Nag Panchami 2024

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Nag Panchami 2024

Nag Panchami 2024

नाग पंचमी तिथि

नाग पंचमी का त्योहार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल पंचमी की तिथि का आरंभ 9 अगस्त को रात 12 बजकर 35 मिनट से होगा और इसका अंत 10 अगस्त को सुबह 3 बजकर 13 मिनट पर होगा। इसलिए नाग पंचमी का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा।

नाग पंचमी एक हिंदू त्यौहार है जो नाग देवताओं (सांपों) की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्यौहार श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग विशेष रूप से सांपों की पूजा करते हैं और उन्हें दूध, चावल, फूल, और मिठाई अर्पित करते हैं।

नाग पंचमी पूजा मुहूर्त

पंचांग के मुताबिक नाग पंचमी पर पूजा का शुभ मुहुर्त 09 अगस्त 2024 को सुबह 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर सुबह 8 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इस बीच में आप नाग देवता की पूजा कर सकते हैं।

नाग पंचमी के महत्व और परंपराएं:

नाग देवताओं के मंदिर: कई जगहों पर नाग देवताओं के मंदिर होते हैं, जहाँ लोग जाकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

सांपों की पूजा: इस दिन लोग अपने घरों के पास, खेतों में, या किसी मंदिर में जाकर सांपों की पूजा करते हैं। सांपों को दूध, मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थ अर्पित किए जाते हैं।

कहानियों का महत्व: नाग पंचमी से संबंधित कई धार्मिक कथाएं और लोक कथाएं हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सांपों का भय दूर हो जाता है और उनके कोप से बचाव होता है।

परंपरागत रीति-रिवाज: इस दिन लोग विशेष रूप से पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और घर में सांपों की तस्वीर या मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा करती हैं।

पारंपरिक खेल: कुछ क्षेत्रों में इस दिन पारंपरिक खेल और नृत्य आयोजित किए जाते हैं। लोग सांपों से संबंधित कहानियों का मंचन करते हैं और गीत गाते हैं।

नाग पंचमी की कहानी

सालों पहले एक नगर में किसी सेठ के सात बेटे रहते थे। सभी की शादी सेठ ने समय पर करवा दी थी। सातों बहु मिलकर घर का काम भी संभालती थीं। उन सभी में सेठ की सबसे छोटी बहु बहुत संस्कारी थी।

एक दिन यूं ही काम करते हुए घर की बड़ी बहु ने अपनी देवरानियों से कहा कि घर को लीपने के लिए पीली मिट्टी नहीं है। जंगल जाकर मिट्टी लानी होगी। जेठानी के ऐसा कहते ही सभी उसके साथ घर लीपने के लिए मिट्टी लाने के लिए निकल गए। सभी खुरपी से मिट्टी निकाल ही रहे थे कि तभी सबसे बड़ी वाली बहु को एक नाग नजर आया।

उसे मारने के लिए जैसे ही बड़ी वाली बहु ने खुरपी उठाई, वैसे ही सबसे छोटी बहु ने कहा, ‘जेठानी जी, इसे मत मारिए। इसकी कोई गलती नहीं है। जंगल तो इसका घर है।’ अपनी देवरानी की बात मानकर उसने नाग को कुछ नहीं किया। तभी उस छोटी बहु ने नाग से कहा कि आप एक जगह पर अलग से बैठ जाइए हम तबतक मिट्टी खोदते हैं। फिर आपके पास आएंगे।

इतना कहकर सभी मिट्टी निकालने लगे और कुछ देर बाद घर चले गए। सभी के दिमाग से नाग वाली बात निकल गई थी। अगले दिन छोटी बहु को अचानक से याद आया कि उसने नाग को इंतजार करने के लिए कहा था। वो तुरंत अपनी सभी जेठानियों को अपने साथ लेकर नाग के पास चली गई।

वहां देखा तो वो नाग उन सभी के इंतजार में उसी जगह पर बैठा हुआ था। नाग को देखते ही छोटी बहु ने प्यार से कहा, ‘भैया, कल हम लोग आपके पास आना भूल गए थे। उस बात के लिए आप हमें माफ कर दीजिए।’

जवाब में नाग बोला, ‘तुमने मुझे भाई कहा है, इसलिए मैं तुम्हें दण्ड नहीं दे रहा हूं। नहीं तो अबतक मैं तुम्हें डस चुका होता। आज के बाद में तुम हमेशा के लिए मेरी बहन रहोगी। अब तुम अपने भाई से कोई वरदान मांग लो। मैं तुमसे बहुत खुश हूं।’

इतना सब सुनकर छोटी बहु ने नाग को बोला, ‘मेरा कोई भी सगा भाई नहीं है, इसलिए मैंने आपको भाई कहा था। अब से आप मेरे भाई हो। अब हरदम मेरी रक्षा करना आपका फर्ज है। बस यही वरदान मुझे आपसे चाहिए।’

नाग ने हर कदम पर साथ देने का वादा किया और अपना यात्रा प्रारंभ कर दिया। सेठ की सभी बहुएँ भी अपने घर वापस चली गईं। कुछ समय बाद, नाग मानव स्वरूप धारण करके अपनी बहन से मिलने सेठ के घर गया। उसने सेठ से कहा, “कृपया मेरी छोटी बहन को बुलाएं। वह आपकी छोटी बहु है।”

सेठ को पहले तो यह लगा कि उनकी बहुओं में ऐसी कोई औरत ही नहीं है जिसे नाग भाई जानते होंगे, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी छोटी बहु को बुलाया। नाग ने फिर उसके साथ अपनी बहन को अपने घर ले जाने की बात की। सेठ ने इसकी भी अनुमति दे दी। इसी बीच, नाग ने अपनी बहन से पूछा, “क्या तुम मुझे भूल गई हो? उत्तर में उसकी बहन ने कहा, “नहीं भैया, मैं आपको बिलकुल नहीं भूली हूँ।” फिर नाग ने कहा, “मैं तुम्हें अपने घर ले जा रहा हूँ। तुम मेरी पूंछ पकड़कर मेरे पीछे चलती रहना।”

उसकी बहन ने वैसा ही किया। कुछ ही समय बाद वे एक बड़े मकान में पहुंच गए, जहां हर तरफ सोना, चांदी और मूल्यवान वस्त्र मौजूद थे। वहां नाग की बहन ने आराम से कुछ दिनों के लिए रहना शुरू कर दिया। नाग की मां भी उसे प्रेम करती थी। एक दिन, नाग की मां ने छोटी बहु से कहा, “कृपया अपने भाई के लिए दूध लेकर जाने को कहो।” छोटी बहु ने दूध को गर्म किया और अपने भाई को पिलाने के लिए दिया। जब नाग ने गर्म दूध पिया, तो उसका मुंह जलने लगा। इसे देखकर नाग की मां को बहुत गुस्सा आया। नाग ने कुछ करके अपनी मां को शांत किया और बताया कि उसकी बहन को गर्म दूध पीने की जानकारी नहीं थी।

थोड़ी देर बाद, जब नाग के परिवार के सदस्य सेठ की छोटी बहु के साथ अपने घर जाने लगे, तो नाग ने अपनी बहन को खूब सारे सोने-चांदी और आभूषण देकर विदा किया। घर में इतना सारा धन आने को देखकर सेठ और उसकी जेठानियाँ हैरान हो गईं। एक दिन, नाग की बहन को बड़ी बहु ने कहा, “तुम अपने भाई से और सोने-चांदी लेकर आओ। उसके पास तो बहुत पैसा है, वह तुम्हें नहीं मना करेगा।” छोटी बहु ने अपने भाई नाग को इस बात की जानकारी दी। जब इसके बारे में नाग को पता चला, तो वह अपनी बहन को अनेक प्रकार के आभूषणों से भर दिया।

उन सभी आभूषणों में से एक हीरे का हार अत्यंत कीमती था। इसे देखकर सभी को उसपर आकर्षित होने लगा। इस हीरे की खबर राज्य की रानी तक पहुंची। वह छोटी बहु से हार लेकर खुद के पास रख लिया। दुखी होकर सेठ की छोटी बहु ने अपने भाई को इसके बारे में बताया। गुस्से में नाग ने रानी के गले में पहने हुए हीरे के हार को बच्चे का रूप देने के लिए उसे सांप में बदल दिया। इससे डरकर रानी ने हार को तत्काल अपने गले से उतार दिया और सेठ की छोटी बहु को महल बुलाया। जब वह महल पहुंची, तो रानी ने उसे बताया कि हार कैसे नाग बन गई थी और उससे यह सब पूछने लगी।

इस पर सेठ की छोटी बहु ने बताया कि नाग भाई ने यह हार मुझे पहनने के लिए ही दी है। इसे कोई और इंसान गले में डालेगा तो यह तत्काल सांप बन जाएगा। इस बात को सिद्ध करने के लिए, रानी ने सेठ की छोटी बहु को सांप बन चुके हार को पहनने के लिए कहा। जैसे ही छोटी बहु ने नाग बने हार को गले में डाला, वह फिर से हीरे के हार में बदल गई। महारानी ने इस घटना को अपनी आंखों से देखा और हैरान रह गई। अब उसे सेठ की छोटी बहु की बात पर यकीन हो गया। उसने हार के साथ छोटी बहु को लेकर महल से विदा कर दिया।

अब सेठ की छोटी बहु घर लौटकर सोने के सिक्कों से भरी हुई है। सेठ की बड़ी बहु को जलन होने लगी। उसने सोचा कि उसे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे उसकी देवरानी को परेशानी हो। वह अपने देवर से पूछा, “तुम्हारी पत्नी को इतने आभूषण और धन कैसे मिल रहा है? तुम्हें उस पर ध्यान देना चाहिए। कोई ऐसा तो नहीं हो रहा है जिससे तुम्हें इतनी धनराशि, आभूषण और सोने के सिक्के मिल रहे हों। जांचो कि वास्तव में क्या हो रहा है।”

उस व्यक्ति के मन में पत्नी के प्रति शक पैदा होने के बाद, वह दुःखी हो गई क्योंकि उसने स्वयं के बारे में बुरे शंकाओं को अपने मन में पैदा कर दिया था। एक दिन, उसने अपनी पत्नी से इस बारे में बात की। उसने बताया कि उसने अपने भाई नाग से सभी बातें सुन ली हैं जो उसके पति ने कही थीं। दुःखी बहन को देखकर, नाग भी गुस्सा हुआ।

नाग सीधे अपनी बहन के पति से मिले और बोले कि उसने अपनी बहन को जेवरात और अन्य तोहफों को दिए हैं, तो उस पर शक करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वह बहुत अच्छी है और अगर तुमने उसे कभी भी गलती से कुछ कहा या उस पर शक किया, तो मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ूंगा।

नाग के ये शब्द सुनने के बाद, सेठ के बेटे ने उससे माफी मांगी और कहा कि अब से मैं कभी भी ऐसी बातें नहीं करूंगा। आप मेरे ऊपर गुस्सा न करें। मैं आपकी बहन को किसी भी प्रकार का दुःख नहीं दूंगा। इसके बाद, वह सीधे अपने घर चला गया और अपनी पत्नी से भी माफी मांगी। इसके बाद से वे दोनों खुशी-खुशी साथ में रहने लगे।

इसी तरह, सेठ की छोटी बहू अपने भाई को हर मुसीबत में याद करती थी और वह उसकी समस्याओं को दूर कर देता था। इसी तरह, नाग पंचमी का त्योहार आरंभ हुआ और सभी महिलाएं नाग को अपना भाई मानकर पूजन करने लगीं।

नाग देवता की कृपा से रक्षा की प्राप्ति:

नाग पंचमी पूजा के द्वारा, भक्त नाग देवता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं जो उन्हें विभिन्न प्रकार की आपदाओं और बुराइयों से रक्षा करता है। नाग देवता को अपने प्राणों की रक्षा करने का कार्य सौंपा जाता है और उनकी प्रार्थना करने से व्यक्ति को सुरक्षा की वरदान मिलता है।

संतान की वृद्धि और सुख:

नाग पंचमी के व्रत का पालन करने से भक्त को संतान की वृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। नाग देवता शिव के आदेश पर संतान प्राप्ति के लिए समर्पित होते हैं और उनकी पूजा से प्रार्थना करने वाले लोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।

नाग दोष निवारण:

नाग पंचमी पूजा के द्वारा भक्त अपने जीवन में नाग दोष से बच सकते हैं। नाग दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो जातक को विविध समस्याओं में पड़ सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, धन की हानि, व्यापार में बाधाएं आदि। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से नाग दोष का निवारण होता है और व्यक्ति को इन समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

धन और समृद्धि की प्राप्ति:

नाग पंचमी के व्रत के द्वारा, भक्त धन और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। नाग देवता को धन का प्रतीक माना जाता है और उनकी पूजा करने से लोगों को आर्थिक रूप से सुखी और समृद्ध बनाने में सहायता मिलती है।

Nag Panchami 2024 Vrat:

आज दिनांक 09 अगस्त 2024 को देशभर में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। नाग पंचमी का यह पवित्र पर्व नाग देवता के समर्पित है। इस दिन, नाग देवता की मूर्ति या प्रतिमा को दूध से जलाकर अर्चना की जाती है और विधि-विधान से पूजा की जाती है।

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