विश्वकर्मा पूजा 2023 ( Vishwakarma Pooja -2023)
भगवान विश्वकर्मा को प्राचीन काल का प्रथम इंजीनियर माना जाता है। इस दिन औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े उपकरण, औजारों की पूजा करने से काम में कुशलता आती है, और शिल्पकला का विकास होता है। कारोबार में वृद्धि होती है, साथ ही धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Vishwakarma Puja Significance): विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है?
विश्वकर्मा पूजा प्रथम वास्तुकार, शिल्पकार, और इंजीनियर को समर्पित है। इस दिन लोग अपने कारखानों में लगे उपकरणों और मशीनों की पूजा करते हैं, और इस दिन वाहनों को भी पूजा का अधिकार होता है। मान्यता है कि जो लोग विश्वकर्मा पूजा को विधिवत तरीके से मनाते हैं, उनके वाहन और मशीनें कभी खराब नहीं होतीं।
भगवान विश्वकर्मा कौन हैं? (Who is Lord Vishwakarma?):
हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है। पूरे देश में भगवान विश्वकर्मा की जयंती को धूमधाम से मनाया जाता है, और इस अवसर पर घरों में मांगलिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र विश्वकर्मा भगवान के जन्मदिन के दिन इस जयंती को मनाई जाती है।
विश्वकर्मा पुराण के अनुसार नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्मा जी को और फिर विश्वकर्मा जी को रचा। ब्रह्मा जी के मार्गदर्शन पर ही विश्वकर्मा जी ने पुष्पक विमान, इंद्रपुरी, त्रेता में लंका, द्वापर में द्वारिका और कलयुग में जगन्नाथ पुरी का निर्माण किया। इसके साथ ही प्राचीन शास्त्रों में वास्तु शास्त्र, यंत्र निर्माण विद्या, विमान विद्या, आदि के बारे में भगवान विश्वकर्मा ने ज्ञान प्रदान किया।
विश्वकर्मा पूजा 2023 का मुहूर्त (Vishwakarma Jayanti 2023 Muhurat): विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर क्यों मनाया जाता है?
विश्वकर्मा पूजा के दिन, 17 सितंबर 2023 को, सुबह 07:50 मिनट से लेकर दोपहर 12:26 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक भी विश्वकर्मा पूजा की जा सकती है।
विश्वकर्मा पूजा 2023 तिथि व शुभ मुहूर्त VISHWAKARMA PUJA SHUBH MUHURAT 2023, विश्वकर्मा पूजा कब है?
- साल 2023 में विश्वकर्मा पूजा 17 सितम्बर रविवार को की जायेगी।
- कन्या संक्रांति का क्षण होगा – 17 सितम्बर दोपहर 01:43 मिनट पर |
- कन्या संक्रांति का पुण्य काल होगा – 17 सितम्बर दोपहर 01:43 से सायंकाल 06:24 मिनट पर|| 4. कन्या संक्रांति महापुण्य काल समय होगा – 17 सितम्बर दोपहर 01:43 से सायंकाल 03:46 मिनट तक।
- पूजा का शुभ मुहूर्त – 17 सितंबर प्रातःकाल 07:50 मिनट से दोपहर 12:26 मिनट तक
विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja Ritual):
सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
फिर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें।
पूजा में हल्दी, अक्षत, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, दीप, और रक्षासूत्र शामिल करें।
पूजा में घर में रखे लोहे के सामान और मशीनों को भी शामिल करें।
पूजा करने की चीजों पर हल्दी और चावल लगाएं।
इसके बाद पूजा में रखे कलश को हल्दी लगाकर रक्षासूत्र बांधें।
फिर पूजा शुरू करें और मंत्रों का उच्चारण करते रहें।
पूजा के बाद प्रसाद को लोगों में बांटें।
विश्वकर्मा पूजा 2023 मंत्र (Vishwakarma Puja 2023 Mantras):
‘ॐ आधार शक्तपे नमः’ और ‘ॐ कूमयि नमः’
‘ॐ अनन्तम नमः’
‘पृथिव्यै नमः’
रुद्राक्ष की माला से जप करना अच्छा होता है।
विश्वकर्मा पूजा 2023 आरती (Vishwakarma Puja 2023 Aarti)
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुम्हारी टेर की।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥