Kamika Ekadashi Vrat

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Kamika Ekadashi Vrat

kamika Ekadashi 2024-भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा या कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा की जाती है। रातभर जागरण और व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। अजा एकादशी का व्रत करने के लिए कई महत्वपूर्ण बातों का पालन करना चाहिए।

क्या न करें एकादशी के दिन?

  • दशमी तिथि की रात मसूर की दाल का सेवन न करें, क्योंकि इससे व्रत के फल में कमी हो सकती है।
  • चने नहीं खाना चाहिए। शाक आदि भोजन करने से भी व्रत के फल में कमी हो सकती है।
  • इस दिन शहद का सेवन करने से भी व्रत के फल कम हो सकते हैं।
  • व्रत के दिन और दशमी तिथि के दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

अजा एकादशी पूजा विधि (Aja Ekadashi Fasting Rules)

अजा एकादशी का व्रत करने के बाद, व्यक्ति को एकादशी तिथि के दिन शीघ्र उठना चाहिए। उठने के बाद नित्यक्रिया से निवृत्त होकर, घर की सफाई करनी चाहिए और फिर तिल और मिट्टी का लेप करके कुशा से स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद, भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए।

भगवान श्री विष्णु जी की पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान पर धान्य रखना चाहिए। धान्यों के ऊपर कुम्भ स्थापित किया जाता है और कुम्भ को लाल रंग के वस्त्र से सजाया जाता है। कुम्भ की पूजा करने के बाद, श्री विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करके संकल्प लिया जाता है। धूप, दीप और पुष्प से भगवान श्री विष्णु जी की पूजा की जाती है।

अजा एकादशी का महत्व

अजा एकादशी व्रत श्रेष्ठतम व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को अपने मन, इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर नियंत्रण रखना पड़ता है। अजा एकादशी व्रत व्यक्ति को आर्थिक और कामना से पारंपरिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह व्रत प्राचीन समय से चला आ रहा है और इसका महत्व पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन में है। इस उपवास का पालन मन को पवित्र करता है, ह्रदय को शुद्ध करता है और साधक को सद्गति की ओर मार्गदर्शन करता है।

2024 की अजा एकादशी पर पूजा विधि

अजा एकादशी के दिन, भक्त ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु के सामने जाकर जल, पुष्प और अक्षत लेकर अजा एकादशी व्रत रखने का संकल्प लें। पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके उनका अभिषेक करें। पीले पुष्प, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फल, गंध और मिठाई अर्पित करें। पंचामृत और तुलसी का पत्ता भी जरूर चढ़ाएं। इसके बाद एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें और अंत में आरती करके भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें। दिनभर फलाहारी व्रत रखें और प्रसाद का वितरण करें।

अजा एकादशी पर विशेष उपाय

  • केसर और चंदन का उपाय: भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा में चंदन और केसर का महत्व होता है। अजा एकादशी पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें और फिर पीले चंदन और केसर में गुलाब जल मिलाकर भगवान विष्णु को तिलक करें और स्वयं भी माथे पर टीका लगाएं।
  • पान के पत्ते का उपाय: पान के पत्ते पर रोली या कुमकुम से ‘श्री’ लिखकर विष्णु भगवान को अर्पित करें और पूजा पूर्ण करने के बाद यह पत्ते लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रख लें।
  • कन्याओं को खीर खिलाएं: अजा एकादशी पर सात कन्याओं को केसर की खीर खिलाएं और उनके पांव छूकर उपहार देकर सम्मान के साथ विदा करें।
  • मनोकामना पूर्ति का उपाय: भगवान कृष्ण को नारियल और बादाम का भोग लगाएं और 27 एकादशी तक इस उपाय को करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।

अजा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन समय में राजा हरिश्चंद्र अपने सत्य और धर्म के लिए प्रसिद्ध थे। एक दिन महर्षि विश्वामित्र ने राजा की परीक्षा लेने के लिए उनसे राज्य मांग लिया। राजा ने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए राज्य दान कर दिया और अपनी पत्नी और पुत्र के साथ काशी गए। काशी में उनकी पत्नी रानी शैव्या को एक ब्राह्मण के पास बेच दिया। जब उनके पुत्र रोहिताश्व को सर्प ने काट लिया और उनकी मृत्यु हो गई, तो रानी शैव्या ने दुखी होकर भगवान से प्रार्थना की। भगवान नारायण, इंद्र और अन्य देवता प्रकट हुए और राजा की परीक्षा पूरी होने की घोषणा की। राजा हरिश्चंद्र को धर्म के प्रति स्थिर रहने के लिए पुरस्कृत किया गया और उनके पुत्र को पुनर्जीवित किया गया।

अजा एकादशी व्रत के पालन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत पुत्र प्राप्ति और उसकी समस्याओं के निवारण के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

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