Sunfa-Yog-सुनफा योग
परिभाषा – यदि चन्द्रमा से दूसरे भाव में ग्रह हों (सूर्य को छोड़कर) तो सुनफा योग बनता है।
फल – जातक के पास स्वअर्जित सम्पत्ति होगी। वह राजा, शासक या उसके समतुल्य, तेज बुद्धि वाला, घनी और प्रसिद्ध होगा। किसी भी प्रकार के योग की उपस्तिथि से ही केवल ये नहीं कहा जा सकता है की योग का पूरा फल आपको प्राप्त होगा , इसके लिए ग्रहो का बल और दूसरे ग्रहो की दृष्टि की गणना करना भी आवश्यक है |
व्याख्या: सुनफा योग में और निम्नलिखित दो योगों में चन्द्रमा का काफी महत्त्वपूर्ण हाथ होता है। दूसरे भाव में सूर्य के सिवाय ग्रहों का होना आवश्यक हैं दूसरे भाव में मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र और शनि अकेले या एक साथ हो सकते हैं । पुनः इस योग का स्वरूप मुख्यतः दूसरे भाव में स्थित अधिपतियों के स्वभाव पर अधिक सीमा तक निर्भर करता है ।
इस प्रकार मान लिया जाय कि चन्द्रमा वृषभ राशि में है और बुध, वृहस्पति और शुक्र दूसरे भाव में है। यह एक प्रबल सुनफा योग है जो काफी धन देता है। इस मामले में यदि लग्न भाव में सिंह राशि हो तो इस योग की गहनता अधिक होगी क्योंकि योग का सम्बन्ध १० वें और ११ वें भावों से होगा । योग बनाने के लिए जिम्मेदार ग्रहों की दशा और मुक्ति में इस योग के फल प्राप्त होंगे है |