Bhakoot Dosh

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Bhakoot Dosh

( Bhakoot Dosh)भकूट दोष क्या होता है?

भकूट दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो विवाह कुंडली मिलान में महत्वपूर्ण माना जाता है। जब पुरुष और स्त्री की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति 6-8, 9-5 या 12-2 के संयोजन का होता है, तब भकूट दोष उत्पन्न होता है। इसे ज्योतिषीय दोषों में से एक माना जाता है।

भकूट दोष के उदाहरण के रूप में, यदि पुरुष की चंद्र राशि मेष हो और स्त्री की चंद्र राशि कन्या हो, तो यह भकूट दोष के रूप में जाना जाता है। इसका कारण है कि स्त्री की चंद्र राशि पुरुष की चंद्र राशि के छठे नक्षत्र से और पुरुष की चंद्र राशि स्त्री की चंद्र राशि के आठवें नक्षत्र पर होती है।

इसी तरह, भकूट दोष 9-5 और 12-2 के संयोजन के लिए भी मान्य है। 6-8 का भकूट दोष स्वास्थ्य समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है, 9-5 का भकूट दोष संतान समस्याओं का कारण बन सकता है, और 12-2 का भकूट दोष वित्तीय समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है।

भकूट दोष के प्रभाव पर कुछ ज्योतिषीय ग्रंथों में चर्चा की गई है। यह माना जाता है कि यदि भकूट दोष को नजरअंदाज नहीं किया जाता है, तो विवाहित जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।

भकूट दोष को प्रभावित करने के लिए कुछ उपायों का उल्लेख किया गया है। इनमें से कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

षडष्टक परिहार: ( Shdashtak Parihaar )वर और वधू की राशि में मित्र षडष्टक होने पर भकूट दोष का प्रभाव कम हो सकता है। इसलिए, यहां उचित होगा कि षडष्टक दोष को नजरअंदाज न करें।

नवपंचम परिहार: ( Navpancham Parihaar) यदि वर और वधू की चंद्र राशि आपस में शुभ स्थान पर हो, तो नवपंचम दोष का प्रभाव कम हो सकता है।

द्विद्र्वादश परिहार: ( Dwidasha Parihaar) वर और वधू की राशि में मित्र ग्रह होने पर द्विद्र्वादश दोष का प्रभाव कम हो सकता है।

भकूट दोष को निष्पादित करने के लिए विवाह कुंडली मिलान का उपयोग किया जाता है। कुंडली मिलान करने से पहले ज्योतिषी को भकूट दोष की जांच करनी चाहिए। हालांकि, सिर्फ एक दोष पर आधारित रूप से शादी न करने की सलाह देनी चाहिए, क्योंकि कई ऐसे दम्पति हैं जिनकी कुंडली में भकूट दोष होता है और वे खुशहाल विवाहित जीवन जी रहे हैं। इसलिए, सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेना उचित होगा।

भकूट दोष का परिहार / भकूट दोष से बचने के उपाय:

भकूट दोष को निदान करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन किया जा सकता है:

षडाष्टक परिहार:

मेष/वृश्चिक, वृष/तुला, मिथुन/मकर, कर्क/धनु, सिंह/मीन या कन्या/कुंभ राशि होने पर मित्र षडाष्टक का परिहार मान्य होता है। इन राशियों के स्वामी ग्रह एक दूसरे के मित्र होते हैं, जो षडाष्टक दोष को कम कर सकता है।

मेष/कन्या, वृष/धनु, मिथुन/वृश्चिक, कर्क/कुंभ, सिंह/मकर और तुला/मीन राशियों में षडाष्टक दोष होने पर इसे पूर्णतः त्याग किया जाना चाहिए।

यदि तारा शुद्धि, राशियों की मित्रता, एक ही राशि होना या राशि स्वामी ग्रहों का समान होना हो, तो षडाष्टक दोष का परिहार हो जाता है।

नव पंचम परिहार:

नव पंचम दोष का परिहार उन स्थितियों में किया जाता है जब वर-वधू की चंद्र राशि एक-दूसरे से 5/9 अक्ष पर स्थित होती है।

मीन/कर्क, वृश्चिक/कर्क, मिथुन/कुंभ और कन्या/मकर राशियों में नव पंचम दोष होने पर इसे त्याग करना चाहिए।

यदि वर-वधू की कुंडली में चंद्र राशियों के स्वामी आपस में मित्र हों, तब भी नव पंचम का परिहार किया जाता है।

द्वि-द्वार्दश परिहार:

लड़के की राशि से लड़की की राशि दूसरे स्थान पर होने पर लड़की को धन की हानि होती है, लेकिन 12वें स्थान पर होने पर धन की लाभ होती है।

द्वि-द्वार्दश योग में वर-वधू की राशि स्वामी आपस में मित्र होते हैं, जिससे इस दोष का परिहार होता है।

मतान्तर से सिंह और कन्या राशि में द्वि-द्वार्दश होने पर भी इस दोष का परिहार होता है।

भकूट दोष का निदान / भकूट दोष की पहचान:

वर-वधू की कुंडली में चन्द्रमा की मेष-वृश्चिक और वृष-तुला राशियों में होने पर भकूट दोष को मान्यता नहीं दी जाती है क्योंकि मेष-वृश्चिक राशियों का स्वामी मंगल होता है और वृष-तुला राशियों का स्वामी शुक्र होता है। इसलिए, एक ही राशि होने के कारण दोष को समाप्त माना जाता है।

इसी तरह, वर-वधू की कुंडली में चन्द्र राशियों के स्वामी आपस में मित्र हैं, तब भी भकूट दोष का प्रभाव कम होता है, जैसे मीन-मेष और मेष-धनु में भकूट दोष होता है, परंतु उसका प्रभाव कम होता है क्योंकि इन राशियों के स्वामी गुरु और मंगल होते हैं, जो आपस में मित्र होते हैं।

यदि कुंडली मिलान में ग्रहमैत्री, गणदोष और नाड़ी दोष नहीं है, और भकूट दोष है, तो भी भकूट दोष का प्रभाव कम होता है।

आमतौर पर, ज्योतिषी कुंडली मिलान के दौरान भकूट दोष की उपस्थिति में शादी के लिए सलाह देते हैं। हालांकि, किसी एक दोष पर आधारित रूप से कभी भी शादी करने से इंकार करने की सलाह नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ऐसे अनेक दंपति हैं जिनकी कुंडली में भकूट दोष होता है फिर भी वे सुखमय दंपति जीवन बिता रहे हैं।

इसलिए, विवाह संबंधित निर्णय लेने से पहले, लड़का और लड़की की कुंडली में ग्रहों की स्थिति, उच्चता, नीचता, योग आदि का विचार करना चाहिए।

Bhakoot dosha is a Vedic astrology dosha that is considered significant in the matching of marriage horoscopes. It occurs when the Moon signs of the groom and the bride form a specific combination of 6-8, 9-5, or 12-2 positions. It is considered one of the doshas in Vedic astrology.

As an example of Bhakoot dosha, if the Moon sign of the groom is Aries (Mesh) and the Moon sign of the bride is Virgo (Kanya), it is considered a Bhakoot dosha. This is because the Moon sign of the bride is six signs away from the Moon sign of the groom, and the Moon sign of the groom is eight signs away from the Moon sign of the bride.

Similarly, Bhakoot dosha is acknowledged for the combinations of 9-5 and 12-2 as well. The 6-8 dosha can affect health, the 9-5 dosha can impact progeny-related matters, and the 12-2 dosha can affect financial aspects.

Some astrological texts discuss the impact of Bhakoot dosha. It is believed that if Bhakoot dosha is not addressed, it can create difficulties in married life.

To address Bhakoot dosha, several remedies are mentioned, including:

  1. Shadashatak Parihar: If the Moon signs of the groom and the bride are in friendly positions, Bhakoot dosha’s impact can be reduced. It is advisable not to ignore the Shadashatak dosha.
  2. Navapamcham Parihar: Navapamcham dosha is remedied when the Moon signs of the groom and the bride are in favorable positions.
  3. Dwidwadash Parihar: Dwidwadash dosha is mitigated when the Moon signs of the groom and the bride have a friendly planetary relationship.

It is important to note that Bhakoot dosha is identified and addressed through the process of horoscope matching before marriage. However, it is not advisable to reject a marriage solely based on the presence of one dosha. Many couples with Bhakoot dosha in their horoscopes lead happy married lives. Therefore, a balanced approach considering various factors is recommended before making any marriage-related decisions.

Bhakoot dosha is considered in the process of matching horoscopes before marriage in Indian culture. It is believed that horoscope compatibility plays a significant role in ensuring a harmonious and prosperous married life. Bhakoot dosha is one aspect that is taken into consideration during this process.

However, it is important to note that while Bhakoot dosha is considered in astrology, it should not be the sole basis for rejecting a marriage proposal. Astrology is a complex system with multiple factors and combinations to consider. Many couples with Bhakoot dosha have successful marriages, and it is not uncommon for astrologers to provide remedies and solutions to mitigate the potential negative effects of this dosha.

It is advisable to consult with a knowledgeable and experienced astrologer who can analyze the entire horoscope and provide guidance accordingly. They will consider other factors such as planetary positions, aspects, strengths, and overall compatibility to give a comprehensive assessment.

In some cases, remedies and rituals may be suggested to alleviate the effects of Bhakoot dosha. These remedies can vary depending on the specific horoscope and the astrologer’s recommendations. It is believed that performing these remedies with faith and sincerity can help harmonize the energies and reduce the impact of the dosha.

It is essential to approach astrology and doshas with an open mind and understand that it is just one aspect to consider when making important life decisions like marriage. Ultimately, the success of a marriage depends on various factors, including mutual understanding, respect, compatibility, and commitment between the partners.

Please note that astrology and its interpretations can vary among different schools of thought and individuals. It is always recommended to consult a trusted astrologer or expert for personalized guidance based on your specific situation.

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