Gem Stones Wearing Rules

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Gem Stones Wearing Rules

रत्न धारण नियम:

कुंडली में ९ ग्रहो में से कुछ गृह हमारे लिए अनुकूल होते हैं और कुछ विपरीत, साथ ही साथ कुछ गृह हमारे साथ सम व्यवहार करते हैं। जो गृह हमारे लिए अनुकूल है और उनकी ताकत में कमी है तभी उस गृह की ताकत बढ़ाने के लिए रत्न धारण करते है।

इसी प्रकार विपरीत फल देने वाले ग्रहो की ताकत अगर ज्यादा है तो उसको कम करने के लिए उस गृह से सम्बंधित वस्तुओ का दान करते हैं।

इसे आप इस प्रकार से समझ सकते है जैसे शरीर में किसी चीज की कमी है जैसे प्रोटीन, उस समय डॉक्टर भी हमें प्रोटीन वाली वस्तुओ को खाने के सलाह देता है।  इसी तरह अगर शरीर में किसी हार्मोन की अधिकता हो गयी है जैसे शर्करा , उस समय डॉक्टर हमें शर्करा को शरीर से दूर करने के उपाय बताता है।

अगर किसी गृह का रत्न धारण किया है तो उस गृह से सम्बंधित आहार लेकर भी आप उस गृह की ताकत को बढ़ा सकते हैं। मंत्र जाप करने से भी आपको वही परिणाम प्राप्त होगा क्योकि मंत्र जाप करने से आपके सिर के चारो तरफ ध्वनि तरंगो द्वारा जो चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा वह भी शरीर में उस गृह से सम्बंधित ऊर्जा का निर्माण करेगा। अतः ये आवश्यक नहीं है की आपको केवल रत्न ही धारण करना है।

आपने अधिकतर देखा होगा की कोई भी ज्योतिषी आपको कभी कभी कुछ विशेष रंग के कपडे धारण करने को मना करता है जैसे शनि ख़राब होने पर काला रंग नहीं धारण करना है या मंगल ख़राब होने पर लाल रंग के कपड़ो को धारण नहीं करना है, इसके पीछे क्या धारणा है ?

इसको समझते है।  सोचिये आप ४-५ मित्र हैं आपने सभी को भोजन के लिए आमंत्रित किया है और एक कमरे में उनके खाने के लिए व्ययस्था की है जहा अलग अलग टेबल पर हर एक मित्र की पसंद का भोजन रखा है।  अब आप किसी मित्र को बताये या न बताये फिर भी मित्र वही बैठेगा जहा उसकी पसंद का खाना रखा है।

इसी प्रकार गृह को आप एक इंसान की तरह समझ लीजिये जो पुराणों में वर्णित है, उनकी भी पसंद की वस्तुए अगर आप धारण करेंगे तो वे भी आकर्षित होंगे। ज्योतिषी आपको इसलिए ही विपरीत गृह की वस्तुए दान करने के लिए कहता है और धारण करने को मना करता है। इसी कारण अनुकूल गृह की ताकत कम होने पर उसकी पसंद के वस्त्र धारण करने की सलाह दी जाती है जिस से वह आकर्षित होकर शुभ फल प्रदान करे।

किसी भी रत्न या राशि रत्न धारण करने से पहले निम्नलिखित पर ध्यान देना आवश्यक है

मुख्य रूप से लग्नेश -पंचमेश और नवमेश के स्वामी गृह के रत्न धारण करे।

अगर लग्नेश -पंचमेश और नवमेश का स्वामी छठे आठवे भाव में बैठा है तो उसका रत्न न धारण करे अन्यथा आपको लाभ की जगह नुकसान ही प्राप्त होगा।

अगर उपरोक्त तीनो में से किसी का स्वामी पाप-कर्तरी योग में है तो भी उसका रत्न धारण न करे।

कभी भी विपरीत प्रकृति वाले ग्रहो के रत्न एक साथ न पहने जैसे माणिक्य और नीलम। क्योकि सूर्य गरम है और शनि ठंडा। ऐसा करने पर आपको सर्दी गर्मी – वायु और गर्मी से होने वाली परेशानिया शुरू हो जाएँगी।

शनि के रत्न को स्वर्ण में धारण न करे क्योकि सूर्य की धातु स्वर्ण – पीतल है और शनि की लोहा। सूर्य-शनि का सम्बन्ध आपस में पिता-पुत्र का है परन्तु ये दोनों गृह आपस में शत्रुवत व्यवहार करते हैं। और दोनों ग्रहो की प्रकृति में अंतर है जहा सूर्य गर्म और शनि ठंडा गृह है। नीलम को स्वर्ण में धारण करने से आपको पिता-पुत्र के बीच व्यावहारिक कष्ट अनुभव होंगे।

जिस प्रकार सूर्य- शनि में पिता-पुत्र का सम्बन्ध वैसे ही चंद्र-बुध में। यहाँ भी बुध का व्यवहार चंद्र के लिए शत्रुवत ही है , इसलिए कभी भी पन्ना जो बुध का रत्न है उसे चांदी में धारण न करे क्योकि चांदी चन्द्रमा की धातु है।  यहाँ चंद्र और बुध दोनों की प्रकृति ठंडी है। 

किसी भी रत्न को उसकी धातु में धारण करने से अधिक फल प्राप्त होता है अगर कुंडली के अनुसार कोई भी रत्न उपरोक्त नियमो के हिसाब से नहीं है तो रत्न न धारण करना बेहतर है।

कुंडली के अनुसार कोई भी रत्न उपरोक्त नियमो के हिसाब से नहीं है तो रत्न रत्न के स्थान पर रुद्राक्ष धारण करना अधिक प्रभावी होगा। अतः रत्न अथवा रुद्राक्ष धारण करने से पहले ज्योतिषीय सलाह आवश्यक है।

आजकल देखा गया है की ज्योतिषी सलाह दे देते है की राहु की दशा में गोमेद धारण करो या जिस गृह की दशा है उसका रत्न धारण करो बिना ही यह देखे की इसका प्रभाव क्या होगा।  कभी कभी ये इतना घातक है की धारण करने वाले व्यक्ति को आर्थिक मानसिक शारीरिक तीनो प्रकार की समस्या शुरू हो जाती है।

किसी भी तरह का उपाय करने से पहले यह जरूर जान लेना चाहिए कि विपरीत गृह ( शत्रु गृह ) कि वस्तुए धारण नहीं करना है और मित्र गृह कि वस्तुओं का दान नहीं करना है।

In the birth chart, some planets among the nine planets are favorable for us, while others are unfavorable. Additionally, some planets engage in neutral interactions with us. When a planet is favorable for us but lacks strength, wearing a gemstone associated with that planet is recommended to enhance its power.

Similarly, for planets that provide unfavorable results, if their influence is excessive, donating items related to that planet can help reduce their negative impact. This can be understood like addressing deficiencies in the body. For instance, when there’s a protein deficiency, a doctor advises consuming protein-rich foods. Similarly, if there’s an excess of a hormone like sugar in the body, a doctor suggests ways to reduce it.

Wearing the gemstone of a planet can be complemented by consuming foods associated with that planet to enhance its strength. Chanting mantras can also yield results by creating an electromagnetic field around the head that resonates with the energy of the planet, enhancing its influence. Thus, it’s not necessary to rely solely on gemstones.

You might have observed that astrologers sometimes advise against wearing specific colors based on planetary positions, like avoiding black when Saturn is unfavorable or avoiding red when Mars is unfavorable. The reason behind this advice is that planets have their own preferences and wearing items that resonate with their energy can attract positive outcomes. This is why astrologers recommend donating items related to unfavorable planets while discouraging the wearing of their gemstones.

Before wearing any gemstone or birthstone, consider the following points:

  1. Primarily, wear gemstones associated with the lords of the ascendant, fifth house, and ninth house.
  2. Avoid wearing gemstones if the lords of the ascendant, fifth house, or ninth house are placed in the sixth, eighth, or twelfth houses.
  3. Avoid wearing gemstones if any of these lords are in inauspicious planetary combinations (yogas).
  4. Do not wear gemstones of conflicting natures together, like ruby and blue sapphire, to avoid adverse effects related to heat and cold.
  5. Avoid wearing Saturn’s gemstone in gold and wearing blue sapphire in silver due to the conflicting nature of the Sun and Saturn. Also, wearing emerald in silver might cause conflicts between Mercury and the Moon.
  6. Gemstones are more effective when worn in their corresponding metal. If a gemstone doesn’t align with the prescribed rules in the birth chart, a Rudraksha bead might be more effective.
  7. It’s crucial to seek astrological advice before wearing any gemstone or Rudraksha.

In recent times, it has been noticed that astrologers sometimes suggest wearing a specific gemstone during the period of Rahu without considering its potential effects. It’s important to be cautious because such actions can lead to various issues in finances, mental health, and physical well-being.

Before implementing any remedy, it’s essential to understand that you should avoid wearing gemstones associated with conflicting planets and avoid donating items associated with friendly planets.

1. रत्न धारण

मुख्य रूप से लग्नेश -पंचमेश और नवमेश के स्वामी गृह के रत्न धारण करे।

2. सूर्य की धातु ?

सूर्य की धातु स्वर्ण – पीतल

3. सूर्य- शनि का सम्बन्ध ?

पिता-पुत्र

4. चंद्र-बुध का सम्बन्ध ?

पिता-पुत्र

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