गजकेसरी योग-GajKesari Yog
परिभाषा – यदि चन्द्रमा से केन्द्र में बृहस्पति हो तो गजकेसरी योग बनता है ।
फल – जातक के सम्बन्धी अनेक होंगे, वह नम्र और उदार स्वभाव का होगा । वह गाँव या शहर का निर्माण करेगा या उनके ऊपर शासन करेगा; मृत्यु के बाद भी उसकी प्रसिद्धि बनेगी । किसी भी प्रकार के योग की उपस्तिथि से ही केवल ये नहीं कहा जा सकता है की योग का पूरा फल आपको प्राप्त होगा , इसके लिए ग्रहो का बल और दूसरे ग्रहो की दृष्टि की गणना करना भी आवश्यक है |
व्याख्या – यहाँ और अन्यत्र फलों की प्राप्ति में काफी अन्तर की व्याख्या कर देनी चाहिये । लेखक कहते हैं कि इस योग में उत्पन्न व्यक्ति गाँव या शहरों का निर्माण करेगा। इन फलों की शाब्दिक व्याख्या से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता ।
उन्हें आधुनिक स्थिति और देश के अनुसार अपनाना चाहिए। इस योग में उत्पन्न व्यक्ति नगर पालिका का सदस्य बन सकता है, इंजीनियर बन सकता है या यदि योग वास्तव में प्रबल है तो मेयर बन सकता है।
किसी योग के निर्धारित फल में योगकारक के बली और निर्बल होने के अनुसार संशोधन करना चाहिये । गाँव से जिला में मजिस्ट्रेट होते हैं और उनके अलग-अलग अधिकार होते हैं । एक छोटे से पुण्य स्मारक के निर्माण और बड़े मन्दिर के निर्माण में काफी अन्तर है।
योग दिया जाता है किन्तु ग्रहों, भावों और नक्षत्रों के बल के अनुसार योग के फलों में अन्तर हो जाता है।
सवाल 1: परिभाषा क्या है – यदि चन्द्रमा से केन्द्र में बृहस्पति हो तो गजकेसरी योग बनता है?
उत्तर: गजकेसरी योग का अर्थ होता है कि जन्मकुंडली में चन्द्रमा के केन्द्र में और बृहस्पति के साथ होने पर यह योग बनता है।
सवाल 2: इस योग का क्या फल होता है?
उत्तर: जब गजकेसरी योग बनता है, तो जातक नम्र और उदार स्वभाव का होता है। वह गाँव या शहर का निर्माण कर सकता है या उनके ऊपर शासन कर सकता है। मृत्यु के बाद भी उसकी प्रसिद्धि बढ़ती
सवाल 3: इस योग के फलों की अभ्युक्तियाँ क्या हैं?
उत्तर: गजकेसरी योग के फलों की अभ्युक्तियाँ किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल हो सकता है। इसके फल उत्पन्न व्यक्ति के आधुनिक स्थिति और उनके देश के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।
सवाल 4: इस योग में उत्पन्न व्यक्ति क्या बन सकता है?
उत्तर: इस योग में उत्पन्न व्यक्ति नगर पालिका का सदस्य बन सकता है, इंजीनियर बन सकता है या यदि योग वास्तव में प्रबल है तो मेयर बन सकता है। इसका फल उनके कार्य और प्रयासों पर भी निर्भर करता है।
सवाल 5: क्या इस योग के फलों में योगकारक के बल का महत्व होता है?
उत्तर: हाँ, किसी योग के निर्धारित फल में योगकारक के बल के अनुसार संशोधन किया जा सकता है। यह दिखाता है कि गजकेसरी योग के प्रत्येक प्राणी के लिए विशेष फल हो सकते हैं।
सवाल 6: इस योग के फलों में ग्रहों, भावों, और नक्षत्रों का क्या महत्व है?
उत्तर: योग दिया जाता है किन्तु ग्रहों, भावों, और नक्षत्रों के बल के अनुसार योग के फलों में अन्तर हो सकता है। ग्रहों की स्थिति और बल योग के प्रभाव को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होते हैं।
सवाल 7: क्या इस योग के फल व्यक्ति की व्यक्तिगत गुणों पर भी निर्भर हो सकते हैं?
उत्तर: हाँ, गजकेसरी योग के फल व्यक्ति की व्यक्तिगत गुणों पर भी निर्भर हो सकते हैं। यह योग केवल जन्मकुंडली के भिन्न प्रतिभागों के साथ व्यक्ति की पूर्ण प्रोफ़ाइल पर प्रभाव डालता है।
सवाल 8: गजकेसरी योग का योगकारक क्या होता है?
उत्तर: गजकेसरी योग का योगकारक चन्द्रमा होता है, क्योंकि इसमें चन्द्रमा का केन्द्रीय भावों में बल बढ़ जाता है।
सवाल 9: इस योग के फलों के लिए किस तरह की नक्षत्रों का महत्व होता है?
उत्तर: गजकेसरी योग के फलों के लिए व्यक्ति के जन्मकुंडली में चन्द्रमा के साथ बृहस्पति की स्थिति और नक्षत्र का महत्वपूर्ण होता है। यह योगकारक के बल को प्रभावित करता है।
सवाल 10: क्या इस योग के फलों में साप्ताहिक या मासिक ग्रहों का भी प्रभाव होता है?
उत्तर: हाँ, साप्ताहिक और मासिक ग्रहों का भी प्रभाव इस योग के फलों पर होता है, क्योंकि यह जन्मकुंडली में समय के साथ परिवर्तन कर सकते हैं और योग के प्रभाव को मोड़ सकते हैं।