प्रभाव काफी कम हो सकता है।

विशेष बाधक ग्रह हवन: बाधक ग्रह के लिए विशेष हवन करवाएं। इसमें संबंधित ग्रह के मंत्रों का जाप और हवन सामग्री का समर्पण किया जाता है।

  1. आध्यात्मिक उपाय

ध्यान और प्रार्थना: नियमित ध्यान और प्रार्थना करने से मन शांत होता है और ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को सहने की शक्ति मिलती है।

क्षमा प्रार्थना: अपने कर्मों के लिए क्षमा प्रार्थना करें, जिससे बाधक ग्रहों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।

दशा का उपाय

ज्योतिष में दशा का मतलब एक निश्चित समय अवधि से है, जब किसी विशेष ग्रह का प्रभाव जातक के जीवन पर होता है। यदि यह दशा प्रतिकूल ग्रह की है, तो जातक को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकार की दशा से निपटने के लिए कुछ विशिष्ट उपाय किए जा सकते हैं जो ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा को कम कर सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख उपाय दिए जा रहे हैं:

  1. मंत्र जाप

दशा स्वामी ग्रह का मंत्र: जिस ग्रह की दशा चल रही है, उसके बीज मंत्र या मुख्य मंत्र का नियमित जाप करना लाभकारी हो सकता है।

उदाहरण: यदि शनि की दशा चल रही है, तो “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें।

मंत्र जाप की संख्या: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार प्रतिदिन करना चाहिए। इसे करने के लिए विशेष रूप से ग्रह के दिन (जैसे, शनिवार शनि के लिए) का चयन करना बेहतर होता है।

  1. रत्न धारण

ग्रह के अनुकूल रत्न: ग्रह की दशा को शांत करने के लिए संबंधित ग्रह का रत्न धारण करना एक प्रभावी उपाय है।

उदाहरण: सूर्य की दशा के लिए माणिक्य (रूबी) धारण करें, चंद्रमा के लिए मोती (पर्ल) और शनि के लिए नीलम (ब्लू सफायर)।

सावधानी: रत्न धारण करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।

  1. दान और धर्म कार्य

दशा ग्रह के अनुसार दान: जिस ग्रह की दशा चल रही हो, उस ग्रह से संबंधित वस्त्र और वस्तुएं दान करें।

उदाहरण: सूर्य की दशा में गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र और तांबे की वस्तुएं दान करें। शनि की दशा में काले वस्त्र, तिल, लोहे की वस्तुएं, और तेल दान करें।

धार्मिक स्थलों पर दान: किसी धार्मिक स्थल पर भोजन, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें।

  1. व्रत और उपवास

विशेष व्रत: दशा के ग्रह के दिन व्रत रखें।

उदाहरण: यदि मंगल की दशा चल रही है, तो मंगलवार का व्रत रखें। इसी तरह, यदि शनि की दशा है, तो शनिवार को उपवास करें।

सामूहिक उपवास: कुछ दशाओं में, सामूहिक उपवास या परिवार के सदस्यों के साथ व्रत रखना भी लाभकारी हो सकता है।

  1. पूजा और आराधना

ग्रह की शांति के लिए पूजा: दशा के ग्रह की शांति के लिए विशेष पूजा करें।

हनुमान जी की आराधना: हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से मंगल और शनि की दशा में प्रभावी मानी जाती है।

भगवान शिव की पूजा: भगवान शिव की पूजा करना भी हर ग्रह की दशा के लिए शुभ माना जाता है।

  1. यज्ञ और हवन

नवग्रह शांति हवन: नवग्रहों की शांति के लिए हवन करना दशा के प्रतिकूल प्रभाव को कम कर सकता है।

विशेष ग्रह हवन: दशा स्वामी ग्रह के लिए विशेष हवन करवाएं, जिसमें उसके मंत्रों का जाप और हवन सामग्री का समर्पण किया जाता है।

  1. आध्यात्मिक उपाय

ध्यान और योग: नियमित ध्यान और योग करने से मानसिक शांति मिलती है और दशा के नकारात्मक प्रभावों का सामना करने की शक्ति मिलती है।

क्षमा प्रार्थना: अपने गलतियों के लिए क्षमा मांगने से दशा के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

  1. अन्य उपाय

ग्रह के मित्र ग्रह की पूजा: यदि किसी ग्रह की दशा चल रही है, तो उसके मित्र ग्रह की पूजा करना भी लाभकारी हो सकता है।

ग्रह की दिशा में दीप जलाना: जिस ग्रह की दशा चल रही है, उसकी दिशा में दीपक जलाने से भी लाभ हो सकता है।

Obstructive Planets

In Vedic astrology, obstructive planets are those that create obstacles and challenges in an individual’s life. These planets, also known as “Vighnakari” or “Avarodhak” planets, can cause difficulties in various areas of life, such as health, wealth, relationships, career, and more.

Determining Obstructive Planets

The identification of obstructive planets is primarily based on the ascendant (lagna) of the birth chart.

Movable (Char) Ascendants: Aries, Cancer, Libra, Capricorn

The obstructive planet is the ruler of the 11th house.

Fixed (Sthira) Ascendants: Taurus, Leo, Scorpio, Aquarius

The obstructive planet is the ruler of the 9th house.

Dual (Dvisvabhava) Ascendants: Gemini, Virgo, Sagittarius, Pisces

The obstructive planet is the ruler of the 7th house.

Impact of Obstructive Planets

The effects of obstructive planets can manifest in different ways in a person’s life:

Health Impact: The position of obstructive planets can lead to health issues. If these planets are located in the 6th, 8th, or 12th houses, the likelihood of illness increases.

Wealth and Prosperity Impact: During the period (dasha) of obstructive planets, financial difficulties, debts, or loss of wealth may occur.

Relationship Impact: These planets can cause disputes, tension, and misunderstandings in family and marital life.

Career and Business Impact: Obstructive planets may lead to career obstacles, job instability, or losses in business.

Level of Influence

The impact of an obstructive planet depends on its position in the birth chart, its strength, and its conjunction with other planets. If the obstructive planet is strong and aligned with benefic planets or located in favorable houses, its negative impact may be reduced. However, if it is debilitated or associated with malefic planets, its influence can be much more pronounced.

Remedies for Obstructive Planets

To reduce the effects of obstructive planets, Vedic astrology suggests several remedies:

Mantra Chanting

Beej Mantra of the Obstructive Planet: Regular chanting of the Beej Mantra associated with the obstructive planet can help neutralize its negative energy.

Example: If Saturn is the obstructive planet, chant “Om Sham Shanicharaya Namah” at least 108 times daily, especially on the planet’s day (Saturday for Saturn).

Worship and Devotion

Lord Shiva Worship: Worshiping Lord Shiva is considered highly effective in mitigating the influence of obstructive planets.

Hanuman Worship: Devotion to Lord Hanuman on Tuesdays and Saturdays can reduce the negative effects of obstructive planets.

Lord Vishnu Worship: Regular recitation of Vishnu Sahasranama is also beneficial.

Charity and Donations

Donate Items Related to the Obstructive Planet:

For Saturn, donate black clothes, sesame seeds, iron items, and oil.

For the Sun, donate wheat, jaggery, red clothes, and copper items.

Help the Needy: Assisting the poor and needy can diminish the negative influence of obstructive planets and enhance positive energy.

Gemstone Wearing

Gemstones for Obstructive Planets: Wearing the appropriate gemstone can help control the planet’s influence. However, it is crucial to consult a qualified astrologer before wearing any gemstone.

Example: For the Sun, wear Ruby (Manikya). For Saturn, wear Blue Sapphire (Neelam).

Fasting and Vows

Special Fasts: Observe fasts on the day associated with the obstructive planet.

Example: Fast on Saturdays for Saturn, Sundays for the Sun.

Yajna and Havan

Navagraha Shanti Havan: Performing a havan for the pacification of the Navagrahas (nine planets) can significantly reduce the obstructive planet’s influence.

Specific Obstructive Planet Havan: Conduct a havan specifically for the obstructive planet, involving the chanting of its mantras and offering appropriate materials.

Spiritual Remedies

Meditation and Prayer: Regular meditation and prayer can calm the mind and provide the strength to endure the challenges posed by the planets.

Forgiveness Prayers: Seeking forgiveness for past actions can help mitigate the effects of obstructive planets.

Gulika

गुलिका का महत्व- Significance of Gulika

गुलिका, जिसे मांडी के नाम से भी जाना जाता है, वैदिक ज्योतिष में विशेष महत्व रखती है। यह राहु और केतु की तरह कोई भौतिक अस्तित्व नहीं रखती, लेकिन फिर भी जन्म कुंडली के परिणामों में महत्वपूर्ण बदलाव लाती है। इसका स्वभाव सभी प्राकृतिक या कार्यात्मक पाप ग्रहों से अधिक प्रभावशाली माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में गुलिका और मांडी को प्रायः एक ही माना जाता है, हालांकि कुछ लोग इन्हें अलग-अलग इकाइयों के रूप में देखते हैं और उनमें भेद करते हैं। गुलिका शनि द्वारा शासित समय के एक विशेष खंड को दर्शाती है। मांडी शब्द शनि के एक अन्य नाम मंदा से उत्पन्न हुआ है। बृहत् प्राशर होरा शास्त्र के अनुसार, इसे मांडी के नाम से भी जाना जाता है।

गुलिका का निर्धारण दिन और रात के समय अलग-अलग होता है। दिन में, यह उस सप्ताह के ग्रह स्वामी के अनुसार होता है, जबकि रात में यह सूर्यास्त से सूर्यास्त तक के खंडों के आधार पर निर्धारित होता है। गुलिका का स्थान जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों के योग और भावों पर असर डालता है, जिससे उनके लाभकारी या हानिकारक प्रभाव प्रभावित होते हैं।

गुलिका का प्रभाव जन्म के पहले घर में पड़ने पर विशेष रूप से देखा जाता है, जहां यह कुंडली के शुभ परिणामों को कमजोर कर देता है। जब लग्न और गुलिका की डिग्री एक दूसरे के करीब होती है, तो इसके प्रभाव अधिकतम होते हैं। इसका अर्थ है कि गुलिका के समय में जन्म लेने वाला व्यक्ति अधिक पीड़ा का अनुभव करता है और राजयोग जैसे लाभकारी योग भी कमजोर पड़ जाते हैं।

फिर भी, गुलिका के कुछ लाभकारी प्रभाव भी होते हैं। जब यह 3, 6, 10, और 11वें भाव में स्थित होती है, तो यह कुछ अच्छे परिणाम दे सकती है, लेकिन ये प्रभाव तब कमजोर पड़ जाते हैं जब गुलिका के राशि स्वामी नीच या अस्त हों। गुलिका का संबंध अन्य ग्रहों के साथ भी उनके प्रभाव को बदल सकता है। उदाहरण के लिए, सूर्य के साथ गुलिका पिता के लिए, चंद्रमा के साथ मां के लिए, और मंगल के साथ भाई के लिए कष्टदायक मानी जाती है।

गुलिका की दशाएं और गोचर भी महत्वपूर्ण होते हैं। गुलिका के डिस्पोजिटर या उसके नवमांश स्वामी की दशा अवधि खतरनाक साबित हो सकती है। इसके अलावा, यदि गुलिका का संबंध किसी अशुभ कारक के साथ होता है, जैसे महापात, गंडांत, आदि, तो यह सभी अच्छे योगों को नष्ट कर सकता है।

गुलिका के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए शास्त्रों में कुछ उपाय बताए गए हैं। इनमें शिवालय में दीप जलाना और भगवान शिव की पूजा करना शामिल है। ऐसे उपायों से गुलिका के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष

गुलिका या मांडी, वैदिक ज्योतिष में एक विशेष स्थान रखती है। इसका प्रभाव जन्म कुंडली के विभिन्न ग्रहों और भावों पर गहरा असर डालता है, जिससे जीवन के विभिन्न पहलुओं में शुभ या अशुभ परिणाम उत्पन्न होते हैं। हालांकि, इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए शास्त्रों में विभिन्न उपायों का उल्लेख किया गया है, जो व्यक्ति के जीवन में संतुलन लाने में सहायक हो सकते हैं।

Significance of Gulika

Gulika, also known as Mandi, holds a special significance in Vedic astrology. Like Rahu and Ketu, it does not have a physical existence, yet it brings about significant changes in the outcomes of a birth chart. Its nature is considered more influential than all natural or functional malefic planets. In Vedic astrology, Gulika and Mandi are often considered the same, although some people view them as separate entities and distinguish between them. Gulika represents a specific segment of time governed by Saturn. The term “Mandi” is derived from another name for Saturn, “Manda.” According to the Brihat Parashara Hora Shastra, it is also known by the name Mandi.

The determination of Gulika differs for day and night. During the day, it is determined based on the lord of the day of the week, while at night, it is based on segments from sunset to sunrise. The position of Gulika in a birth chart affects various planetary conjunctions and houses, influencing their benefic or malefic impacts.

The impact of Gulika is particularly noted when it is placed in the first house of a birth chart, where it can weaken the auspicious outcomes of the chart. When the degrees of the ascendant and Gulika are close to each other, its effects are maximized. This means that a person born at the beginning of the Gulika period may experience more suffering, and even beneficial yogas like Raj Yoga may lose their potency.

Nevertheless, Gulika can also have some beneficial effects. When positioned in the 3rd, 6th, 10th, and 11th houses, it can bring some positive results. However, these effects are diminished if the ruling planet of Gulika’s sign is debilitated or combust. Gulika’s association with other planets can also alter their effects. For example, when Gulika is with the Sun, it is unfavorable for the father; with the Moon, it is adverse for the mother; and with Mars, it is troublesome for siblings.

The dashas (planetary periods) and transits of Gulika are also significant. The dasha period of Gulika’s dispositor or its Navamsa lord can be dangerous. Additionally, if Gulika is associated with any inauspicious factors like Mahapada, Gandanta, etc., it can nullify all positive yogas.

To mitigate the negative effects of Gulika, the scriptures suggest some remedies. These include lighting a lamp in a Shiva temple and worshiping Lord Shiva. Such remedies can help reduce the adverse effects caused by the nature of Gulika.

Conclusion

Gulika, or Mandi, holds a unique place in Vedic astrology. Its influence on the various planets and houses in a birth chart has a profound effect, resulting in either auspicious or inauspicious outcomes in different aspects of life. However, the scriptures mention several remedies to reduce its negative effects, which can help bring balance to an individual’s life.

Markesh

Markesh: The Lord of Death in Astrology

Understanding Markesh

In the intricate tapestry of Vedic astrology, the concept of Markesh holds a significant place. It refers to the planet that owns the 7th house from the ascendant or Moon. The 7th house is traditionally associated with partnerships, marriage, and open enemies. Hence, the planet ruling this house is often linked to potential challenges and obstacles.

The term ‘Markesh’ is often misinterpreted as a harbinger of doom. However, it’s essential to remember that astrology is a tool for understanding potential tendencies, not for predicting concrete events. The influence of Markesh is just one piece of the complex astrological puzzle.

The Significance of Markesh

The Markesh planet is believed to indicate potential areas of life where challenges or obstacles may arise. This could manifest in various ways, including:

Health issues: The Markesh planet can signify potential health problems.

Relationship challenges: Difficulties in partnerships or marriages.

Professional setbacks: Obstacles in career or business.

Legal issues: Potential legal disputes or conflicts.

However, it’s crucial to remember that the strength of the Markesh planet, its placement in the chart, and aspects with other planets significantly influence its impact. A strong and well-placed Markesh might indicate challenges that can be overcome, while a weak and afflicted Markesh might pose more significant hurdles.

Markesh and Different Planets

The implications of Markesh vary depending on the planet involved:

Sun as Markesh: Indicates potential ego clashes and leadership challenges.

Moon as Markesh: Suggests emotional instability and challenges in relationships.

Mars as Markesh: Implies aggression, accidents, and disputes.

Mercury as Markesh: Points to communication issues and mental stress.

Jupiter as Markesh: Might indicate philosophical conflicts or religious differences.

Venus as Markesh: Suggests challenges in relationships and finances.

Saturn as Markesh: Indicates delays, obstacles, and health issues.

Rahu as Markesh: Implies illusions, deception, and sudden challenges.

Ketu as Markesh: Suggests detachment, isolation, and unexpected events.

The Role of House Placement

The house placement of the Markesh planet also plays a crucial role in determining its influence:

Markesh in the 6th house: May indicate health issues or challenges in daily routines.

Markesh in the 8th house: Can signify challenges related to transformation, inheritance, or occult matters.

Markesh in the 12th house: Might indicate losses, isolation, or spiritual challenges.

Overcoming Markesh Challenges

While the concept of Markesh might seem daunting, it’s important to remember that astrology is a tool for understanding, not for predicting the future. By being aware of potential challenges, individuals can take proactive steps to mitigate their impact.

Some strategies include:

Strengthening the Markesh planet: Through remedies and spiritual practices.

Mitigating the effects of the Markesh house: By focusing on building resilience in those areas of life.

Leveraging other planetary influences: Identifying supportive planets and aspects can help offset the challenges posed by Markesh.

Building resilience: Developing coping mechanisms and a positive mindset.

Case Studies

To illustrate the concept of Markesh, let’s consider a few hypothetical examples:

Individual 1: With Mars as Markesh in the 6th house, might face health issues related to accidents or injuries.

Individual 2: With Saturn as Markesh in the 8th house, could experience delays and obstacles in matters related to transformation and inheritance.

Individual 3: With Rahu as Markesh in the 12th house, might face unexpected losses or challenges related to spirituality.

It’s important to note that these are simplified examples, and a comprehensive astrological analysis would consider numerous other factors before drawing conclusions.

Markesh and Lagna

The ascendant, or Lagna, represents the beginning of life and the physical body. Therefore, the relationship between Markesh and Lagna is crucial in understanding potential health challenges and longevity.

Strong Lagna: A robust Lagna can mitigate the negative effects of Markesh, indicating a strong constitution and resilience.

Weak Lagna: A debilitated Lagna might amplify the challenges posed by Markesh, suggesting potential health issues.

Markesh in Lagna: This placement can indicate a strong personality but also potential health challenges.

Markesh aspecting Lagna: This aspect can influence personality and health based on the nature of the aspect.

Predicting Death Time: A Complex Endeavor

Predicting the exact time of death is a complex task that involves multiple astrological factors, beyond just the Markesh.

Markesh by Lagna

The Lagna, or ascendant, is the rising sign at the time of birth and signifies the physical body. Let’s explore Markesh for the 12 Lagnas:

Aries Lagna: Venus (Taurus, Libra) is the Markesh.

Taurus Lagna: Venus (Taurus, Libra) is the Markesh.

Gemini Lagna: Moon (Cancer) is the Markesh.

Cancer Lagna: Moon (Cancer) is the Markesh.

Leo Lagna: Mars (Aries, Scorpio) is the Markesh.

Virgo Lagna: Mercury (Gemini, Virgo) is the Markesh.

Libra Lagna: Mars (Aries, Scorpio) is the Markesh.

Scorpio Lagna: Mercury (Gemini, Virgo) is the Markesh.

Sagittarius Lagna: Jupiter (Sagittarius, Pisces) is the Markesh.

Capricorn Lagna: Saturn (Capricorn, Aquarius) is the Markesh.

Aquarius Lagna: Saturn (Capricorn, Aquarius) is the Markesh.

Pisces Lagna: Jupiter (Sagittarius, Pisces) is the Markesh.

Markesh by Rashi

Rashi refers to the Moon sign. While less commonly used, Markesh can also be calculated from the Moon sign. In this case, the 7th house from the Moon determines the Markesh planet.

The Importance of Planetary Strength

It’s crucial to remember that the strength of the Markesh planet is paramount. A well-placed and strong Markesh might indicate minor challenges, while a weak or afflicted Markesh can pose more significant threats.

Other factors like the placement of the Markesh in the chart, its aspects with other planets, and the overall strength of the horoscope also influence its impact.

The Role of Dashas and Transits

The ongoing planetary periods (Dashas) and sub-periods (Bhuktis) of the Markesh planet can amplify its effects. Additionally, transits of malefic planets over the Markesh or its house can trigger challenging periods.

मारकेश के बारे में विस्तृत जानकारी

मारकेश ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह कुंडली में एक ऐसा ग्रह होता है जिसका संबंध आयु और मृत्यु से जुड़ा होता है। आइए मारकेश से जुड़े सभी प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानते हैं:

मारकेश किसे कहते हैं?

मारकेश वह ग्रह होता है जो कुंडली में द्वितीय (धन), सप्तम (भागीदारी) और अष्टम (मृत्यु) भाव का स्वामी होता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव ला सकता है, खासकर स्वास्थ्य और रिश्तों के मामले में।

मारकेश दोष क्या होता है?

जब मारकेश ग्रह कमजोर होता है या अशुभ ग्रहों के साथ युति या दृष्टि बनाता है, तो मारकेश दोष उत्पन्न होता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं ला सकता है, जैसे कि बीमारियां, दुर्घटनाएं, रिश्तों में तनाव और आर्थिक समस्याएं।

मारकेश के लक्षण

  • अक्सर बीमार रहना
  • दुर्घटनाएं होना
  • रिश्तों में तनाव
  • आर्थिक समस्याएं
  • जीवन में अस्थिरता
  • मानसिक तनाव

मारकेश निर्णय

मारकेश निर्णय के लिए कुंडली का गहन अध्ययन आवश्यक है। मारकेश ग्रह की स्थिति, शक्ति, अन्य ग्रहों के साथ संबंध और दशा-अंतर्दशा का विश्लेषण करके मारकेश दोष के प्रभाव का आकलन किया जाता है।

मारकेश के उपाय

  • धार्मिक अनुष्ठान: मारकेश ग्रह के देवता की पूजा करना, मंत्र जाप करना और दान करना।
  • रत्न धारण: मारकेश ग्रह के अनुसार उपयुक्त रत्न धारण करना।
  • शांति पूजन: मारकेश दोष शांति के लिए ज्योतिषी के मार्गदर्शन में पूजा करवाना।
  • ग्रह शांति के उपाय: मारकेश ग्रह को शांत करने के लिए उपाय करना, जैसे कि दान, उपवास आदि।
  • नकारात्मक विचारों से बचना: सकारात्मक रहना और नकारात्मक विचारों से दूर रहना।
  • स्वास्थ्य का ध्यान रखना: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लेना।

मारकेश की महादशा

मारकेश की महादशा उस समय आती है जब कुंडली में मारकेश ग्रह की महादशा चल रही होती है। इस दौरान व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

मारकेश की महादशा कितने समय तक रहता है?

मारकेश की महादशा का समय ग्रह के अनुसार अलग-अलग होता है।

मारकेश के विशिष्ट ग्रहों के उपाय

  • मारकेश शनि के उपाय: शनि देव की पूजा, शनिवार का व्रत, लोहे की वस्तुओं का दान करना।
  • मारकेश मंगल के उपाय: हनुमान जी की पूजा, मंगलवार का व्रत, लाल रंग की वस्तुओं का दान करना।
  • मारकेश शुक्र के उपाय: शुक्र देवी की पूजा, शुक्रवार का व्रत, सफेद रंग की वस्तुओं का दान करना।
  • मारकेश गुरु के उपाय: गुरु देव की पूजा, गुरुवार का व्रत, पीले रंग की वस्तुओं का दान करना।

कुंडली में मारकेश योग

कुंडली में मारकेश योग तब बनता है जब मारकेश ग्रह कमजोर होता है या अशुभ ग्रहों के साथ युति या दृष्टि बनाता है।

मारकेश कैसे देखें?

कुंडली का गहन अध्ययन करके ही मारकेश का पता लगाया जा सकता है। एक कुशल ज्योतिषी ही मारकेश के बारे में सही जानकारी दे सकता है।

महत्वपूर्ण बातें

  • मारकेश का अर्थ मृत्यु नहीं होता है, बल्कि यह जीवन में आने वाली चुनौतियों का संकेत देता है।
  • मारकेश दोष के उपाय करने से जीवन में सुधार हो सकता है।
  • ज्योतिषी की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।

Conclusion

The concept of Markesh in Vedic astrology provides insights into potential challenges and areas of growth. However, it’s essential to approach it with a balanced perspective. By understanding the influence of the Markesh planet and its placement, individuals can develop strategies to overcome obstacles and harness their potential.

Jupiter in the 12th House

Jupiter in the 12th House

Jupiter’s energy in the twelfth house signifies spirituality, intuition, and inner growth. Individuals with this placement possess heightened psychic abilities and a profound connection to the unseen realms. Jupiter in the twelfth house encourages introspection, solitude, and spiritual practices. These individuals often find solace and inspiration through meditation, dream analysis, or other metaphysical pursuits. The 12th house deals with mysterious things, things hidden behind the curtain, solitude, subconscious mind, isolated places, one’s fears and insecurities.

Jupiter in the 12th House: A Sign-by-Sign Breakdown

Jupiter in the 12th house is generally associated with spirituality, introspection, and a deep connection to the unseen. It can indicate a strong inclination towards philanthropy, charity, and serving humanity. However, the specific nuances of this placement can vary significantly depending on the sign Jupiter is in.

Let’s explore Jupiter in the 12th house for each sign:

Fire Signs

Earth Signs

  • Jupiter in Taurus in the 12th: This placement can indicate a strong connection to nature and a love of luxury. The individual might be drawn to philanthropic work related to the environment or arts.
  • Jupiter in Virgo in the 12th: This position suggests a strong sense of service and a desire to help others through practical means. The individual might be drawn to healing professions or social work.
  • Jupiter in Capricorn in the 12th: This placement can indicate a strong desire for spiritual growth and a sense of purpose. The individual might be drawn to leadership roles in charitable organizations or philanthropic endeavors.

Air Signs

Water Signs

Presence of Jupiter in this house represents that the native might take great interest in spirituality, occult and mysticism. They might be practicing such spiritual ways like meditation or prayer in order to attain relief. The native might be working in some places of isolation such as hospitals, jails, rehabs etc. They love to help people in defending their troubles. In case of afflicted Jupiter, the native might be too delusional and tend to create their own fantasy world in order to save themselves from the harsh reality. Natives are likely to detach themselves from the materialistic aspects of life and they are more inclined towards spirituality and religious beliefs.

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