रहस्यमय विद्या है ज्योतिष!
खाली नहीं जाते ज्योतिषशास्त्र के ये नियम
Astrology: ज्योतिषशास्त्र को रहस्यमय विद्या की श्रेणी में रखा गया है। वैसे तो यह विज्ञान की ही एक शाखा है लेकिन इसके चमत्कारों से प्रभावित लोग इस महान और प्राचीन विद्या को एक रहस्य ही मानते हैं। दरअसल ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों का आंकलन कर, उनकी सही जांच-पड़ताल और विश्लेषण करने के बाद जातक के जीवन से संबंधित एकदम सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है जो उसके वर्तमान और भविष्य पर सही बैठती है।
ज्योतिष विद्या:- Astrology Knowledge
यूं तो भारतीय ज्योतिष विद्या के अनुसार हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, कुंडली में बैठे ग्रह और उनकी स्थिति भी भिन्न-भिन्न होती है इसलिए जाहिर तौर पर उसका हर व्यक्ति का जीवन भी अलग होता है। एक ही दिन, एक ही जगह और बस कुछ मिनटों के फेर में जन्में लोग दो अलग जिन्दगियां बसर करते हैं, यह सब उनके ग्रहों का ही कमाल है।
ज्योतिषशास्त्र के नियम:- Rules of Astrology
परंतु फिर भी ज्योतिषशास्त्र के कुछ नियम ऐसे हैं जो सामान्य हैं, वह किसी खास व्यक्ति पर लागू नहीं होते बल्कि संबंधित राशि या फिर संबंधित गह दशा पर लागू होते हैं। तो चलिए जानते जानते हैं ज्योतिषशास्त्र के वो सिद्धांत या वो नियम जिनके समान रूप से सत्य होने की संभावना प्रबल रहती हैं, आप कह सकते हैं ये योग हमेशा अपना फल देते हैं।
मकर राशि:-
मकर राशि 12 राशियों में एकमात्र ऐसी राशि है जिससे संबंधित जातक अपने जीवन में दो बार भयंकर पतन के शिकार बनते हैं। वह अपने जीवन में दो बार अर्श से फर्श पर अवश्य आते हैं।
मंगल ग्रह:-
जिस जातक की कुंडली में मंगल ग्रह चौथे भाव में विराजमान होता है, वह जातक हमेशा अपने जीवन में हारा हुआ और अधर में लटका हुआ सा महसूस करता है। उसका जीवन कभी स्थिर नहीं रहता।
मकर राशि:-
जिस जातक की कुंडली मकर राशि की हो और उसमें तीन से ज्यादा ग्रह युति में हो तो वह एक जीवन में पराजित और कलंकित जीवन जीने के लिए मजबूर होता है।
मंगल और शुक्र की युति:-
मंगल और शुक्र की युति अगर 6 डिग्री तक की है तो यह अवैध यौन संबंधों की गारंटी होता है।
मेष लग्न:-
मेष लग्न के लोग धैर्य और इंतजार जैसी बातों को अपने जीवन पर कभी लागू नहीं कर पाते। यह अपने जीवन में ना तो धैर्य से काम लेते हैं और ना ही किसी के लिए रुकते हैं।
लग्नेश शनि:-
जिस जातक का लग्नेश शनि होता है, उसका जीवन हमेशा संघर्षों के साये में रहता है। उसे अपनी आजीविका के लिए ताउम्र चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
सातवें भाव का स्वामी बुध:-
जिस जातक के सातवें भाव का स्वामी बुध होता है, वह जातक स्वयं पारस पत्थर बनकर दूसरों को सोना बना देता है।
कुंडली में चंद्रमा:-
कुंडली में चंद्रमा के साथ जब शनि-राहु या शनि-मंगल की युति होती है तो तनाव और चिंताएं हमेशा बनी रहती हैं।
बृहस्पति और शुक्र ग्रहों की युति:-
बृहस्पति और शुक्र ग्रहों की युति अप्राकृतिक और अस्वीकृत यौन संबंधों में रुचि को दर्शाती है।