Anfa Yog – अनफा योग
परिभाषा : यदि चन्द्रमा से १२ वें भाव मे ग्रह स्थित हो तो अनफा योग बनता है।
फल: जातक के अंग गठीले मुखाकृति आकर्षक होती है। यह प्रसिद्ध होता है, यह नम्र, उदार, आत्मसम्मानी कपड़ों तथा मनोरंजन का प्रेमी होता है, जीवन के अन्तिम काल में त्यागी और सन्यासी बनता है ।
किसी भी प्रकार के योग की उपस्तिथि से ही केवल ये नहीं कहा जा सकता है की योग का पूरा फल आपको प्राप्त होगा , इसके लिए ग्रहो का बल और दूसरे ग्रहो की दृष्टि की गणना करना भी आवश्यक है |
विवरण: अनफा योग में भी सूर्य को हिसाब में नहीं लिया जाता है । सुनफा के लिये दिए गए विवरण को कुछ अन्तर के साथ यहाँ भी लागू किआ जाता है |
चन्द्रमा से १२ भाव में बृहस्पति और शनि स्थित होने के कारण अनफा योग बनता है। यह योग क्षीण है क्योंकि बृहस्पति नीच का है, यद्यपि नीच भंग है क्योंकि शनि लग्न से केन्द्र में स्थित है । इस योग के अपने हिस्से का फल शनि अपनी दशा में देगा । इस तथ्य को भी ध्यान में रखें कि १२ वें भाव का सम्बन्ध मोक्ष या त्याग से होता है | अतः जातक जीवन के आखिरी काल में सांसारिक वस्तुओं से विरक्त हो जायेगा |