Durudhara Yog

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Durudhara Yog –दुरुधरा योग

परिभाषा: यदि चन्द्रमा के दोनों ओर ग्रह स्थित हो तो जो योग बनता है उसे दुरुधरा योग कहा जाता है ।


फल : जातक सुन्दर होता है और उसके पास काफी धन और सवारियां होंगी।

किसी भी प्रकार के योग की उपस्तिथि से ही केवल ये नहीं कहा जा सकता है की योग का पूरा फल आपको प्राप्त होगा , इसके लिए ग्रहो का बल और दूसरे ग्रहो की दृष्टि की गणना करना भी आवश्यक है |

विवरण : विभिन्न योगों के लिए निहित फल चाहे जो भी हो, एक महत्त्वपूर्ण सत्य उद्भूत होता है जो यह है कि जातक धन, शक्ति, नाम और प्रसिद्धि अलग-अलग श्रेणी में प्राप्त करता है। वास्तव में यह प्रत्येक योग में लागू नहीं होता है। पाँच ग्रहों के परिवर्तन और संयोजन द्वारा अनेक प्रकार के सुनफा, अनफा और दुरुधरा योग बनते हैं और उनके फलों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए ।


यदि दूसरे में मंगल और १२वें में बुध हो तो एक प्रकार का दुरुधरा योग बनता है। इसी प्रकार १२व में मंगल और दूसरे में बुध हो तो अन्य प्रकार का योग बनता है और दूसरे में बृहस्पति तथा १२वें में बुध हो तो एक और अन्य प्रकार का योग बनता है।

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यद्यपि इन सबको दुरुधरायोग कहते हैं। इन परिवर्तनों में प्रत्येक संधि में अलग- अलग फल होता है । एक साधारण उदाहरण के रूप में मान लेते हैं कि दूसरे भाव में मकर राशि में मंगल है जहाँ वह उच्च का है और १२वें भाव में वृश्चिक में वृहस्पति अपनी निम्न राशि में है. अब दूसरे भाव में बृहस्पति ( नीच ) को लें और १२वें भाव में मंगल (स्वराशि) को लें, क्या दोनों ही मामलों में फल एक जैसा होगा ?

इन सभी परिवर्तनों का सावधानी पूर्वक विश्लेषण करना चाहिए। मुनफा के ३१ प्रकार हो सकते हैं और अनफा योग के भी इतने ही प्रकार हो सकते हैं और दुरुधरा योग के लगभग १८० प्रकार हो सकते हैं। अधिक विवरण के लिए बृहत्जातक देखें ।

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