मंगल – योगिनी एकादशी: महत्व, विधि और लाभ
परिचय
हिंदू धर्म के पवित्र त्योहारों में एकादशी का विशेष स्थान है। प्रत्येक माह में दो बार मनाई जाने वाली एकादशी तिथियों में से हर एक का अपना अनूठा महत्व और नियम होता है। इन्हीं में से एक है मंगल – योगिनी एकादशी, जिसे इसके आध्यात्मिक लाभों और भक्तों पर दिव्य कृपा बरसाने के लिए अत्यंत पूजनीय माना जाता है। यह पवित्र दिन भगवान विष्णु को समर्पित है, और इस दिन व्रत रखने से आत्मा की शुद्धि होती है, पिछले पापों का नाश होता है और समृद्धि तथा कल्याण की प्राप्ति होती है।
योगिनी एकादशी कब है?
2024 में योगिनी एकादशी 2 जुलाई को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि का प्रारम्भ 1 जुलाई 2024 को सुबह 10:26 बजे से होगा और यह तिथि 2 जुलाई 2024 को सुबह 08:42 बजे समाप्त होगी।
क्या है मंगल – योगिनी एकादशी?
मंगल योगिनी एकादशी हिंदू माह आषाढ़ के कृष्ण पक्ष (अंधकार पक्ष) के 11वें दिन (एकादशी) को पड़ती है, जो सामान्यतः जून या जुलाई में आता है। इस एकादशी का नाम “योगिनी” इस कारण पड़ा क्योंकि यह आध्यात्मिक तपस्या और उच्च चेतना की खोज से संबंधित है। “मंगल” शब्द इसका शुभ और सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाता है।
योगिनी एकादशी की कथा
योगिनी एकादशी की कथा ब्रह्म वैवर्त पुराण में वर्णित है। इस कथा में एक राजा कुबेर का उल्लेख है, जो भगवान शिव के महान भक्त थे और उनके एक माली का नाम हेममाली था। हेममाली का कार्य मानसरोवर झील से फूल लाकर भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित करना था। लेकिन हेममाली अपनी सुंदर पत्नी में अक्सर खोया रहता था, जिससे वह अपने कर्तव्यों में लापरवाही करने लगा।
एक दिन, समय पर फूल न पहुँचाने के कारण राजा कुबेर क्रोधित हो गए और हेममाली को कोढ़ से ग्रसित होने और अपनी पत्नी से अलग होने का श्राप दिया। श्रापित और पश्चातापी हेममाली वन में भटकते हुए ऋषि मार्कंडेय से मिले। ऋषि ने उन्हें योगिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ऋषि की सलाह मानकर हेममाली ने पूर्ण भक्ति और निष्ठा से व्रत किया, जिससे उनका श्राप समाप्त हो गया और वे अपनी पत्नी से पुनः मिल सके।
व्रत विधि और अनुष्ठान
मंगल योगिनी एकादशी का पालन करते समय कई नियम और अनुष्ठान होते हैं जो शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए किए जाते हैं। यहाँ मुख्य अनुष्ठानों का विवरण दिया गया है:
1. व्रत
व्रत इस एकादशी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। भक्त अन्न, दाल और कुछ सब्जियों से परहेज करते हैं। कुछ लोग केवल पानी पर निर्भर रहते हैं, जबकि कुछ फल, दूध और सूखे मेवे का सेवन करते हैं।
2. प्रार्थना और पूजा
भक्त प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं, जिसमें तुलसी के पत्ते, फूल, धूप और दीप शामिल होते हैं। विष्णु सहस्रनाम और अन्य विष्णु संबंधित स्तोत्रों का पाठ करना आम प्रचलन है।
3. रात्रि जागरण
कई भक्त पूरी रात जागते हैं, भजन गाते हैं और भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं। यह अभ्यास आध्यात्मिक लाभ बढ़ाने और व्रत की सफलता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
4. दान पुण्य
इस दिन जरूरतमंदों को दान देना और ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य से अत्यधिक आशीर्वाद और पुण्य प्राप्त होता है।
मंगल योगिनी एकादशी के लाभ
मंगल योगिनी एकादशी के पालन से कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं:
1. पापों का नाश
इस दिन व्रत और सच्ची भक्ति से पापों का नाश होता है, जिससे आत्मा की शुद्धि होती है।
2. स्वास्थ्य लाभ
भोजन से परहेज या सरल आहार का सेवन शरीर को शुद्ध करता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
3. आध्यात्मिक उन्नति
पूजा और प्रार्थना से आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है और व्यक्ति भगवान के करीब पहुंचता है।
4. समृद्धि और कल्याण
इस एकादशी का पालन करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है।
मंगल योगिनी एकादशी का व्रत विधि
मंगल योगिनी एकादशी का व्रत विधि के अनुसार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस व्रत को सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:
1. व्रत की तैयारी
एकादशी व्रत की तैयारी दशमी तिथि की रात से ही शुरू हो जाती है। इस दिन शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए और काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि बुरे विचारों से दूर रहना चाहिए।
2. प्रातःकाल स्नान
एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। शुद्ध वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लेना चाहिए।
3. भगवान विष्णु की पूजा
पूजा स्थान को शुद्ध करके भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। उन्हें पुष्प, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम या भगवान विष्णु के किसी भी प्रिय मंत्र का जाप करें।
4. व्रत का पालन
इस दिन अन्न, दाल और कुछ सब्जियों का सेवन न करें। केवल फल, दूध, सूखे मेवे या जल ग्रहण करें। कुछ भक्त निर्जल व्रत भी करते हैं।
5. धार्मिक कार्य और भजन कीर्तन
दिनभर धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें और भगवान विष्णु के भजन गाएं। रात्रि में जागरण करके भजन कीर्तन करें और भगवान का ध्यान करें।
6. दान पुण्य
दीन-हीनों को दान देना और ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
7. व्रत का पारण
द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करना चाहिए। प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं अन्न ग्रहण करें।
निष्कर्ष
मंगल योगिनी एकादशी का व्रत एक अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। भगवान विष्णु की कृपा से इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में पवित्रता, शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत आत्मा की शुद्धि के साथ-साथ जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी सकारात्मक परिवर्तन लाता है। हर भक्त को इस पावन दिन को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए, जिससे भगवान विष्णु की अनुकंपा प्राप्त हो और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो।