सीता नवमी 2024: तिथि, महत्व, पूजा विधि और व्रत कथा
सीता नवमी, जिसे सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान राम की पत्नी, देवी सीता के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस वर्ष, सीता नवमी 16 मई 2024 को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।
सीता नवमी का महत्व:
आदर्श पत्नी और पतिव्रता का प्रतीक: सीता माता को आदर्श पत्नी और समर्पित पतिव्रता के रूप में जाना जाता है। उनके जीवन से हमें भक्ति, पतिव्रता धर्म, संतोष, धैर्य और कठिन परिस्थितियों में दृढ़ता का पाठ मिलता है।
त्याग और संबल की भावना: सीता माता ने अपने जीवन में अनेक त्याग किए और हर परिस्थिति में अपने पति राम का साथ दिया। वे त्याग और संबल की भावना की प्रतीक हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: सीता नवमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस दिन लोग सीता माता की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
सीता नवमी क्यों मनाई जाती है:
भगवान श्री रामचंद्र की पत्नी और मां लक्ष्मी का स्वरूप मां सीता के जन्मोत्सव पर सीता नवमी मनाई जाती है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है। इस वर्ष 16 मई 2024 को यह शुभ दिन आ रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
सीता नवमी की व्रत कथा:
सीता नवमी के व्रत से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, एक बार सीता माता को वनवास के दौरान रावण ने अपहरण कर लिया था। भगवान राम ने रावण से युद्ध कर सीता माता को मुक्त कराया। सीता माता के वनवास से वापस लौटने के बाद, उनके पतिव्रता धर्म की परीक्षा लेने के लिए भगवान राम ने उनसे अग्नि परीक्षा देने को कहा। सीता माता ने अग्नि में प्रवेश किया और अग्नि परीक्षा में सफल रहीं। इसी घटना के उपलक्ष्य में सीता नवमी का व्रत मनाया जाता है।
सीता नवमी की पूजा विधि:
प्रातः स्नान और वस्त्र: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थान: पूजा स्थान को स्वच्छ और शुद्ध करें।
देवी-देवताओं की स्थापना: एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर भगवान गणेश, भगवान राम, सीता माता और हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
दीप प्रज्ज्वलन: दीप प्रज्ज्वलित करें और धूप-बत्ती लगाएं।
पुष्प और फल: देवी-देवताओं को पुष्प, फल और पंचामृत अर्पित करें।
मंत्र जाप: “ॐ जय श्री सीतायै नमः” या “श्री राम जय जय राम, जय जय हनुमान, सीता राम चंद्र की जय” मंत्र का जाप करें।
आरती: सीता माता की आरती गाएं।
व्रत कथा: सीता नवमी की व्रत कथा का श्रवण करें।
भोजन: दही-बड़े, साबूदाना की खिचड़ी, फल आदि का भोजन ग्रहण करें।
दान: दान-पुण्य करें।
सीता नवमी का महत्व:
सीता नवमी का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। सीता माता स्त्रीत्व और पतिव्रता धर्म का प्रतीक हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए व्रत रखती हैं।