Mangla Gauri Vrat

  • Home
  • Blog
  • Mangla Gauri Vrat
sonika agarwal P G5rrqogok

Mangla Gauri Vrat

Mangla Gauri Vrat (मंगला गौरी व्रत)

मां मंगला गौरी अखंड सौभाग्य, सुखी और मंगल वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देती हैं। मान्यता है कि संतान और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना के लिए मां मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में एक बार भोजन कर माता पार्वती की अराधना की जाती है। ये व्रत सुहागिनों के लिए विशेष होता है।

मंगला गौरी पूजा विधि: इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें। निवृत्त होकर साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें। इस दिन एक ही बार अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वती की अराधना करनी चाहिए। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां मंगला यानी माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब विधि-विधान से माता पार्वती की पूजा करें।

मंगला गौरी व्रत कथा: (Mangla Gauri Vrat)

एक समय की बात है, एक शहर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी काफी खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी। लेकिन उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे काफी दुखी रहा करते थे। ईश्वर की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह अल्पायु था। उसे यह श्राप मिला था कि 16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी। परिणामस्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था जिसके कारण वह कभी विधवा नहीं हो सकती थी। इस वजह से धर्मपाल के पुत्र ने 100 साल की लंबी आयु प्राप्त की। इस कारण से सभी नवविवाहित महिलाएं इस पूजा को करती हैं तथा गौरी व्रत का पालन करती हैं तथा अपने लिए एक लंबी, सुखी तथा स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

जो महिला उपवास का पालन नहीं कर सकतीं, वे भी कम से कम इस पूजा तो करती ही हैं। इस कथा को सुनने के बाद विवाहित महिला अपनी सास तथा ननद को 16 लड्डू देती है। इसके बाद वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी देती है। इस विधि को पूरा करने के बाद व्रती 16 बाती वाले दीये से देवी की आरती करती है। व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या पोखर में विसर्जित कर दी जाती है। अंत में मां गौरी के सामने हाथ जोड़कर अपने समस्त अपराधों के लिए एवं पूजा में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें। इस व्रत और पूजा को परिवार की खुशी के लिए लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है। अतः शास्त्रों के अनुसार यह मंगला गौरी व्रत नियमानुसार करने से प्रत्येक मनुष्य के वैवाहिक सुख में बढ़ोतरी होकर पुत्र-पौत्रादि भी अपना जीवन सुखपूर्वक गुजारते हैं, ऐसी इस व्रत की महिमा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Categories

Open chat
💬 Need help?
Namaste🙏
How i can help you?