Govardhan Pooja

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Govardhan Pooja

Govardhan Pooja- गोवर्धन पूजा

भगवान कृष्ण की विजय की महत्वपूर्ण पर्व

Govardhan Pooja– गोवर्धन पूजा, भारतीय परंपरा में एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के एक महत्वपूर्ण घटना के स्मरण के रूप में मनाया जाता है, जिसमें उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाया था। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण की भक्ति करना और उनके द्वारका प्राप्ति की आशीर्वाद प्राप्त करना है।

History -इतिहास

भगवान कृष्ण के जन्म के बाद, वो वृन्दावन में बचपन में वत्सलय और लीलाओं के साथ गुजरे। एक दिन, गोपिका और गोप बच्चे बड़े उत्साहित होकर गोवर्धन पर्वत के चारों ओर पूजा करने के लिए तैयार हुए। भगवान कृष्ण ने देखा कि उनके भक्तों के मन में ईश्वरीय भावना है और वे गिरिराज गोवर्धन को पूज रहे हैं, उनके मन में ब्रह्मांड के एकत्व की भावना है। इस पर्व के माध्यम से, भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों के प्रेम को महत्वपूर्ण बनाया और गोवर्धन पर्वत को उठाने का निर्णय लिया। जिस से वहां के निवासियों की इंद्र के कोप से रक्षा की जा सके |

Event- घटना

भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने कृपाशक्ति से उठाया और गोपों और गोपियों को पर्वत के नीचे शरण दी । इससे उन्हें इन्द्र के कोप से बचाया जो लगातार वर्षा करके सभी को पानी में डूबाना चाहते थे क्युकी वहां  के निवासी इंद्र की जगह भगवान् कृष्ण की पूजा कर रहे थे|   

Siginificance -महत्व

गोवर्धन पूजा का महत्व है कि यह भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन भगवान कृष्ण की मूर्ति व गोवर्धन पर्वत के प्रति भक्तों की पूजा की जाती है। लोग गोवर्धन पर्वत को बनाने और सजाने में विशेष ध्यान देते हैं और उसे अन्न, फल, फूल आदि से सजाते हैं।

इस दिन, भक्त  गोवर्धन पर्वत के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। इसे ‘गोवर्धन परिक्रमा’ कहा जाता है, जिससे भगवान कृष्ण के लीला को याद किया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की आराधना और भक्ति की जाती है, और लोग उनके गुणगान करते हैं।


The Significance of Govardhan Puja and Annakut Festival- गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का महत्व

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव हिन्दू धर्म के दो महत्वपूर्ण त्योहार हैं। ये त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और उनके द्वारा गोकुलवासियों की रक्षा के उपलक्ष में मनाए जाते हैं।

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों को इंद्र देवता के प्रकोप से बचाया था। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति और पराक्रम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

अन्नकूट महोत्सव नई फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 64 प्रकार के व्यंजन भोग लगाए जाते हैं। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है।

The tradition of Govardhan Puja and Annakut Festival-गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव की परंपरा

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव की परंपरा बहुत पुरानी है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस त्योहार को शुरू किया था। तब से लेकर आज तक यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।

How is Govardhan Puja and Annakut Mahotsav celebrated?-गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव कैसे मनाया जाता है?

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। इसके बाद, वह अपने घरों में गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा या चित्र बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। पूजा के बाद, वह भगवान श्रीकृष्ण को 64 प्रकार के व्यंजन भोग लगाते हैं।

इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं। माना जाता है कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

अन्नकूट महोत्सव के दिन लोग अपने घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाते हैं और उनका आदान-प्रदान करते हैं। इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर भोजन करते हैं और खुशियां मनाते हैं।

The Significance of Govardhan Puja and Annakut Mahotsav-गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का महत्व

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव के कई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व हैं। ये त्योहार हमें भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और उनके द्वारा गोकुलवासियों की रक्षा के उपलक्ष में मनाए जाते हैं। ये त्योहार हमें कृतज्ञता व्यक्त करना भी सिखाते हैं।

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव हमें प्रकृति के प्रति सम्मान करना भी सिखाते हैं। गोवर्धन पर्वत प्रकृति का ही एक रूप है। इस पर्वत की पूजा करके हम प्रकृति के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

“When is Govardhan Puja?-कब है गोवर्धन पूजा?

गोवर्धन पूजा 2023, 14 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है और इसी दिन अन्नकूट महोत्सव भी मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने जिस गोवर्धन को अपनी चींटी उंगली में उठा लिया था उसकी पूजा और परिक्रमा का महत्व है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र देवता को पराजित किए जाने के उपलक्ष में मनाया जाता है। कभी-कभी दीवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अन्तराल हो सकता है, जैसा की इस बार है।

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 13 नवम्बर 2023 को दोपहर 02:56 से प्रारंभ होगी।

प्रतिपदा तिथि समाप्त- 14 नवम्बर 2023 को दोपहर 02:36 को समाप्त होगी

“The morning auspicious time for Govardhan Puja-गोवर्धन पूजा का प्रातः काल मुहूर्त:

गोवर्धन पूजा का प्रातः काल मुहूर्त सुबह 06:43 से 08:52 तक है। इस समय के दौरान, आप भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा कर सकते हैं।

“Other auspicious times.” -अन्य शुभ मुहूर्त:

  • दिवाली अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 से 12:27 तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 से 02:36 तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:28 से 05:55 तक
  • सायाह्न पूजा: शाम 05:28 से 06:48 तक
  • अमृत काल: शाम 05:00 से 06:36 तक

अन्य जानकारी– Other Information

गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है।

इस दिन, भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।

माना जाता है कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

2022 गोवर्धन पूजा की तारीख और शुभ मुहूर्त

2022 में गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:

प्रारंभ: 25 अक्टूबर, 2023 को शाम 4 बजकर 18 मिनट

समापन: 26 अक्टूबर, 2023 को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना के स्मरण में मनाया जाता है। इस दिन, भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोपों और ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था। इस घटना ने भगवान कृष्ण की महान शक्ति और भक्तों के प्रति उनकी भक्ति को दर्शाया।

गोवर्धन पूजा का महत्व निम्नलिखित है:

यह भगवान कृष्ण की भक्ति और विश्वास का प्रतीक है।

यह पर्व हमें यह सिखाता है कि भगवान के प्रति निष्ठा और भक्ति सबसे महत्वपूर्ण है।

यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति आदर और सम्मान का भाव सिखाता है।

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा के दिन, लोग अपने घरों में गोवर्धन पर्वत की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा करते हैं। इसके साथ ही, लोग गोवर्धन पर्वत के चारों ओर परिक्रमा भी करते हैं। पूजा में भगवान कृष्ण को अन्न, फल, फूल, मिठाई आदि का भोग लगाया जाता है।

गोवर्धन पूजा के कुछ लोकप्रिय मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने

गोवर्धननाथाय नमो नमः

गोवर्धन धरणाय नमो नमः

गोवर्धन पूजा के कुछ लोकप्रिय भजन

गोवर्धन पूजन

गोवर्धन धरणाय

कृष्ण कन्हैया गोकुल बिहारी

गोवर्धन की कथा

गोवर्धन पूजा की कुछ लोकप्रिय व्यंजन

गोवर्धन लड्डू

गोवर्धन पर्वत

अन्न कूट

गोवर्धन खीर

गोवर्धन पूजा की कुछ लोकप्रिय प्रथाएँ

गोवर्धन परिक्रमा

गोवर्धन चढावा

गोवर्धन लड्डू का प्रसाद

गोवर्धन कथा का श्रवण

गोवर्धन पूजा की कुछ लोकप्रिय कहानियाँ

गोवर्धन पर्वत की कथा

इंद्र और गोपों की कहानी

कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी

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