दशहरा(विजयादशमी) क्यों मनाया जाता है- “why dussera is celebarated?
दशहरा का त्योहार भारत में मनाया जाता है और यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है। यह पर्व विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा का महत्व भगवान राम के जीवन में बड़े महत्वपूर्ण घटना के साथ जुड़ा हुआ है।
इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य असत्य के प्रति सत्य की विजय का प्रतीकित करना है। इसे विजयादशमी के दिन मनाते हैं, जब भगवान राम ने लंका के रावण को वनवास से मुक्ति दिलाई थी।
इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और असत्य के प्रति सत्य की जीत का प्रतीक दिखाया। इसके अलावा, दशहरा का त्योहार मां दुर्गा की नौ दिन की नवरात्रि के अंत में आयोजित नौवीं रात्रि के रूप में भी मनाया जाता है।
दशहरा के दिन भगवान राम की विजय को याद करते हैं और रावण के पुतले को आग में दहन करते हैं, जिससे असत्य के प्रति सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार भारत में आने वाले परिवार और दोस्तों के साथ मनाया जाता है और विभिन्न प्रकार की परंपराओं और आचरणों के साथ मनाया जाता है।
2022 में विजयदशमी 6 अक्टूबर को था। विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, हिन्दू परंपराओं का एक त्योहार है जो आमतौर पर पंचांग के अनुसार सितंबर या अक्टूबर में होता है। इसकी तारीख हर साल बदल सकती है।
दशहरा-विजयादशमी कब है– When is Dussehra?
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर की शाम 5.44 पर हो रही है और 24 अक्टूबर को दोपहर 3.14 बजे तक दशमी तिथि रहेगी. उदया तिथि के अनुसार 24 को अक्टूबर दशहरा मनाया जाएगा | उदया तिथि के अनुसार 24 को अक्टूबर दशहरा मनाया जाएगा
दशहरा -विजयादशमी का महत्व– Sigificance of Dussera
विजयदशमी या दशहरा का त्यौहार हिन्दू धर्म में विशेष मान्यता रखता है जो असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है। इस त्यौहार से जुड़ीं ऐसी अनेक धार्मिक मान्यताएं है जिसके बारे में हम आपको अवगत कराएंगे।
दशहरा से जुड़ीं ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। वहीँ, देवी दुर्गा ने असुर महिषासुर का संहार किया था इसलिए इसे कई स्थानों पर विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
दशहरा तिथि पर कई राज्यों में रावण की पूजा करने का भी विधान है। इस दिन देश में कई जगह मेले आयोजित किये जाते है।
दशहरे से 14 दिन पहले तक पूरे भारत में रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें भगवान राम, श्री लक्ष्मण एवं सीता जी के जीवन की लीला दर्शायी जाती है। विभिन्न पात्रों के द्वारा मंच पर प्रदर्शित की जाती है। विजयदशमी तिथि पर भगवान राम द्वारा रावण का वध होता है, जिसके बाद रामलीला समाप्त हो जाती है।
दशहरा-विजयादशमी की पूजा विधि- The worship method of Dussehra.
दशहरा की पूजा सदैव अभिजीत, विजयी या अपराह्न काल में की जाती है।
अपने घर के ईशान कोण में शुभ स्थान पर दशहरा पूजन करें।
पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करके चंदन का लेप करें|
आठ कमल की पंखुडियों से अष्टदल चक्र निर्मित करें।
पश्चात संकल्प मंत्र का जप करें तथा देवी अपराजिता से परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
अष्टदल चक्र के मध्य में ‘अपराजिताय नमः’ मंत्र द्वारा देवी की प्रतिमा स्थापित करके आह्वान करें।
इसके बाद मां जया को दाईं एवं विजया को बाईं तरफ स्थापित करें और उनके मंत्र “क्रियाशक्त्यै नमः” व “उमाये नमः” से देवी का आह्वान करें।
तीनों देवियों की शोडषोपचार पूजा विधिपूर्वक करें।
शोडषोपचार पूजन के उपरांत भगवान श्रीराम और हनुमान जी का भी पूजन करें।
सबसे अंत में माता की आरती करें और भोग का प्रसाद सब में वितरित करें।
दशहरा -विजयादशमी पर संपन्न होने वाली पूजा- The puja performed on Dussehra.
शस्त्र पूजा: दशहरा के दिन दुर्गा पूजा, श्रीराम पूजा के साथ और शस्त्र पूजा करने की परंपरा है। प्राचीनकाल में विजयदशमी पर शस्त्रों की पूजा की जाती थी। राजाओं के शासन में ऐसा होता था। अब रियासतें नहीं है, लेकिन शस्त्र पूजन को करने की परंपरा अभी भी जारी है।
शामी पूजा: इस दिन शामी पूजा करने का भी विधान है जिसके अंतर्गत मुख्य रूप से शामी वृक्ष की पूजा की जाती है। इस पूजा को मुख्य रूप से उत्तर-पूर्व भारत में किया जाता है। यह पूजा परंपरागत रूप से योद्धाओं या क्षत्रिय द्वारा की जाती थी।
अपराजिता पूजा: दशहरा पर अपराजिता पूजा भी करने की परंपरा है और इस दिन देवी अपराजिता से प्रार्थना की जाती हैं। ऐसा मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण को युद्ध में परास्त करने के लिए पहले विजय की देवी, देवी अपराजिता का आशीर्वाद प्राप्त किया था। यह पूजा अपराहन मुहूर्त के समय की जाती है, साथ आप चौघड़िये पर अपराहन मुहूर्त भी देख सकते हैं।
वर्ष के शुभ मुहूर्तों में से एक दशहरा-विजयादशमी
दशहरा की गिनती शुभ एवं पवित्र तिथियों में होती है, यही कारण है कि अगर किसी को विवाह का मुहूर्त नहीं मिल रहा हो, तो वह इस दिन शादी कर सकता हैं। यह हिन्दू धर्म के साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है जो इस प्रकार है- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को आधा मुहूर्त माना गया है। यह अवधि किसी भी कार्यों को करने के लिए उत्तम मानी गई है।
दशहरा -विजयादशमी कथा– Dussera Story
अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम अपनी अर्धागिनी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास पर गए थे। वन में दुष्ट रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया।
अपनी पत्नी सीता को दुष्ट रावण से मुक्त कराने के लिए दस दिनों के भयंकर युद्ध के बाद भगवान राम ने रावण का वध किया था। उस समय से ही प्रतिवर्ष दस सिरों वाले रावण के पुतले को दशहरा के दिन जलाया जाता है|जो मनुष्य को अपने भीतर से क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ, अन्याय, अमानवीयता एवं अहंकार को नष्ट करने का संदेश देता है।
महाभारत में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, जब पांडव दुर्योधन से जुए में अपना सब कुछ हार गए थे। उस समय एक शर्त के अनुसार पांडवों को 12 वर्षों तक निर्वासित रहना पड़ा था, ओर एक साल के लिए उन्हें अज्ञातवास पर भी रहना पड़ा था।
अज्ञातवास के समय उन्हें सबसे छिपकर रहना था और यदि कोई उन्हें पहचान लेता तो उन्हें दोबारा 12 वर्षों का निर्वासन झेलना पड़ता। इसी वजह से अर्जुन ने उस एक वर्ष के लिए अपनी गांडीव धनुष को शमी नामक पेड़ पर छुपा दिया था|
राजा विराट के महल में एक ब्रिहन्नला का छद्म रूप धारण करके कार्य करने लग गए थे। एक बार जब विराट नरेश के पुत्र ने अर्जुन से अपनी गायों की रक्षा के लिए सहायता मांगी तब अर्जुन ने शमी वृक्ष से अपने धनुष को वापिस निकालकर दुश्मनों को पराजित किया था।
दशहरा-विजयादशमी पर क्यों होता है शस्त्र पूजन- Why is weapon worship performed on Dussehra?
दशहरा (Dussehra) एक हिन्दू पर्व है जो अश्विन माह की शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार, 23 अक्टूबर को यह पर्व पूरे देश में मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से शस्त्र पूजन (Shashtra Puja Dussehra) का विधान है ।
दशहरा को विजय दशमी भी कहा जाता है, और इस दिन मां दुर्गा और भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है। इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल मिलता है, और यह भी मान्यता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए।
जानें किस तरह शुरू हुई ये परंपरा-Know how this tradition began.
दशहरा बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है. मान्यता है| इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी|दशहरे के इस पर्व को विजय दशमी के नाम से भी जानते हैं. साथ ही मान्यता ये भी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था|
रावण के दस सिर किस बात का प्रतीक हैं- What is the symbol of Ravana’s ten heads?
अहंकार का प्रतीक रावण के 10 सिर को अहंकार का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि 10 सिर में 10 प्रकार की बुराइयां छुपी हुई है|
पहला सिर -काम,
दूसरा सिर -क्रोध,
तीसरा सिर -लोभ,
चौथा सिर- मोह,
पांचवा सिर -मद,
छठा सिर- मत्सर,
सातवां सिर -वासना,
आठवां सिर -भ्रष्टाचार,
नौवां सिर -सत्ता, एवं शक्ति का दुरुपयोग ईश्वर से विमुख होना,
दसवां सिर -अनैतिकता और दसवा अहंकार का प्रतीक माना जाता है।
दशहरे-विजयादशमी के बारे में रोचक बाते | Dussehra Facts In hindi
दशहरा का अर्थ: दशहरा एक संस्कृत के शब्द दश हारा से आता है, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद ‘सूर्य की हार’ है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, यदि भगवान राम ने रावण को नहीं हराया होता, तो सूर्य फिर कभी नहीं उगता।
महिषासुर कथा: महिषासुर राक्षसों और असुरों का एक राजा था, और बहुत शक्तिशाली था। वह निर्दोष लोगों पर अत्याचार करता। उस समय, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सामूहिक शक्तियों द्वारा शक्ति को महिषासुर के बुरे कार्यों को समाप्त करने के लिए बनाया गया था।
देवी दुर्गा की आवश्यकता: पौराणिक कथा के अनुसार, देवी दुर्गा को अद्भुत शक्ति की आवश्यकता थी, इसलिए अन्य सभी देवी-देवताओं ने उनकी शक्तियों को उनके पास स्थानांतरित कर दिया। परिणामस्वरूप, वे मूर्तियों के रूप में स्थिर रहे।
नवरात्रि की परंपरा: उत्तर भारत में, नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के बर्तनों में जौ के बीज बोने की परंपरा है। दशहरे के दिन, इन स्प्राउट्स का उपयोग भाग्य के प्रतीक के रूप में किया जाता है। पुरुष उन्हें अपनी टोपी में या कान के पीछे रखते हैं।
दुर्गा का पारिवारिक संयोग: कुछ किंवदंतियों में यह भी उल्लेख किया गया है कि देवी दुर्गा, अपने बच्चों, लक्ष्मी, गणेश, कार्तिक और सरस्वती के साथ कुछ समय के लिए पृथ्वी पर अपने जन्मस्थान में आगमन हुवी थी। दशहरे के दिन, वह अपने पति भगवान शिव के पास लौट गयी थी।
दशहरा का पर्व: हिंदू कैलेंडर के 10 वें महीने अश्विन में दशहरा पर्व मनाया जाता है। यह अक्टूबर या नवंबर के आस पास कभी-कभी भी होता है और 2023 में दशहरा Monday, 23 October को मनाया जायेगा।
विजय दशमी: हिंदू धर्म की कुछ उप-संस्कृतियों में, दशहरा को विजय दशमी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है दसवें दिन जीत। इसे दानव राजा महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय के रूप में विजय दशमी के रूप में भी मनाया जाता है।
मैसूर में पूजा: मैसूर में, देवी चामुंडेश्वरी की पूजा दशहरे के दिन की जाती है।
रामलीला: रामलीला द्वारा पूरे देश में नवरात्रि के 10 दिनों को अंकित किया जाता है। दशहरे के अंतिम दिन, भगवान राम द्वारा रावण को पराजित करने का दृश्य सबसे खास होता है। रामलीला के अंत को चिह्नित करने के लिए, रावण का एक पुतला जलाया जाता है।
गोलू उत्सव: तमिलनाडु में, दशहरे के उत्सव को गोलू कहा जाता है। मूर्तियाँ विभिन्न दृश्यों को बनाने के लिए बनाई गई हैं जो उनकी संस्कृति और विरासत को दर्शाती हैं।
दशहरा का आयोजन: दशहरा का पहला भव्य उत्सव 17 वीं शताब्दी में तत्कालीन राजा, वोडेयार के आदेश पर मैसूर पैलेस में हुआ था। तब से, पूरे देश में दशहरा धूमधाम से मनाया जाता रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय महत्व: आपको जानकर हैरानी होगी की दशहरा केवल भारत में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश, नेपाल और मलेशिया में भी मनाया जाता है। यह मलेशिया में एक राष्ट्रीय अवकाश भी होता है। यह इन देशों में समान उत्साह के साथ मनाया जाता है क्योंकि उनके पास एक बड़ी हिंदू आबादी है।
फसलों का महत्व: दशहरा खरीफ फसलों की कटाई और रबी फसलों की बुवाई का प्रतीक है। यह सभी विश्वासों के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।
मौसम का संकेत: दशहरे के मौसम का अंत भी होता है क्योंकि गर्मियों के अंत का समय है और सर्दियों के मौसम का समय है।
दशहरा का संदेश: दशहरा भगवान राम और देवी दुर्गा दोनों की शक्ति को प्रकट करने का प्रतीक है। देवी दुर्गा ने भगवान राम को राक्षस राजा रावण को मारने का रहस्य उजागर किया था।