Pradosh Vrat

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प्रदोष व्रत 2023 हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है इस बार सितंबर में प्रदोष व्रत 11 सितंबर को है।

Pradosh Vrat : प्रदोष व्रत 2023 हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जिसका उद्देश्य भगवान शिव को प्रसन्न करना है। इस व्रत का सम्पूर्ण दिन देवों के देव भगवान शंकर को ही समर्पित किया जाता है। चलिए जानते हैं कि प्रदोष व्रत 2023 में प्रत्येक माह में प्रदोष व्रत की शुभ तिथियाँ क्या हैं और इस व्रत के नियमों के बारे में भी विस्तार से जानते हैं।

प्रदोष व्रत क्या है? What is Pradosh Vrat ?

हिन्दू धर्म के अनुसार, एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है, और प्रदोष व्रत की तिथि भगवान शिव को समर्पित की जाती है। इसका महत्व इस पीछे की एक कथा से जुड़ा है। एक समय की बात है जब चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था, जिसके कारण उसका कष्ट और पीड़ा बढ़ गई थी। भगवान शिव ने त्रयोदशी के दिन इस दोष को दूर करने के लिए कदम उठाया, और इसी कारण प्रत्येक माह की त्रयोदशी को प्रदोष तिथि कहा जाता है। इस तरीके से प्रत्येक माह में दो बार प्रदोष व्रत मनाने का आदर्श तय किया गया है।

प्रदोष व्रत 2023 एक हिन्दू व्रत है जिसका उद्देश्य भगवान शिव को प्रसन्न करना है। प्रदोष व्रत का सम्पूर्ण दिन भगवान शंकर को समर्पित किया जाता है। इस व्रत को प्रत्येक माह में दो बार मनाया जाता है, और इसकी शुभ तिथियाँ व उपयुक्त मुहूर्त 2023 में निम्नलिखित हैं:

जनवरी में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in January

 03 जनवरी 2023, रात 10:02 बजे

फरवरी में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in February

02 फरवरी 2023, शाम 04:26 बजे (गुरु प्रदोष व्रत)

17 फरवरी 2023, रात 11:36 बजे (शनि प्रदोष व्रत)

मार्च में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in March

04 मार्च 2023, पूर्वाह्न 11:43 बजे

19 मार्च 2023, पूर्वाह्न 08:07 बजे (रवि प्रदोष व्रत)

अप्रैल में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in April

03 अप्रैल 2023, पूर्वाह्न 06:24 बजे

17 अप्रैल 2023, दोपहर 03:46 बजे

मई में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in May

02 मई 2023, रात 11:18 बजे

17 मई 2023, रात 10:28 बजे

जून में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in June

01 जून 2023, दोपहर 01:39 बजे

15 जून 2023, पूर्वाह्न 08:32 बजे

जुलाई में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in July

01 जुलाई 2023, पूर्वाह्न 01:17 बजे

14 जुलाई 2023, शाम 07:17 बजे

30 जुलाई 2023, पूर्वाह्न 10:34 बजे (रवि प्रदोष व्रत)

अगस्त में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in August

13 अगस्त 2023, सुबह 08:20 बजे

28 अगस्त 2023, दोपहर 06:23 बजे

सितंबर में प्रदोष व्रत:Pradosh in September

11 सितंबर 2023, पूर्वाह्न 11:52 बजे

27 सितंबर 2023, पूर्वाह्न 01:46 बजे

अक्टूबर में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in Ocotober

11 अक्टूबर 2023, शाम 5:37 बजे

26 अक्टूबर 2023, पूर्वाह्न 09:44 बजे (गुरु प्रदोष व्रत)

नवम्बर में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat November

10 नवंबर 2023, दोपहर 12:36 बजे

25 नवंबर 2023, शाम 05:22 बजे

दिसंबर में प्रदोष व्रत: Pradosh Vrat in December

10 दिसंबर 2023, पूर्वाह्न 7:13 बजे

24 दिसंबर 2023, पूर्वाह्न 06:24 बजे (रवि प्रदोष व्रत)

प्रदोष व्रत 2023: नियम और पूजा विधि Rules and Procedure :

हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों के अलग-अलग नियम होते हैं, और इन नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। इसी तरह, प्रदोष व्रत को मनाने के लिए भी कुछ नियम और पूजा विधि का पालन करना आवश्यक है। नीचे दिए गए नियमों और पूजा विधि का पालन करके भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है:

स्नान: प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।

मंदिर जाना: भगवान शिव की पूजा करने के लिए बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, और गंगाजल को साथ लेकर मंदिर जाएं।

पूजा का आयोजन: मंदिर में पहुंचकर भगवान शिव की पूजा करें। इसके दौरान ध्यानपूर्वक मंत्र जप करें और भगवान को अपनी मनोकामनाओं का पूरा होने का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें।

उपवास: प्रदोष व्रत के दिन किसी भी प्रकार का भोजन नहीं करें। व्रत के दिन शाम को सूर्यास्त से कुछ समय पहले पुनः स्नान करें और सफेद रंग के कपड़े पहनें।

घर की शुद्धि: अपने घर और मंदिर के चारों ओर गंगाजल का छीड़काव करें, जिससे आपके घर का वातावरण शुद्ध हो।

रंगोली: उपवासी मंडप को गाय के गोबर से सजाएं और उस पर 5 अलग-अलग रंगों से रंगोली बनाएं।

ध्यान और पूजा: उत्तर-पूर्व दिशा में मुख करके एक आसन पर बैठकर भगवान शिव का ध्यान करें। इसके साथ ही भगवान शिव के मूल मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जप करें और शिवलिंग पर भी जल चढ़ाएं।

संकल्प: आपकी मनोकामना को पूरा करने के लिए भगवान शिव से संकल्प करें कि आप प्रदोष व्रत करने के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

व्रत का पूरा करना: प्रदोष व्रत करने के पश्चात व्यक्ति को 11 या 26 बार प्रदोष व्रत करना आवश्यक है। इसके बाद इनका उद्दीपन करना भी जरूरी है।

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि प्रदोष व्रत का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में चल रही सभी परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं।

  • यदि कोई भी व्यक्ति प्रदोष का व्रत करता है| तो उसे इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना होगा| स्नान करने के बाद आपको साफ़ – सुथरे वस्त्र भी धारण करने होंगे| 
  • इसके बाद में भगवान शिव की पूजा करने के लिए बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप और गंगाजल को लेकर मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिए| 
  • पूजा करने के बाद इस प्रदोष के व्रत का संकल्प लीजिये और आपकी जो भी मनोकामना है वो भगवान शिव को कहिये तथा उसे पूर्ण करने के लिए उनसे प्रार्थना कीजिये| 
  • प्रदोष व्रत करने के पश्चात व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण नही करना चाहिए| व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्यास्त से कुछ समय पहले पुनः स्नान करके सफ़ेद रंग के कपडे धारण करने चाहिए| 
  • अपने घर व घर में उपस्थित मंदिर के चारों ओर गंगाजल का छिडकाव करना चाहिए| इससे आपके घर का वातावरण काफी शुद्ध होता है| इसके बाद आपको गाय के गोबर की सहायता से मंडप तैयार कीजिये| और इस पर 5 अलग – अलग रंगों से रंगोली बनाइए|
  • यह सब कार्य करने के बाद में आपको भगवान शिव का ध्यान करना होगा| जिसके लिए आपको उत्तर – पूर्व दिशा में मुख करके एक आसन पर बैठकर भगवान शिव के मूल मंत्र  “ॐ नमः शिवाय” का जप करना चाहिए| 
  • मंत्र का जप करते हुए साथ ही शिवलिंग पर भी जल चढ़ाए| जिससे भगवान शिव आपसे प्रसन्न होंगे और आपको उनका आशीर्वाद भी मिलता है| 
  • भगवान शिव से अपनी किसी मनोकामना पूर्ण करवाने के लिए व्यक्ति को 11 या 26 बार प्रदोष का व्रत करना बहुत ही आवश्यक है| इन व्रतों का संकल्प पूर्ण कर लेने बाद में इनका उद्दीपन करना भी जरूरी है| हिन्दू धर्म में मान्यता है कि आप प्रदोष व्रत करके अपने जीवन में चल रही सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति पा सकते है| 

प्रदोष व्रत के लाभ ( Benifits of Pradosh Vrat )

प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य शरीर हमेशा स्वस्थ रहता है| इस व्रत को करने के मनुष्य को मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव से भी मुक्ति मिलती है| इसके अलावा धन – धान्य से सम्बंधित सभी तकलीफ दूर हो जाती है|

इस व्रत को अधिकांश तौर पर वे महिलाएं करती है| जिनके लंबे समय से कोई संतान ना हुई हो| हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जिन भी लोगों के संतान नहीं है| उन्हें यह व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहिए| जिससे की उन्हें जल्द से जल्द संतान की प्राप्ति हो सके|

शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी यह व्रत काफी ज्यादा कारगर माना गया है| यदि आपको आपके शत्रुओं का भय हो या आपके शत्रु किसी प्रकार से आपको डरा रहे हो तो आपको प्रदोष का व्रत रखकर भगवान शिव से प्रार्थना करनी चाहिए| जिससे आपके सभी शत्रु परास्त हो जाए|

इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष हो तो वह प्रदोष व्रत करने और भगवान शिव के आशीर्वाद से उन दोषों से राहत मिलती है|

वार के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ ( Day Wise Benefits of Pradosh Vrat )

रविवार प्रदोष व्रत: ( Sunday Pradosh Vrat )

प्रदोष का व्रत रविवार के दिन करने से मनुष्य का शरीर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त रहता है| अर्थात उसका शरीर निरोगी हो जाता है|  सोमवार प्रदोष व्रत – इस दिन प्रदोष का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है| तथा मनुष्य को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है|  मंगलवार प्रदोष व्रत – मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित किया गया है| जो शिवजी के ही अवतार है| इस दिन प्रदोष व्रत करने से सभी रोगियों को उनके रोगों से मुक्ति मिलती है| और जिस व्यक्ति पर कोई कर्ज है तो उससे भी मुक्ति मिलती है| 

बुधवार प्रदोष व्रत: ( Wednesday Pradosh Vrat )

 इस दिन प्रदोष व्रत करने से महादेव जातक की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते है| प्रदोष व्रत 2023 बृहस्पतिवार प्रदोष व्रत – इसे गुरूवार के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन प्रदोष व्रत को करने व्यक्ति को अपने जीवन में शत्रुओं से सम्बंधित सभी से राहत मिलती है| तथा शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है| शुक्रवार प्रदोष व्रत  प्रदोष का व्रत जो शुक्रवार के दिन होता है तो इसे ‘शुक्र प्रदोष व्रत’ के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख व समृद्धि बनी रहती है|  शनिवार प्रदोष व्रत – इस दिन आने वाले व्रत को “शनि प्रदोष व्रत” भी कहा जाता है| शनिवार के दिन व्रत करने वाली महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति होती है|

सोमवार प्रदोष व्रत – इस दिन प्रदोष का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है| तथा मनुष्य को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है| 

मंगलवार प्रदोष व्रत – मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित किया गया है| जो शिवजी के ही अवतार है| इस दिन प्रदोष व्रत करने से सभी रोगियों को उनके रोगों से मुक्ति मिलती है| और जिस व्यक्ति पर कोई कर्ज है तो उससे भी मुक्ति मिलती है| 

बृहस्पतिवार प्रदोष व्रत – इसे गुरूवार के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन प्रदोष व्रत को करने व्यक्ति को अपने जीवन में शत्रुओं से सम्बंधित सभी से राहत मिलती है| तथा शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है|

शुक्रवार प्रदोष व्रत –  प्रदोष का व्रत जो शुक्रवार के दिन होता है तो इसे ‘शुक्र प्रदोष व्रत’ के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख व समृद्धि बनी रहती है| 

शनिवार प्रदोष व्रत – इस दिन आने वाले व्रत को “शनि प्रदोष व्रत” भी कहा जाता है| शनिवार के दिन व्रत करने वाली महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति होती है| 

प्रदोष व्रत को करने वाले ध्यान रखे कुछ मुख्य बातें ( Some Important Points of Pradosh Vrat )

जो भी व्यक्ति इस व्रत को करने का संकल्प लेता है| उसे पुरे दिन में कुछ भी नहीं खाना चाहिए|

एक बात का जरूर ध्यान रखें कि इस दिन भूलकर कर भी आपको नमक का सेवन नहीं करना चाहिए|

व्रत वाले दिन पूर्ण तन और मन से भगवान का ध्यान करना चाहिए और अपने मन से सभी प्रकार क्रूर भावनाओं को त्याग देना चाहिए|

इस दिन सही तरीके से ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत ही आवश्यक है|

प्रदोष का व्रत करने वाले खासतौर पर इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन आपको किसी भी स्थिति में मांसाहारी या ऐसा भोजन जो मनुष्य के शरीर को आलसी बनाता हो, उसका सेवन नहीं करना चाहिए|

व्रत के दिन नशीले पदार्थों का भी सेवन नहीं करना चाहिए|

प्रदोष व्रत क्या है? What is Pradosh Vrat?

प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जिसका उद्देश्य भगवान शिव को प्रसन्न करना है। इस व्रत का सम्पूर्ण दिन देवों के देव भगवान शंकर को ही समर्पित किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और भगवान शिव के आशीर्वाद का आशा किया जाता है।

प्रदोष व्रत का इतिहास क्या है? What is the history of Pradosh Vrat?

प्रदोष व्रत का महत्व एक प्राचीन कथा से जुड़ा हुआ है। एक समय की बात है, जब चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था, जिससे उसका कष्ट और पीड़ा बढ़ गई थी। भगवान शिव ने इस समस्या को दूर करने के लिए त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का आयोजन किया और चंद्रमा को उसके कष्ट से मुक्ति दिलाई। इसलिए प्रत्येक माह की त्रयोदशी को प्रदोष तिथि कहा जाता है और इसे भगवान शिव के प्रसाद का प्रतीक माना जाता है।

प्रदोष व्रत की नियमित धारणा क्यों महत्वपूर्ण है? Why is observing Pradosh Vrat regularly important?

प्रदोष व्रत की नियमित धारणा से भक्त भगवान शिव के प्रति अपना भक्ति और समर्पण प्रकट करते हैं। यह व्रत भगवान शिव के आशीर्वाद का आशा करने और अपने जीवन में सुख और समृद्धि पाने का एक माध्यम होता है। इसके अलावा, प्रदोष व्रत का पालन करके व्यक्ति अपने आत्मा को शुद्धि देने का प्रयास करता है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम रखता है।

प्रदोष व्रत के क्या नियम हैं? What are the rules for observing Pradosh Vrat?

प्रदोष व्रत को पालन करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए:

व्रत की त्रयोदशी तिथि को ध्यान से मनाना चाहिए, जो सूर्यास्त से पूर्व होती है।

भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। इसके लिए शिवलिंग को जल और दूध से स्नान करके उसे देवता की तरह पूजन करना चाहिए।

व्रत के दिन व्रती को एक ही बार भोजन करना चाहिए और व्रत के दिन उसे अन्न, मांस, अल्कोहल, और तमाकू का सेवन नहीं करना चाहिए।

व्रत के दिन व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए,

व्रत के दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए और उनके नाम का कीर्तन करना चाहिए।

प्रदोष व्रत के दिन व्रती को सूर्यास्त के समय और सूर्यास्त के बाद भगवान शिव का पूजन करना चाहिए।

व्रत के दिन दान और चारित्रिक कर्म करना चाहिए, जैसे कि दिनभर भगवान की पूजा-अर्चना करना और गरीबों को दान देना।

प्रदोष व्रत के फायदे क्या हैं? What are the benefits of observing Pradosh Vrat?

प्रदोष व्रत के ध्यानपूर्वक पालन से निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं:

भगवान शिव के कृपा प्राप्ति: प्रदोष व्रत का पालन करने से भगवान शिव के आशीर्वाद का प्राप्ति होता है और व्रती की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

साधना और आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है और व्रती को अपने आत्मा की शुद्धि का अवसर प्रदान करता है।

सुख-शांति: प्रदोष व्रत के पालन से व्यक्ति का जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण होता है।

रोग निवारण: इस व्रत के पालन से शरीरिक और मानसिक रोगों का निवारण हो सकता है।

परिवार के हरिकित होने का आशीर्वाद: प्रदोष व्रत के द्वारा परिवार के सभी सदस्यों का हरिकित होने का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

कर्मों का फल: यह व्रत व्रती के कर्मों के फल को शुभ दिशा में बदल सकता है और कर्मों की मांग को पूरा करता है।

प्रदोष व्रत 2023 के दिन कितनी बार मनाया जाएगा? How many times will Pradosh Vrat be observed in 2023?

प्रदोष व्रत 2023 में प्रत्येक माह में दो बार मनाया जाएगा। इसकी शुभ तिथियाँ निम्नलिखित हैं:

11 सितंबर 2023

27 सितंबर 2023

प्रदोष व्रत 2023 की तिथियों के आसपास भगवान शिव का पूजन और भक्ति करने का आदर्श अवसर है।

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