Paush Putrada (वैकुंठ एकादशी) Ekadashi 2024:
पुत्रदा एकादशी संतान प्राप्ति के लिए बहुत खास मानी गई है. इस दिन विष्णु जी की पूजा से संतान सुख मिलता है
पुत्रदा(वैकुंठ एकादशी) एकादशी का धार्मिक महत्व ( Religious Significance of Putrda Ekadashi )
युधिष्ठिर ने पूछा: “श्रीकृष्ण, कृपया पुत्रदा एकादशी का माहात्म्य और इसका व्रत कैसे किया जाता है, और किस देवता की पूजा की जाती है?”
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: “राजन्, पुत्रदा एकादशी को ‘पुत्रदा’ नामक मंत्रों के जाप के साथ फलों का अर्पण करके श्रीहरि की पूजा करने के रूप में आचरण किया जाता है। इसमें नारियल, सुपारी, बिजौरा नींबू, जमीरा नींबू, अनार, सुंदर आंवला, लौंग, बेर, और विशेषत: आम के फल शामिल होते हैं। इसके साथ ही, धूप और दीपक के साथ भगवान की आराधना भी की जाती है।
पुत्रदा एकादशी(वैकुंठ एकादशी) का महत्व ( Putrada Ekadashi ka Mahatva )
“पुत्रदा एकादशी” को विशेष रूप से दीप दान करने का विधान है। इसे रात्रि में वैष्णव पुरुषों के साथ जागरण करके मनाना चाहिए। इस जागरण के कारण, व्यक्ति को हजारों वर्षों के तप के समान फल प्राप्त होता है। यह तिथि सभी पापों को हराने वाली उत्तम मानी जाती है, और इसे चराचर जगत के समस्त त्रिलोकों में दूसरी कोई तिथि नहीं है। समस्त कामनाओं और सिद्धियों के दाता भगवान नारायण इस तिथि के अधिदेवता माने जाते हैं।
पुत्रदा एकादशी(वैकुंठ एकादशी) का महत्व (Significance of Putrada Ekadashi)
“पुत्रदा एकादशी” (Putrada Ekadashi) का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि यह एकादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए मनाई जाती है। इस व्रत को रखने से मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस शुभ दिन “पुत्रदा एकादशी व्रत” का पालन करता है, उसे संतान की प्राप्ति होती है।
पौष पुत्रदा एकादशी(वैकुंठ एकादशी) 20 या 21 जनवरी कब ? (Paush Putrada Ekadashi 2024 Date)
पौष शुक्ल एकादशी तिथि 20 जनवरी 2024 को रात 07.26 मिनट से शुरू होकर 21 जनवरी 2023 को रात 07.26 मिनट पर खत्म होगी. एकादशी का व्रत हमेशा सूर्योदय पर प्रारम्भ होता है और अधिकांशतः अगले दिन सूर्योदय के पश्चात समाप्त होता है.
- पौष पुत्रदा एकादशी डेट – 21 जनवरी 2024
- विष्णु जी की पूजा का समय – सुबह 08.34 – दोपहर 12.32
- पौष पुत्रदा एकादशी पारण – सुबह 07.14 – सुबह 09.21 (22 जनवरी 2024)
पौष पुत्रदा एकादशी(वैकुंठ एकादशी) पर भद्रा का साया
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह 07:23 से रात 07:26 तक भद्रा भी रहेगी, हालांकि भद्रा का वास स्वर्ग में. स्वर्ग की भद्रा का दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होता है.
पुत्रदा एकादशी कब है? ( Putrada Ekadashi kab hai? )
Paush Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी संतान प्राप्ति के लिए बहुत खास मानी गई है. इस दिन विष्णु जी की पूजा से संतान सुख मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, और इसे संतान की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
पुत्रदा एकादशी पूजा विधि ( Putrada Ekadashi Puja Vidhi )
पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले को दशमी तिथि की संध्या से ही व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।
एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं।
इसके बाद पुष्प, फल, सुपारी, पान, लौंग, आंवला और नैवेद्य भगवान को अर्पित करें।
भगवान विष्णु की आरती के बाद, उनके 108 नामों का जाप करें।
तुलसी माला के साथ ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
पूरे दिन उपवास करें और संध्या के समय “पुत्रदा एकादशी कथा” पढ़ने के बाद भजन-कीर्तन करें।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा ( Putrada Ekadashi Vrat Katha ):वैकुंठ एकादशी व्रत कथा
पूर्वकाल की बात है, भद्रावतीपुरी नामक नगर में राजा सुकेतुमान शासन करते थे। उनकी रानी का नाम चम्पा था, और राजा को बहुत समय तक पुत्र नहीं हुआ था। यह सिलसिला कई वर्षों तक चलता रहा, और वे दुखी रहते थे। उनके पितर जल से प्यास बुझाते थे, लेकिन उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति का संकेत नहीं मिला।
एक दिन, राजा घोड़े पर सवार होकर घने वन में गए, और वहां पर वन्य जीवों की खोज करने लगे। मार्ग में सियारों की चीरफाड़ और उल्लूओं की आवाज़ें सुनाई दी, और वन्य जीवों के साथी मृगों और पक्षियों को देखा।
इसके बाद उन्होंने दोपहर का समय पाया, और उनको भूख और प्यास सताने लगी। राजा ने जल की खोज में इधर-उधर भटकते हुए एक उत्तम सरोवर देखा, जिसके पास कई मुनियों के आश्रम थे। वे सभी मुनियों के आश्रम देखने लगे और उन्हें बहुत खुश देखकर राजा को अत्यधिक आनंद आया।
वे मुनियों के पास गए और पुनः पुनः उनकी वंदना की। मुनियों ने उन्हें स्वागत किया और बताया कि वे विश्वेदेव हैं और स्नान के लिए यहाँ आए हैं। वे राजा को इस व्रत के बारे में बताया कि आज “पुत्रदा” नामक एकादशी है, जिसका व्रत करने से मनुष्यों को पुत्र प्राप्त होता है।
राजा ने कहा: “विश्वेदेवगण, यदि आप खुश हैं, तो कृपया मुझे एक पुत्र दें।”
मुनियों ने जवाब दिया: “राजन, आज ‘पुत्रदा’ नामक एकादशी है, और इसका व्रत बहुत पुण्यकर्म है। तुम इसे अवश्य करो, और भगवान केशव के प्रसाद से तुम्हें पुत्र प्राप्त होगा।”
राजा ने मुनियों के सुझाव का पालन किया और ‘पुत्रदा एकादशी’ का उपवास किया। व्रत के बाद, वे धूप-दीपक से भगवान की पूजा की, अर्पण किया, और उनके 108 नामों का जाप किया। उन्होंने द्वादशी को पारण किया और मुनियों के चरणों में बार-बार मस्तक झुकाया।
कुछ समय बाद, उनकी पत्नी गर्भवती हुई, और उन्हें एक सुन्दर पुत्र प्राप्त हुआ। यह पुत्र अपने गुणों से पिता को खुश कर दिया और राजा की आंखों का तारा बना। वह प्रजा की सुरक्षा और खुशियों का स्रोत बन गया।
इसलिए, राजन, ‘पुत्रदा’ एकादशी का उपवास अवश्य करें। मैंने आपके लिए इस महत्वपूर्ण व्रत का वर्णन किया है, जिससे कि वह आपके लिए पुत्र का आशीर्वाद लाए। जो व्यक्ति ‘पुत्रदा एकादशी’ का उपवास एकाग्रचित्त होकर करता है, वह इस जीवन में पुत्र प्राप्त करता है और मरने के बाद स्वर्ग को प्राप्त होता है। इस महात्म्य को पढ़कर और सुनकर अग्निष्टोम यज्ञ के फल को प्राप्त करता है।
इस पुत्रदा एकादशी के महत्व को जानकर, आप इसे अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आयोजन में शामिल कर सकते हैं।
पुत्रदा एकादशी के उपवास में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
पुत्रदा एकादशी के उपवास में ध्यान रखना चाहिए कि आप पूरी ईमानदारी और भक्ति से व्रत करें। आपको उपवास के नियमों का पालन करना चाहिए और भगवान विष्णु को समर्पित भावना के साथ पूजना चाहिए।
पुत्रदा एकादशी के बिना क्या अन्य उपाय हैं पुत्र प्राप्ति के लिए?
पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी के अलावा भी कई अन्य उपाय हैं जैसे कि मन्त्र जाप, तपस्या, और पुण्य कार्यों का करना। इनमें से किसी एक का पालन करके भी पुत्र प्राप्ति की आशा की जा सकती है।
पुत्रदा एकादशी के व्रत के क्या फायदे हैं?
पुत्रदा एकादशी के व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है और संयम, ध्यान, और भक्ति में वृद्धि होती है। इसके अलावा, यह पापों का क्षय करने में मदद करता है।
पुत्रदा एकादशी के महत्व को समझाने के लिए कोई कथा है क्या?
हां, पुत्रदा एकादशी की कथा है जो राजा सुकेतुमान और रानी चम्पा के जीवन के एक महत्वपूर्ण पल को वर्णित करती है, जिसमें उन्होंने इस व्रत का पालन किया और पुत्र की प्राप्ति हुई।
पुत्रदा एकादशी के दिन कौनसी पूजा और अनुष्ठान करने चाहिए?
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। धूप, दीपक, पुष्प, फल, सुपारी, पान, लौंग, आंवला, और नैवेद्य उन्हें अर्पित करने चाहिए।
पुत्रदा एकादशी के दौरान क्या उपवास करना चाहिए?
पुत्रदा एकादशी के दिन उपवास करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। व्रती लोग उपवास के दौरान , आलू, प्याज, लहसुन, जैसे अनिष्ट पदार्थों का त्याग करते हैं।
पुत्रदा एकादशी के क्या महत्व है?
पुत्रदा एकादशी का महत्व है क्योंकि इसके उपवास से विशेष रूप से पुत्र की प्राप्ति की कामना की जाती है। यह व्रत हिन्दू धर्म में परंपरागत रूप से माना जाता है और पुत्र की आशीर्वाद प्राप्त करने का अच्छा अवसर प्रदान करता है।
पुत्रदा एकादशी क्या है?
पुत्रदा एकादशी एक हिन्दू व्रत है जो पुत्र प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। इसे ‘पुत्रदा’ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
vvijai99@gmail.com
August 20, 2023 at 2:46 pm
🕉️ श्री हरि ओ३म् तत्सत🕉️
“पुत्रदा एकादशी” के विषय में सर्वोत्तम जानकारी दी गई है। बहुत बहुत धन्यवाद!
KN Tiwari
August 20, 2023 at 3:58 pm
Sadar Charan Vandan
विजय नारायण पाण्डेय
August 27, 2023 at 1:17 am
।। श्री हरि:ओ३म् तत्सत्।। पंचांग, राशि फल तथा एकादशी के संबंध में सार्थक एवं अपेक्षित जानकारी दी गई है। शुभ कामनाएं…
KN Tiwari
August 27, 2023 at 10:36 am
Sadar Charan Vandan