Narak Chaturdashi

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Narak Chaturdashi

Narak Chaturdashi -नरक चतुर्दशी 2023

नरक चतुर्दशी: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व

नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने असुरराज नरकासुर का वध किया था और उसके द्वारा बंदी बनाई गई 16000 कन्याओं को मुक्त कराया था। इसीलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।

नरक चतुर्दशी का महत्व

नरक चतुर्दशी का धार्मिक, सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व है। इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर तेल मालिश और स्नान करते हैं, भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा करते हैं, घर को साफ-सुथरा रखते हैं और दीया जलाते हैं। इस दिन परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताया जाता है, मिठाई खाई जाती है और गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की जाती है। नरक चतुर्दशी का पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करता है।

नरक चतुर्दशी 2023 कब है? Narak Chaturdashi 2023 mein kab hai?

नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल नरक चतुर्दशी 12 नवंबर 2023 को है। इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस,नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

इस नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस, और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

नरक चतुर्दशी का महत्व- The Significance of Narak Chaturdashi

नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन भगवान कृष्ण ने असुरराज नरकासुर का वध किया था और उसके द्वारा बंदी बनाई गई 16000 कन्याओं को मुक्त कराया था। इसीलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है।

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तेल मालिश और स्नान करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन यमराज की पूजा भी की जाती है, ताकि मृत्यु के भय से मुक्ति मिल सके। इसके अलावा, इस दिन भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है, उनके द्वारा नरकासुर के वध का स्मरण करते हुए।

नरक चतुर्दशी की पूजा विधि- The Worship Rituals of Narak Chaturdashi

नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा करनी चाहिए। पूजा में दीपक जलाएं, फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।

यमराज की पूजा करते हुए उनसे प्रार्थना करें कि वे आप पर प्रसन्न हों और आपको मृत्यु के भय से मुक्ति दें। आप इस दिन यमराज को दीपदान भी कर सकते हैं। इसके लिए 12 दीपक जलाकर घर के बाहर रखें।

नरक चतुर्दशी 2023 मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2023 Muhurat)

नरक चतुर्दशी के दिन स्नान मुहूर्त

नरक चतुर्दशी 2023 के दिन, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तेल मालिश और स्नान करने की परंपरा है।

स्नान मुहूर्त – Snan Muhurat

दिनांक: 12 नवंबर 2023

समय: प्रात: 05:28 से सुबह 06:41 तक

अवधि: 01 घंटा 13 मिनट

स्नान का महत्व- Importance of Snan

नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान के बाद भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

स्नान विधि- Snan-Bath Procedure

सुबह जल्दी उठकर स्नान के लिए तैयार हो जाएं।

स्नान करने से पहले अपने शरीर पर तेल लगाएं।

पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर स्नान करें।

स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा करें।

नरक चतुर्दशी के दिन क्या करें और क्या न करें?

क्या करें-Dos

सूर्योदय से पहले उठकर तेल मालिश और स्नान करें।

भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा करें।

यमराज को दीपदान करें।

घर को साफ-सुथरा रखें और दीया जलाएं।

परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।

क्या न करें-Don’t Dos

मांस-मदिरा का सेवन न करें।

क्रोध और झगड़े से बचें।

गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।

नरक चतुर्दशी के दिन खास व्यंजन

विशेष व्यंजन-Special Food Items

नरकासुर का बली (एक तरह की मिठाई)

गुलगुले

जलेबी

इमरती

हलवा

पूड़ी-छोले

चावल-दाल

सब्जी

नरक चतुर्दशी का सामाजिक महत्व – Social Importance of Narak Chaturdashi

नरक चतुर्दशी का सामाजिक महत्व निम्नलिखित है:

घर-परिवार में सुख-शांति का माहौल बनाता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और दीया जलाते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इससे घर-परिवार में सुख-शांति का माहौल बनता है।

परस्पर संबंधों को मजबूत करता है। इस दिन लोग परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और मिठाई खाते हैं। इससे आपसी रिश्तों में मधुरता बढ़ती है और खुशी का माहौल बनता है।

समाज में भाईचारे और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। इससे समाज में भाईचारे और सौहार्द की भावना को बढ़ावा मिलता है।

उपसंहार-Conclusion

नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका सामाजिक महत्व भी बहुत है। यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।

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